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तीसरी तिमाही में GDP वृद्धि 6 प्रतिशत रहने की उम्मीद, नोमुरा ने व्‍यक्‍त किया अपना अनुमान

नोटबंदी से बने गतिरोध की वजह से भारत की जीडीपी वृद्धि अक्‍टूबर-दिसंबर तिमाही में करीब 6 प्रतिशत रह सकती है, नोमुरा की रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: January 25, 2017 14:25 IST
तीसरी तिमाही में GDP वृद्धि 6 प्रतिशत रहने की उम्मीद, नोमुरा ने व्‍यक्‍त किया अपना अनुमान- India TV Paisa
तीसरी तिमाही में GDP वृद्धि 6 प्रतिशत रहने की उम्मीद, नोमुरा ने व्‍यक्‍त किया अपना अनुमान

नई दिल्ली। नोटबंदी से बने गतिरोध की वजह से भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अक्‍टूबर-दिसंबर तिमाही में करीब 6 प्रतिशत रह सकती है, जबकि जनवरी-मार्च तिमाही में यह और धीमी पड़कर 5.7 प्रतिशत रह सकती है। नोमुरा की रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है।

जापान की वित्तीय सेवा क्षेत्र की इस प्रमुख एजेंसी के मुताबिक नोटबंदी की वजह से खपत और सेवा क्षेत्र पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। यही दो क्षेत्र हैं जो नोटबंदी से पहले काफी तेजी से बढ़ रहे थे। हालांकि, एजेंसी का कहना है कि 2017 की दूसरी छमाही से वृद्धि दर में तेजी से सुधार आ सकता है।

नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है,

हमारा अनुमान है कि साल-दर-साल आधार पर जुलाई-सितंबर तिमाही की जीडीपी वृद्धि 7.3 प्रतिशत से घटकर अक्‍टूबर-दिसंबर 2016 तिमाही में 6 प्रतिशत रह जाएगी। वित्त वर्ष की चौथी तिमाही जनवरी-मार्च में यह और घटकर 5.7 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है।

  • नोमुरा ने इससे पहले नवंबर में जारी एक रिपोर्ट में कहा था कि नोटबंदी की वजह से भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2016 की चौथी तिमाही में कमजोर पड़कर 6.5 प्रतिशत रह सकती है, जबकि 2017 की पहली तिमाही में यह 7.5 प्रतिशत रह सकती है।
  • इससे पहले इन तिमाहियों के लिए उसने वृद्धि दर के क्रमश: 7.3 और 7.9 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया था।
  • शोध एजेंसी ने कहा है, 2017 की दूसरी छमाही से हमें आर्थिक वृद्धि की दर में तीव्र सुधार की उम्मीद है।
  • ब्याज दरें घटने, संपत्ति का फिर से वितरण और दबी मांग बढ़ने से इसमें तेजी से सुधार होगा।
  • रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति उपायों के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की अंतिम कटौती फरवरी में हो सकती है।
  • हालांकि, इसमें यह भी देखना होगा कि 2017-18 में सरकार अपने राजकोषीय घाटे का सुदृढ़ीकरण करे।

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