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UN के मानव विकास सूचकांक में भारत 131वें स्थान पर, रैंकिंग में नहीं हुआ कोई सुधार

UN द्वारा 188 देशों के लिए तैयार की गई मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) सूची में भारत 131वें स्थान पर है। पाकिस्तान, भूटान और नेपाल की श्रेणी में शामिल है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: March 22, 2017 15:50 IST
UN के मानव विकास सूचकांक में भारत 131वें स्थान पर, रैंकिंग में नहीं हुआ कोई सुधार- India TV Paisa
UN के मानव विकास सूचकांक में भारत 131वें स्थान पर, रैंकिंग में नहीं हुआ कोई सुधार

संयुक्‍त राष्‍ट्र। संयुक्‍त राष्‍ट्र (UN) द्वारा 188 देशों के लिए तैयार की गई मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) सूची में भारत 131वें स्थान पर है। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश भारत इस मामले में पाकिस्तान, भूटान और नेपाल जैसे दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों की श्रेणी में शामिल है।

वर्ष 2015 के लिए तैयार की गई इस मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार भारत की रैकिंग पिछले साल के बराबर ही है। हालांकि, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में चीन और भारत जैसे देशों को ही तरजीह मिल रही है। संयुक्त राष्ट्र की 2014 की मानव विकास सूचकांक रिपोर्ट में भी भारत 131वें पायदान पर था।

हालांकि, ताजा रिपोर्ट के अनुसार 63 प्रतिशत भारतीय 2014-15 में अपने जीवन-स्तर को लेकर संतुष्ट बताए गए हैं। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम सालाना आधार पर रिपोर्ट जारी करता है। इसमें कहा गया है कि भारत का 131वां स्थान इसे मध्यम मानव विकास श्रेणी में रखता है, जिसमें बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान, केन्या, म्यांमार और नेपाल जैसे देश शामिल हैं। भारत का एचडीआई रैंक मूल्य 2015 में 0.624 रहा, जो 2010 में 0.580 था।

रिपोर्ट के मुताबिक इसमें जीवन प्रत्याशा 2015 में 68.3 रही तथा प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय 5,663 डॉलर रही। सुरक्षित महसूस करने की धारणा के आधार पर 69 प्रतिशत ने हां में जवाब दिया। विकल्प की आजादी के मामले में 72 प्रतिशत महिला प्रतिभागियों ने संतुष्टि जताई, जबकि पुरुषों के मामले में यह 78 प्रतिशत था।

रिपोर्ट में भारत में रोजगार सृजन के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम जैसे उपायों की सराहना की गई है।

इसमें कहा गया है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों के जरिये रोजगार सृजित करने से आय सृजित होगी और इससे गरीबी में कमी आएगी, भौतिक ढांचागत सुविधा का निर्माण होगा और गरीब लोगों का संरक्षण होगा। रिपोर्ट के अनुसार भारत में 20 साल में स्वच्छ ऊर्जा निवेश में जीडीपी का 1.5 प्रतिशत सालाना वृद्धि से करीब एक करोड़ रोजगार सृजित होंगे।

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