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शिविंदर सिंह के बाद मालविंदर मोहन सिंह भी हुए गिरफ्तार, आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत हुई गिरफ्तारी

ईओडब्ल्यू की डीसीपी वर्षा शर्मा ने बताया कि पुलिस ने शिविंदर सिंह, सुनील गोधवानी, कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना को गुरुवार को गिरफ्तार किया है। आरोपियों को आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत गिरफ्तार किया गया है।

Kumar Sonu Written by: Kumar Sonu @Sonu_indiatv
Published on: October 11, 2019 14:25 IST
Former Ranbaxy CEO Malvinder Singh arrested- India TV Paisa
Photo:FORMER RANBAXY CEO MALVIN

Former Ranbaxy CEO Malvinder Singh arrested

नई दि‍ल्‍ली। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने रैनबैक्‍सी के पूर्व प्रवर्तक मालविंदर सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले प‍ुलिस ने गुरुवार को उनके बड़े भाई शिविंदर मोहन सिंह और रेलीगेयर के पूर्व सीएमडी सुनील गोधवानी सहित कुल चार लोगों को गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी रेलीगेयर फ‍िनवेस्‍ट में 740 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी मामले में हुई है।

मालविंदर और शिविंदर दोनो इन्वेस्टमेंट कंपनी रेलीगेयर के भी पूर्व प्रवर्तक हैं। गुरुवार को शिविंदर सहित चार लोगों को तब गिरफ्तार किया गया जब उन्‍हें मंदिर मार्ग स्थित आर्थिक अपराध कार्यालय में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। वहीं मालविंदर को रात में पंजाब से गिरफ्तार किया गया।  

ईओडब्‍ल्‍यू की डीसीपी वर्षा शर्मा ने बताया कि पुलिस ने शिविंदर सिंह, सुनील गोधवानी, कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना को गुरुवार को गिरफ्तार किया है। आरोपियों को आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत गिरफ्तार किया गया है।

दिसंबर 2018 में, रेलीगेयर फ‍िनवेस्‍ट लिमिटेड द्वारा दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में सिंह बंधुओं और प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई थी। आरोप है की इन्होंने 2,397 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है। रेलीगेयर फ़िनवेस्ट की शिकायत पर 27 मार्च 2019 में ईओडब्‍ल्‍यू ने केस दर्ज कर जांच की और तब ये गिरफ्तारी हुई है।

मामला 2008 से शुरू हुआ जब दोनो सिंह बंधुओं ने अपनी कंपनी रैनबैक्सी को जापन की फार्मा कंपनी डायची सैन्‍यो को बेच दिया था। जिससे सिंह बंधुओं को करीब 9 हजार करोड़ मिले। इन 9 हजार करोड़ में टैक्स चुकाने के बाद करीब 7 हजार करोड़ रुपए सिंह बंधुओं के पास आए थे।  

जिसके बाद सिंह बंधुओं ने रेलीगेयर इंटरप्राइजेज लिमिटेड की शुरुआत की थी, जिसमे 51 प्रतिशत सिंह बंधुओं की हिस्सेदारी थी और 49 प्रतिशत आम जनता की हिस्सेदारी थी। इसके बाद रेलीगेयर इंटरप्राइजेज लिमिटेड से ही रेलीगेयर फ़िनवेस्ट लिमिटेड बनाई गई। रेलीगेयर फ़िनवेस्ट की 85 प्रतिशत हिस्सेदारी रेलीगेयर इंटरप्राइजेज में थी। जिसके बाद करीब 2,397 करोड़ की रकम चालाकी से अन्य कंपनियों में सभी ने मिलकर डायवर्ट की।

ये मामला आरबीआई और सेबी के संज्ञान में भी आया, पड़ताल के बाद खुलासा हुआ की धोखाधड़ी के जरिए डायवर्ट की गई रकम पर तकरीबन 412 करोड रुपए का ब्याज तक बन चुका है। ये मामला आरबीआई के संज्ञान में 2012 में आया लेकिन तब आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

ईओडब्‍ल्‍यू की पड़ताल में ये तथ्य भी सामने आया है कि कैसे सिंह बंधुओ ने ऑडिट बुक्स में धांधली की और फंड्स अपनी शेल कंपनियों में परोक्ष अपरोक्ष रूप से डायवर्ट करते रहे।

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