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कचड़े ने बनाया सफल बिजनेसमैन, बायो मेडिकल वेस्‍ट मैनेजमेंट के आइडिया से कर रहे हैं करोड़ों की कमाई

सिनर्जी वेस्ट मैनेंजमेंट के संस्‍थापक और डायरेक्ट डा. नीरज अग्रवाल बायो मेडिकल कचड़े से सालाना 15 करोड़ रुपए की कमाई कर रहे हैं।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: September 27, 2017 15:29 IST
कचड़े ने बनाया सफल बिजनेसमैन, बायो मेडिकल वेस्‍ट मैनेजमेंट के आइडिया से कर रहे हैं करोड़ों की कमाई- India TV Paisa
कचड़े ने बनाया सफल बिजनेसमैन, बायो मेडिकल वेस्‍ट मैनेजमेंट के आइडिया से कर रहे हैं करोड़ों की कमाई

नई दिल्‍ली। कचड़ा किसी भी रूप में हो, हर कोई इससे नफरत करता है। शहरों से रोजाना निकलने वाले हजारों टन कचड़े को उचित ढंग से ठिकाने लगाना आज एक चुनौती है। दिल्‍ली के इस शख्‍स ने कचड़े के उचित प्रबंधन में ही अपना भविष्‍य देखा और आज यह सालाना 15 करोड़ रुपए की कमाई कर रहे हैं। सिनर्जी वेस्ट मैनेंजमेंट के संस्‍थापक और डायरेक्ट डा. नीरज अग्रवाल बायो मेडिकल कचड़े से सालाना 15 करोड़ रुपए की कमाई कर रहे हैं।

नीरज अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली में अस्पतालों से निकलने वाले कचड़े को ऐसे ही सड़क किनारे फेंक दिया जा रहा था, जो एक बायोमेडिकल वेस्‍ट का रूप ले रहा था। घर से निकलने वाले कचड़े का तो डिस्पोजल हो रहा था। लेकिन बायो मेडिकल वेस्‍ट का नहीं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन करने के बाद मैंने अपने बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्‍ट पर काम शुरू किया और फिर सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट की शुरुआत हुई।

डा. नीजर अग्रवाल डा. नीजर अग्रवाल

दिल्‍ली के निजी और सरकारी अस्‍पतालों से प्रतिदिन निकलने वाले सैकड़ों टन बायो मेडिकल कचड़े के ढेर सड़क किनारे जमा हो रहे थे, जिससे शहर में गंदगी बढ़ रही थी। केंद्र सरकार ने 1998 में बायो मेडिकल कचड़े के डिस्‍पोजल के लिए कड़े नियम बनाए। बायो मेडिकल वेस्ट अधिनियम 1998 के मुताबिक, निजी और सरकारी अस्पतालों को मेडिकल कचड़े को खुले में या सड़कों पर फेंकने पर जुर्माने और सजा का प्रावधान है।

अस्पतालों से निकलने वाली उपयोग की गई सुइयां, ग्लूकोज की बोतलें, एक्सपाइरी दवाएं, दवाओं के रैपर के साथ-साथ कई अन्य सड़ी गली वस्तुएं बायो मेडिकल वेस्‍ट कहलाती हैं। इसके अलावा इनमें विभिन्न रिपोर्ट्स, रसीदें व अस्पताल की पर्चियां आदि भी शामिल होती हैं। नीरज अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में पीएचडी की। पीएचडी करने के बाद सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस को ध्यान में रखते में हुए वर्ष 2,000 में दिल्ली में बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट का पहला प्लांट लगाया, जहां अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल कचड़े को डिस्पोज किया जाने लगा। प्लांट स्थापित करने में 50 लाख रुपए का शुरुआती निवेश हुआ।

वर्तमान में सिनर्जी वेस्‍ट मैनेजमेंट दिल्ली, मुंबई, हरियाणा, भागलपुर, गया, मेरठ और लखनऊ जैसे शहरों में बायो मेडिकल कचड़े का डिस्पोजल कर रही है। कंपनी सरकारी और निजी अस्पतालों से समझौता करती है, जिसके तहत कंपनी रोजाना 50 से 100 टन बायो मेडिकल कचड़े का डिस्पोजल करती है। कंपनी अस्पतालों से कचड़े को उठाकर अपने प्लांट में लाती है और फिर इस कचड़े को रिसाइकल करती है। अस्पतालों से समझौते के तहत कंपनी कचड़े के डिस्पोजल के बदले शुल्‍क वसूलती है। यही कंपनी की आय का मुख्‍य स्रोत भी है।

कॉमन वेल्थ गेम्स के दौरान सिनर्जी वेस्‍ट मैनेजमेंट को बायो वेस्ट मैनेजमेंट का काम मिला। यही नहीं, उनकी कंपनी में आज 150 से 200 कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। कंपनी का आज सालाना टर्न ओवर 15 करोड़ रुपए है। आज सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट देश की अग्रणी बायो मेडिकल वेस्ट कंपनी बन चुकी है।

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