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वैश्विक आर्थिक संकटों के जोखिम से बचाव के लिए संसाधन बढ़ाए IMF: जेटली

जेटली ने विकसित देशों से कहा है कि वे अपनी आर्थिक नीतियों से अन्य देशों पर पड़ने वाले प्रभावों पर ध्यान रखें और IMF को संसाधनों की स्थिति मजबूत करना चाहिए।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Published on: April 17, 2016 16:04 IST
वैश्विक आर्थिक संकटों के जोखिम से बचाव के लिए संसाधन बढ़ाए IMF, निर्यात को लेकर चिंता बरकरार: जेटली- India TV Paisa
वैश्विक आर्थिक संकटों के जोखिम से बचाव के लिए संसाधन बढ़ाए IMF, निर्यात को लेकर चिंता बरकरार: जेटली

वाशिंगटन। प्रतिकूल वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों से भारत और अन्य बाजारों पर पड़ रहे प्रभावों के बीच वित्त मंत्री अरूण जेटली ने विकसित देशों से कहा है कि वे अपनी नीतियों से दुनिया के अन्य देशों पर पड़ने वाले प्रभावों पर ध्यान रखें। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से अपने संसाधनों की स्थिति मजबूत करने को भी कहा है ताकि भविष्य में वित्तीय संकट की पुनरावृत्ति से वैश्विक अर्थव्यवस्था को बचाया जा सके।

अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक और वित्तीय समिति (आईएमएफसी) की बैठक में जेटली ने कहा कि भारत अपने संतुलित वृहत आर्थिक वातावरण तथा आर्थिक वृद्धि की मजबूत संभावना के चलते मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों में एक आकर्षक स्थल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2015-16 में 7.6 प्रतिशत वृद्धि के साथ विश्वसनीय प्रदर्शन करने में कामयाब रही है। इससे पूर्व वित्त वर्ष में वृद्धि 7.2 प्रतिशत थी। जेटली ने कहा, वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी के कारण निर्यात में गिरावट तथा लगातार दो वर्ष मानसून में कमी को देखते हुए वृद्धि प्रदर्शन विश्वसनीय रहा है। उन्होंने कहा, हालांकि निर्यात वृद्धि को लेकर चिंता है क्यों कि वैश्विक मांग में नरमी के कारण एक साल से अधिक समय से गिर रहा है।

वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में कमजोर वृद्धि और कम उत्पादकता तथा उभरते बाजारों की अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) के समक्ष बढ़ते जोखिम के साथ साथ वित्तीय प्रणाली में अस्थिरता का खतरा वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालत में सुधार पर असर डाल रहा है। जेटली ने कहा, व्यापार में ठहराव, जिंसों में नरमी, निष्क्रय पड़ी उत्पादन क्षमता तथा खास कर कुछ बड़ी उभरते बाजारों की बुनियादी आर्थिक स्थिति की कमजोरी के बीच जोखिम प्रीमियम तथा ऋण जोखिम बढ़ने से आर्थिक तथा वित्तीय लचीलेपन को बनाये रखने की क्षमता कम हो रही है।

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