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2015 में 849 टन सोने की निकली डिमांड, लोगों ने 5 फीसदी ज्यादा खरीदी ज्वैलरी: डब्ल्यूजीसी

डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल सोने की डिमांड 848.9 रही, जबकि 2014 में यह 828.5 टन रही थी। हालांकि, लोगों का ज्वैलरी के प्रति आकर्षण बढ़ा है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: February 11, 2016 15:42 IST
2015 में 849 टन सोने की निकली डिमांड, लोगों ने 5 फीसदी ज्यादा खरीदी ज्वैलरी: डब्ल्यूजीसी- India TV Paisa
2015 में 849 टन सोने की निकली डिमांड, लोगों ने 5 फीसदी ज्यादा खरीदी ज्वैलरी: डब्ल्यूजीसी

मुंबई। सोने की कीमतों में आई गिरावट के बावजूद 2015 में डिमांड में कोई खास बढ़ोतरी नहीं देखने को मिली। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल सोने की डिमांड 848.9 रही, जबकि 2014 में यह 828.5 टन रही थी। हालांकि, लोगों का ज्वैलरी के प्रति आकर्षण बढ़ा है। डब्ल्यूजीसी के अनुसार भारत में 2015 में गोल्ड ज्वैलरी की डिमांड 5.26 फीसदी बढ़कर 654.3 टन रही, जो कि 2014 में 621.6 टन रही थी।

ग्लोबल स्तर भी नहीं बढ़ी डिमांड

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की सोने की मांग पर जारी रिपोर्ट के अनुसार 2015 में सोने की मांग 2,02,910 करोड़ रुपए की रही, जबकि इससे पिछले वर्ष यह 2,05,750 करोड़ रुपए थी। 2015 में सोने की मांग मामूली बढ़कर 849 टन रही जो कि इससे पिछले वर्ष 828 टन थी। वर्ष 2015 की चौथी तिमाही में यह 6 फीसदी बढ़कर 220 टन से 233 टन पर पहुंच गई। वहीं, ग्लोबल स्तर पर भी सोने की मांग में 2015 में ज्यादा बदलाव नहीं देखने को मिला। पिछले साल सोने की ग्लोबल डिमांड 4,212 टन रही जबकि 2014 में यह 4,226 टन थी।

दूसरी छमाही में बढ़ी चीन और भारत से मांग

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 की शुरुआत काफी चुनौतीपूर्ण रही और दूसरी छमाही में सोने की मांग में उछाल आया। सेंट्रल बैंक की मांग और चीन तथा भारत से मांग आने पर दूसरी छमाही में यह उछाल आया। डब्ल्यूजीसी के भारत में प्रबंध निदेशक पी आर सोमासुंदरम ने कहा कई तरह की चुनौतियों के बीच सोने की मांग ने एक बार फिर अपनी क्षमता को साबित किया है। परिवारों में सोने को बचत का एक महत्वपूर्ण पहलू बताते हुए उन्होंने सोने को फाइनेंस इंफ्रास्ट्रक्चर में शामिल करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सोने की रिफाइनिंग एक बार फिर से केन्द्र में आ रही है। उन्होंने इंडस्ट्री में सोने के मामले में इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए नीतिगत समर्थन पर जोर देते हुये कहा कि पारदर्शिता और गुणवत्ता को बढ़ावा मिलना चाहिए। स्वर्ण योजनाओं की सफलता के लिये यह जरूरी है।

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