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Losing it's Shine: विदेशों में घट रही है इंडियन ज्‍वैलरी की चमक, पिछले 7 महीने में 7.5% लुढ़का एक्‍सपोर्ट

अपनी खूबसूरत डिजाइनिंग और पॉलिशिंग के लिए प्रसिद्ध इंडियन जेम्‍स एंड ज्‍वैलरी की चमक विदेशों में फीकी पड़ती दिख रही है।

Sachin Chaturvedi Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Updated on: November 29, 2015 16:22 IST
Losing it’s Shine: विदेशों में घट रही है इंडियन ज्‍वैलरी की चमक, पिछले 7 महीने में 7.5% लुढ़का एक्‍सपोर्ट- India TV Paisa
Losing it’s Shine: विदेशों में घट रही है इंडियन ज्‍वैलरी की चमक, पिछले 7 महीने में 7.5% लुढ़का एक्‍सपोर्ट

नयी दिल्ली। अपनी खूबसूरत डिजाइनिंग और पॉलिशिंग के लिए प्रसिद्ध इंडियन जेम्‍स एंड ज्‍वैलरी की चमक विदेशों में फीकी पड़ती दिख रही है। ग्‍लोबल डिमांड में सुस्‍ती और खराब प्रोडक्‍ट क्‍वालिटी के चलते तेजी से कैंसिल होते ऑर्डर ने समस्‍या खड़ी कर दी है। जेम्‍स एंड ज्‍वैलरी एक्‍सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल(जीजेईपीसी) से प्राप्‍त आंकड़ों के अनुसार मौजूदा वित्‍त वर्ष में अप्रैल से लेकर अक्‍टूबर के बीच भारत से होने वाले जेम्‍स एंड ज्‍वैलरी एक्‍सपोर्ट में करीब 7.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। मौजूदा गिरावट के साथ भारतीय एक्‍सपोर्ट घटकर 18.09 अरब डालर रह गया है। कारोबारियों के मुताबिक सोने की कीमत में आ रहे बदलाव और ग्‍लोबल डिमांड में गिरावट के के चलते एक्‍सपोर्ट में यह तेज कमी आयी है।

विदेशों में घट रही है ज्‍वैलरी के प्रति रुचि

निर्यातकों की शीर्ष संस्था फियो (फेडेरेशन ऑफ इंडियन एक्‍सपोर्टर्स) के अनुसार सोने की कीमत में पिछले एक साल से आ रही गिरावट के चलते लोग सोने के प्रति कम आकर्षित हो रहे हैं। जिसके चलते यूरोप और यूएस जैसे बड़े मार्केट में ग्‍लोबल कम है। इसके अलावा पिछले कुछ समय में देश से होने वाले एक्‍सपोर्ट के कंसाइनमेंट ऑर्डर भी तेजी से कैंसिल हुए हैं। इससे भी निर्यात प्रभावित हुआ। फियो के डायरेक्‍टर जनरल अजय सहाय ने कहा कंसाइनमेंट ऑर्डर खारिज किए जाने की रफ्तार काफी तेज है। ऐसे में हमें इस उद्योग में लोगों को प्रशिक्षित करने पर ध्यान देने की जरूरत है। चीन इस क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी देश है और उनका श्रमबल बेहतर प्रशिक्षित है।

ऑर्डर कैंसिल होने से बढ़ी समस्‍या

चालू वित्त वर्ष वर्ष के पहले सात महीने में 4 अरब डालर की खेप लौटाई गई जो अप्रैल-अक्तूबर 2014 की अवधि में 1.78 अरब डालर थी। अक्‍टूबर में भी इस सेक्‍टर से होने वाला निर्यात सालाना स्तर पर करीब 13 प्रतिशत घटकर 3.48 अरब डालर रह गया। इस मंदी को देखते हुए उद्योग सोने के आयात शुल्क में कटौती की भी मांग कर रहा है ताकि सोने की पर्याप्त आपूर्ति हो और आभूषण के लिए निर्यात की मांग पूरी की जा सके। चालू खाते के घाटे पर नियंत्रण के लिए सरकार ने सोने पर आयात शुल्क बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया था।

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