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फिर वापस आ सकते हैं सस्ते पेट्रोल-डीजल के दिन, अमेरिका में तेजी से बढ़ रही है ऑयल रिग्स की संख्या

देश में पेट्रोल और डीजल के दाम भले ही रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके हों लेकिन जिस रफ्तार से अमेरिका में ऑयल रिग्स की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है उसे देखते हुए लग रहा है कि सस्ते पेट्रोल और डीजल वाले अच्छे दिन फिर से वापस लौट सकते हैं। अमेरिका में ऑयल रिग्स के बारे में आंकड़े जारी करने वाली संस्था बेकर हग्स के ताजा आंकड़ों के मुताबिक ऑयल रिग्स की संख्या 3 साल के ऊपरी स्तर तक पहुंच गई है

Manoj Kumar Reported by: Manoj Kumar @kumarman145
Published on: May 13, 2018 13:45 IST
Higher oil rigs count in US rises hope for low Petrol and Diesel price in India- India TV Paisa

Higher oil rigs count in US rises hope for low Petrol and Diesel price in India

नई दिल्ली। देश में पेट्रोल और डीजल के दाम भले ही रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुके हों लेकिन जिस रफ्तार से अमेरिका में तेल कुओं (ऑयल रिग्स) की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है उसे देखते हुए लग रहा है कि सस्ते पेट्रोल और डीजल वाले अच्छे दिन फिर से वापस लौट सकते हैं। अमेरिका में ऑयल रिग्स के बारे में आंकड़े जारी करने वाली संस्था बेकर हग्स के ताजा आंकड़ों के मुताबिक ऑयल रिग्स की संख्या 3 साल के ऊपरी स्तर तक पहुंच गई है।

2 साल में 167 प्रतिशत बढ़ी अमेरिकी ऑयल रिग्स की संख्या

बेकर हग्स के आंकड़ों के मुताबिक 11 मई को खत्म हफ्ते के दौरान अमेरिका में ऑयल रिग्स की संख्या 844 दर्ज की गई है जो 13 मार्च 2015 के बाद सबसे ऊपरी स्तर है। अमेरिका अपने यहां तेजी से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा रहा है, 2 साल में अमेरिका ने अपने ऑयल रिग्स की संख्या में 167 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है, मई 2016 में अमेरिका में ऑयल रिग्स की संख्या घटकर सिर्फ 316 रह गई थी लेकिन अब यह बढ़कर 844 तक पहुंच गई है। हालांकि मौजूदा ऑयल रिग्स की संख्या 4 साल पहले के मुकाबले लगभग आधी है, 4 साल पहले अमेरिका में ऑयल रिग्स की संख्या 1600 के ऊपर थी।

अमेरिका में तेल उत्पादन बढ़ा तो रूस और सऊदी अरब को घाटा

अमेरिका में तेजी से बढ़ती ऑयल रिग्स की संख्या का सीधा मतलब है कि वह कच्चे तेल के उत्पादन में तेजी से बढ़ोतरी कर रहा है। अमेरिका अपने यहां कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाकर उसका निर्यात बढ़ाने की कोशिश में है, ऐसा करके वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के बाजार पर कब्जा करने की कोशिश में है। अगर अमेरिका कच्चे तेल का निर्यात बढ़ाता है तो इसका सीधा घाटा सऊदी अरब और रूस जैसे सबसे बड़े निर्यातकों को होगा।

अगले साल तक अमेरिका बन सकता है सबसे बड़ा तेल उत्पादक

फिलहाल अमेरिका का रोजाना कच्चा तेल उत्पादन 100 लाख बैरल से ऊपर है। रूस 110 लाख बैरल रोजाना उत्पादन के साथ पहले और सऊदी अरब 106 लाख बैरल उत्पादन के साथ दूसरे नंबर पर है। रूस और सऊदी अरब दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक हैं और उनके बाजार पर अमेरिका कब्जा करने की कोशिश में है और यही वजह है कि वह अपने यहां उत्पादन बढ़ा रहा है। जानकार मान रहे हैं कि इस 2019 के अंत तक अमेरिका अपने यहां कच्चे तेल का उत्पादन 120 लाख बैरल तक कर लेगा।

अमेरिका पर लगाम लगाने के लिए रूस और सऊदी अरब को बढ़ाना पड़ेगा उत्पादन

अगर अमेरिका में उत्पादन बढ़ा तो वह उस देशों में सस्ते भाव पर निर्यात करना शुरू कर सकता है जहां अभी रूस और सऊदी अरब का बाजार है। अगर ऐसा हुआ तो एक बार फिर से कच्चे तेल का प्राइस वार छिड़ जाएगा और रूस तथा सऊदी अरब को अपना बाजार बचाने के लिए फिर से उत्पादन बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ेगा। ऐसा हुआ तो कच्चे तेल की कीमतों में फिर से भारी गिरावट आना तय है जिससे घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल के दाम भी फिर से घट सकते हैं।

उत्पादन बढ़ा तो कच्चे तेल का भाव फिर घट सकता है

2014 में भी जब अमेरिका में उत्पादन लगातार बढ़ रहा था और ऑयल रिग्स की संख्या 1609 तक पहुंच गई थी तो उस समय रूस और सऊदी अरब ने तेजी से अपना उत्पादन बढ़ा दिया था जिस वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई। रूस और सऊदी अरब की इस रणनीति से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम उस स्तर तक लुढ़क गए जिस स्तर पर अमेरिकी तेल कंपनियों की उत्पादन लागत भी नहीं निकल पा रही थी। लेकिन इसके बाद रूस और सऊदी अरब ने अपने यहां उत्पादन बढ़ाना शुरू किया और अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम फिर से 75 डॉलर के ऊपर आ गया है। इस भाव पर अमेरिकी तेल कंपनियों को भी उत्पादन से फायदा हो रहा है और वह लगातार ऑयल रिग्स को खोल रही हैं। ऐसे में उम्मीद बढ़ गई है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में फिर से गिरावट आएगी और इससे घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल के दाम घटना शुरू हो जाएंगे।

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