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भारत में होने चाहिए केवल 5-7 बड़े बैंक, छोटे-छोटे बैंकों का एकीकरण है बहुत जरूरी

अरविंद सुब्रमण्‍यन ने आज बैंकिंग क्षेत्र में सुदृढ़ीकरण और एकीकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश में आदर्श रूप से पांच से सात बड़े बैंक ही होने चाहिए।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: October 25, 2017 18:58 IST
भारत में होने चाहिए केवल 5-7 बड़े बैंक,  छोटे-छोटे बैंकों का एकीकरण है बहुत जरूरी- India TV Paisa
भारत में होने चाहिए केवल 5-7 बड़े बैंक, छोटे-छोटे बैंकों का एकीकरण है बहुत जरूरी

नई दिल्‍ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पूंजी आधार मजबूत बनाने के लिए सरकार की तरफ से 2.11 लाख करोड़ रुपए के पूंजी समर्थन की घोषणा के एक दिन बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्‍यन ने आज बैंकिंग क्षेत्र में सुदृढ़ीकरण और एकीकरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश में आदर्श रूप से पांच से सात बड़े बैंक ही होने चाहिए।

एक कार्यक्रम में सुब्रमण्‍यन ने कहा कि आने वाले समय के बैंकिंग परिवेश में देश में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में ऐसे बड़े बैंक होने चाहिए जो घरेलू स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिस्पर्धी हों। उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां चार बड़े बैंक हैं, जो कि इस समय दुनिया के बड़े बैंकों में गिने जाते हैं।

सुब्रमण्‍यन ने कहा, बड़ा सवाल आज यह उठ रहा है कि क्या बैंकिंग प्रणाली में निजी क्षेत्र की ज्यादा बहुलांश हिस्सेदारी होनी चाहिए। आज से पांच से दस साल के दौरान भारत के लिए किस तरह का बैंकिंग ढांचा बेहतर होगा। मूल रूप से भारत को आदर्श रूप से पांच, छह, सात बड़े बैंकों की जरूरत है। ये बैंक निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों में होने चाहिए। ये बैंक घरेलू स्तर के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी होने चाहिए।

सुबमण्‍यन ने इस मामले में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी का हवाला देते हुए कहा कि उद्देश्य यह होना चाहिए कि न चलने लायक बैंकों के लिए जगह कम से कम हो। बैंकों में नई पूंजी डालने के बारे में उन्होंने कहा कि यह प्रोत्साहन और चुनिंदा आधार पर होना चाहिए। यह उन बैंकों के लिए होना चाहिए जहां नए कर्ज सृजन की संभावना ज्यादा से ज्यादा हो।

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