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25 वर्ष में सबसे अच्‍छा मानसून रहने की वजह से खरीफ उत्‍पादन 14.5 करोड़ टन तक पहुंचने का अनुमान

नेशनल बल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन (एनबीएचसी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस बार 84 प्रतिशत इलाकों में मानसून सामान्य या सामान्य से अधिक रहा है।

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: October 08, 2019 12:57 IST
Food grain output seen at 140.57 mt in FY20 on monsoon boost- India TV Paisa
Photo:FOOD GRAIN OUTPUT SEEN AT

Food grain output seen at 140.57 mt in FY20 on monsoon boost

नई दिल्‍ली। मानसूनी वर्षा के इस बार 25 वर्षो में सबसे अच्छी रहने से 2019-20 के खरीफ मौसम में कुल खाद्यान्न उत्पादन, पिछले पांच वर्षों में औसत से 84 लाख टन ऊंचा हो कर 14 करोड़ 5.7 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

नेशनल बल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन (एनबीएचसी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस बार 84 प्रतिशत इलाकों में मानसून सामान्य या सामान्य से अधिक रहा है। बाकी क्षेत्रों में बारिश अपर्याप्त रही। इसमें कहा गया है कि वर्ष 2019-20 में मानसून में बोई गई खाद्य फसलों का उत्पादन 14 करोड़ 5.7 लाख टन होने की उम्मीद है, जो पिछले पांच वर्षों में औसत उत्पादन से 84 लाख टन अधिक होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल धान का रकबा 2.80 प्रतिशत अधिक रहने का अनुमान है।

पंजाब में पिछले साल की उच्च निर्यात मांग के कारण किसानों ने धान के 20-25 प्रतिशत खेत में गैर-बासमती चावल की जगह बासमती की खेती की है। एनबीएचसी के अनुसंधान और विकास प्रमुख हनीश कुमार सिन्हा ने एक बयान में कहा कि बिहार, ओडिशा और कर्नाटक के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पानी स्तर के घटने के कारण धान के रकबे में सुधार लाने में मदद मिली है लेकिन धान की बुवाई में देरी हुई है जिससे उपज में 2.58 प्रतिशत कमी होने की उम्मीद है।

मक्के की खेती का रकबा बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन बड़े पैमाने पर आर्मीवार्म कीटों से प्रभावित होने के कारण उत्पादन में 5.75 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा कि ज्वार के खेती के रकबे और उत्पादन में क्रमश: 4.79 प्रतिशत और 0.61 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीद है, जबकि बाजरे की खेती का रकबा 2.47 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन इसके उत्पादन में 4.69 प्रतिशत की गिरावट होने की उम्मीद है।

दलहन के क्षेत्र में, अगस्त में व्यापक बरसात के कारण बुवाई के बढ़ने से अरहर और उड़द की खेती का रकबा पिछले साल के मुकाबले अधिक होने की उम्मीद है। सरकार ने भी इसके पुराने भंडारण का निपटान करना शुरू कर दिया है। अरहर खेती का रकबा 1.69 प्रतिशत बढ़ने और उत्पादन में 21.27 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि होने की उम्मीद है। जबकि उड़द का उत्पादन 0.

16 प्रतिशत कम रहने की उम्मीद है। सिन्हा ने कहा कि हमें उम्मीद है कि मूंग खेती के रकबे में 4.66 प्रतिशत की वृद्धि होगी, लेकिन मप्र, महाराष्ट्र और राजस्थान में खेतों में बाढ़ के कारण उत्पादन में 17.23 प्रतिशत की कमी होने का अनुमान है।

तिलहनों में, घरेलू बाजार में अरंडी की बेहतर कीमत की वजह से अरंडी खेती का रकबा 5.32 प्रतिशत बढ़ने और उत्पादन में 21.07 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि होने की संभावना है। तिल और सूरजमुखी के लिए उत्पादन में क्रमश: 8.90 प्रतिशत और 2.32 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान है। मूंगफली और राम तिल के उत्पादन में क्रमश: 4.93 प्रतिशत और 4.93 प्रतिशत का सुधार होने की संभावना है। सोयाबीन का रकबा 5.68 प्रतिशत बेहतर होने की उम्मीद है, लेकिन प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण इसका उत्पादन 17.72 प्रतिशत कम होने की संभावना है। नकदी फसलों का उत्पादन स्थिर रहने की संभावना है क्योंकि गन्ने का रकबा 14.32 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है लेकिन उत्पादन 5.60 प्रतिशत तक घटने की संभावना है क्योंकि प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों के किसानों ने अन्य फसलों का रुख किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कपास खेती का रकबा और उत्पादन क्रमश: 4.32 प्रतिशत और 9.99 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। 

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