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ऐसे खड़ा हुआ 7.5 लाख करोड़ रुपए के Tata ग्रुप का बिजनेस एंपायर, 93 कंपनियां 100 देशों में करती है कारोबार

Tata ग्रुप आज एक बड़ा एंपायर बन चुका है। सन 1868 में एक ट्रेडिंग फर्म से शुरू हुए टाटा ग्रुप में अब 93 कंपनियां हैं, जिनकी कुल GDP में 2% हिस्सेदारी है।

Ankit Tyagi Ankit Tyagi
Updated on: October 25, 2016 12:09 IST
ऐसे खड़ा हुआ 7.5 लाख करोड़ रुपए के Tata ग्रुप का बिजनेस एंपायर, 93 कंपनियां 100 देशों में करती हैं कारोबार- India TV Paisa
ऐसे खड़ा हुआ 7.5 लाख करोड़ रुपए के Tata ग्रुप का बिजनेस एंपायर, 93 कंपनियां 100 देशों में करती हैं कारोबार

नई दिल्ली। भारत में नमक से लेकर ट्रक बनाने तक के बिजनेस से जुड़ा Tata ग्रुप आज एक बड़ा एंपायर बन चुका है। सन 1868 में एक ट्रेडिंग फर्म से शुरू हुए टाटा ग्रुप में अब 93 कंपनियां हैं, जिनकी देश के कुल जीडीपी में दो फीसदी हिस्सेदारी है।

ऐसे बना 7.5 लाख करोड़ का बिजनेस एंपायर

  • टाटा की वेबसाइट के मुताबिक सन 1868 में एक ट्रेडिंग फर्म से शुरू हुए टाटा ग्रुप ने देश को पहली बड़ी स्टील कंपनी, पहला लग्जरी होटल, पहली देसी कंज्यूमर गुड्स कंपनी दी।
  • टाटा ग्रुप ने ही देश की पहली एविएशन कंपनी टाटा एयरलाइंस की शुरुआत की थी, जो बाद में एयर इंडिया हो गई।
  • आजादी से पहले ही देश को टाटा मोटर्स के ट्रक मिलने लगे थे। फिलहाल टाटा ग्रुप की कंपनियों की कुल वैल्यूएशन 7.5 लाख करोड़ रुपए है।

रतन टाटा ने पहुंचाया नए मुकाम पर

  • 1991 में रतन टाटा इस ग्रुप के मुखिया बने। तब उदारीकरण का दौर शुरू हो रहा था और रतन टाटा ने दुनिया भर में पांव पसारने शुरू किए। टाटा समूह ने टेटली टी का अधिग्रहण किया।
  • इसके अलावा इन्श्योरेंस कंपनी एआईजी के साथ उन्होंने बॉस्टन में ज्वाइंट वेंचर के तौर पर इन्श्योरेंस कंपनी शुरू की।
  • उन्होंने यूरोप की कोरस स्टील और जेएलआर का भी अधिग्रहण किया।

रतन टाटा ने किए बड़े बदलाव

  • ग्रुप का हेड बनने के बाद रतन टाटा ने मैनेजमेंट के पुराने रूल्स में बड़े बदलाव किए।
  • उन्होंने कहा कि ग्रुप को एक दिशा की जरूरत है और ग्रुप व्यवस्था सेंट्रलाइज्ड होनी चाहिए।
  • इंडिविजुअल आइलैंड्स को जोड़ना पड़ेगा। इस प्रकार उन्होंने सेंट्रल फंक्शनिंग की शुरुआत की।
  • रतन टाटा ने सबसे पहले ग्रुप कंपनियों में टाटा संस की हिस्सेदारी बढ़ाकर कम से कम 26 फीसदी करने पर जोर दिया।
  • उनके सामने दूसरी जिम्मेदारी अपने भारी भरकम ग्रुप में जोश भरने और एक दिशा देने की थी।
  • इसलिए उन्होंने ऐसे बिजनेस से निकलने का फैसला किया, जिनका बाकी ग्रुप के साथ तालमेल नहीं था।

ग्रुप ने बेचे कई बिजनेस

  • सीमेंट कंपनी एसीसी, कॉस्मेटिक्स कंपनी लैक्मे और टेक्सटाइल बिजनेस बेच दिया गया। करीब 175 सब्सिडियरी कंपनियों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए रतन टाटा ने ग्रुप कंपनियों से रॉयल्टी लेनी शुरू कर दी।
  • लगभग 1 फीसदी की यह रॉयल्टी टाटा नाम का इस्तेमाल करने के लिए होल्डिंग कंपनी टाटा संस को दी जाती है।
  • चेयरमैन बनने के बाद रतन टाटा के शुरुआती कुछ साल तो एक तरह से ग्रुप की रिस्ट्रक्चरिंग में ही निकल गए।
  • लेकिन उसके बाद उन्होंने ऐसे कई बड़े काम किए, जिनसे ग्रुप की दिशा ही बदल गई।

दुनिया भर में फैला कारोबार

रतन टाटा ने कारोबार को हर जगह फैला दिया, चाय से लेकर आईटी तक पहुंच हो गई है। सन 2009 में रतन टाटा का एक बड़ा सपना तब पूरा हुआ, जब कंपनी ने सबसे सस्ती कार- नैनो को बाजार में उतारा, कार की कीमत थी एक लाख रुपए। हालांकि यह कार बाजार में उतनी चली नहीं।

कुछ ऐसे शुरू हुआ कारोबार

  • 19वीं सदी के अंत में भारत के कारोबारी जमशेद जी टाटा, एक बार मुंबई के सबसे महंगे होटल में गए, लेकिन उनके रंग के चलते उन्हें होटल से बाहर जाने को कहा गया।
  • कहा जाता है कि उन्होंने उसी वक्त तय किया कि वे भारतीयों के लिए इससे बेहतर होटल बनाएंगे और 1903 में मुंबई के समुद्र तट पर ताज महल पैलेस होटल तैयार हो गया।
  • यह मुंबई की पहली ऐसी इमारत थी, जिसमें बिजली थी, अमेरिकी पंखे लगाए गए थे, जर्मन लिफ्ट मौजूद थी और अंग्रेज खानसामा भी थे।

पहली कपड़ा मिल

  • ब्रिटेन की एक यात्रा के दौरान उन्हें लंकाशायर कॉटन मिल की क्षमता का अंदाजा हुआ। साथ में यह अहसास भी हुआ कि भारत अपने शासक देश को इस मामले में चुनौती दे सकता है और उन्होंने 1877 में भारत की पहली कपड़ा मिल खोल दी।
  • इम्प्रेस मिल्स का उद्घाटन उसी दिन हुआ, जिस दिन क्वीन विक्टोरिया भारत की महारानी बनीं। जमशेद जी के पास भारत के लिए स्वदेशी सोच का सपना था। स्वदेशी यानी अपने देश में निर्मित चीजों के प्रति आग्रह भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का अहम विचार था।

उन्होंने एक बार कहा था, “कोई देश और समाज, अपने कमजोर और असहाय लोगों की मदद से उतना आगे नहीं बढ़ता, जितना वह अपने बेहतरीन और सबसे बड़ी प्रतिभाओं के आगे बढ़ने से बढ़ता है।”

1907 में शुरू की स्टील कंपनी

  • उनके बेटे दोराब ने इस चुनौती को संभाला और 1907 में टाटा स्टील ने उत्पादन शुरू कर दिया। भारत इस्पात संयंत्र बनाने वाला एशिया का पहला देश बना।

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