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साल 2017 में बैंकिंग सेक्‍टर में हुए ये बड़े बदलाव, नए साल में सुधारों को आगे बढ़ाने पर सरकार का रहेगा जोर

सरकार नए साल में बैंकिंग सुधारों के सिलसिले को जारी रख सकती है। इसके अलावा सरकार का इरादा गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के बोझ से दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी निवेश करने का भी है, जिससे ऋण की मांग को बढ़ाया जा सके।

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Updated on: December 28, 2017 14:17 IST
Banking sector- India TV Paisa
Banking sector

नई दिल्ली। सरकार नए साल में बैंकिंग सुधारों के सिलसिले को जारी रख सकती है। इसके अलावा सरकार का इरादा गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) के बोझ से दबे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी निवेश करने का भी है, जिससे ऋण की मांग को बढ़ाया जा सके। फिलहाल ऋण की वृद्धि दर (क्रेडिट ग्रोथ रेट) 25 साल के निचले स्तर पर चली गई है। सरकार ने इस साल अक्‍टूबर में बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि डालने की घोषणा की थी। बैंकों में यह पूंजी दो साल के दौरान डाली जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए जून, 2017 में ढाई गुना से अधिक बढ़कर 7.33 लाख करोड़ रुपएपर पहुंच गया है, जो मार्च  2015 में 2.75 लाख करोड़ रुपए पर था।

बैंकों को दिए जाने वाले 2.11 लाख करोड़ रुपए के पैकेज में से 1.35 लाख करोड़ रुपए पुनर्पूंजीकरण (रीकैपिटलाइजेशन) बांडों के जरिए डाले जाएंगे। वित्त मंत्रालय जल्द पुनर्पूंजीकरण बांडों के तौर तरीके की घोषणा करेगा।

बैंकों में पूंजी डालने का काम इतना आसान नहीं होगा। पूंजी डालने के साथ बैंकों के बोर्ड को भी मजबूत किया जाएगा तथा डूबे कर्ज का निपटान भी जरूरी होगा। साथ ही बैंकों के मानव संसाधन के मुद्दों को भी सुलझाना होगा, जिससे भविष्य में जिम्मेदारी पूर्ण बैंकिंग को आगे बढ़ाया जा सके।

वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा कि,

सुधार एजेंडा हमारी शीर्ष प्राथमिकता है जिसे पूंजीकरण के साथ क्रियान्वित किया जाएगा। कई सुधार लाए जाएंगे जिससे ईमानदार कर्जदाताओं को किसी तरह की परेशानी न होगा और उन्हें उनकी जरूरत के हिसाब से समय पर कर्ज मिल सके।

कुमार ने कहा कि सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (MSME), फाइनेंशियल इनक्‍लूजन तथा रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में मजबूती के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगस्त में वैकल्पिक व्यवस्था (AM) के तहत बैंकों के एकीकरण को सैद्धान्तिक मंजूरी दे दी।

पिछले महीने वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जो बैंकों के एकीकरण के प्रस्तावों की समीक्षा करेगी। बैंकों के NPA पर काबू के लिए सरकार ने इस साल दो अध्यादेश बैंकिंग नियमन (संशोधन) अध्यादेश, 2017 और दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2017 जारी किए हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक की आंतरिक सलाहकार समिति ने 12 ऐसे बड़े दबाव वाले खातों की पहचान की है, जिन्हें दिवाला एवं शोधन संहिता के तहत भेजा जाना है। इन खातों पर बकाया कर्ज 5,000-5,000 करोड़ रुपए से अधिक है। यह सकल गैर निष्पादित परिसंपत्तियों 1.75 लाख करोड़ रुपए का 25 प्रतिशत बैठता है।

रिजर्व बैंक ने इस साल अगस्त में बड़े डिफॉल्टरों की दूसरी सूची जारी कर बैंकों को 28 बड़े खातों का निपटान 13 अगस्त तक करने या 31 दिसंबर तक उन्हें राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) के पास दिवाला प्रक्रियाओं के लिए भेजने को कहा था। इन 28 खातों पर बकाया कर्ज कुल बकाया का 40 प्रतिशत या चार लाख करोड़ रुपये है।

NCLT के पास जो बड़े खाते दिवाला प्रक्रिया के लिए भेजे जाने हैं उनमें एशियन कलर कोटेड इस्पात, कास्टेक्स टेक्नोलॉजीज, कोस्टल प्रोजेक्ट्स, ईस्ट कोस्ट एनर्जी, आईवीआरसीएल, आर्किड फार्मा, एसईएल मैन्युफैक्चरिंग, उत्तम गाल्वा मेटेलिक, वीजा स्टील, एस्सार प्रोजेक्ट्स, जय बालाजी इंडस्ट्रीज, मोनेट पावर, नागार्जुन आयल रिफाइनरी, रुचि सोया इंडस्ट्रीज और विंड वर्ल्ड इंडिया शामिल हैं।

इस साल बैंकिंग क्षेत्र की एक अन्य प्रमुख बात भारतीय महिला बैंक और सहायक बैंकों का भारतीय स्टेट बैंक में विलय रहा। इससे SBI दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में आ गया।

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