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जीएसटी की सफलता के लिए टैक्‍स स्‍लैब घटाने की सलाह, विशेषज्ञों ने कहा सरकार और कारोबारियों के बीच हो बेहतर तालमेल

विशेषज्ञों ने सरकार और कारोबारियों के बीच तालमेल व सहयोग बढ़ाने और टैक्‍स स्लैब की संख्या घटाने की सलाह दी है।

Abhishek Shrivastava Edited by: Abhishek Shrivastava
Updated on: December 26, 2017 17:56 IST
GST- India TV Paisa
GST

नई दिल्ली। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को लागू हुए छह माह पूरे होने को हैं लेकिन कारोबारी अभी इसके साथ पूरी तरह सहज नहीं हो पाए हैं। ऐसे में विशेषज्ञों ने सरकार और कारोबारियों के बीच तालमेल व सहयोग बढ़ाने और टैक्‍स स्लैब की संख्या घटाने की सलाह दी है। 

कारोबारियों का कहना है कि जीएसटी के स्लैब पांच से घटाकर तीन किए जाने चाहिए तथा सेवाओं पर टैक्‍स की दर बढ़ाने के नकारात्मक प्रभाव पर भी गौर करने की जरूरत है। गौरतलब है कि जीएसटी में सेवाओं पर टैक्‍स की दर 14 प्रतिशत से बढ़ कर 18 प्रतिशत हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार सरकार हालांकि, उद्यमियों की जीएसटी से जुड़ी तमाम परेशानियों को दूर करने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है, लेकिन जीएसटी के वास्तविक व्यवहार में आने वाली समस्याओं को जल्द से जल्द दूर किए जाने की जरूरत है।

आर्थिक क्षेत्र के कुछ अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी में शीर्ष दर कम होनी चाहिए। इसमें जो पांच स्लैब हैं उन्हें कम करके तीन किया जाना चाहिए।  हालांकि, सरकार की ओर से भी समय-समय पर इस बारे में संकेत दिए गए हैं कि आने वाले समय में जीएसटी के स्लैब कम किए जाएंगें। जीएसटी में इस समय 0, 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के पांच स्लैब हैं। इसमें 12 और 18 प्रतिशत को मिलाकर एक दर की जा सकती है तथा शीर्ष दर को भी कम किया जा सकता है। 

पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के मुख्य अर्थशास्त्री एसपी शर्मा ने कहा कि जीएसटी के मौजूदा स्लैब को लेकर उद्यमियों में कुछ परेशानी है। इसमें सरलता लाई जानी चाहिए। स्लैब कम होने चाहिए, पांच से कम कर तीन स्लैब होने चाहिए। निर्यातकों को रिफंड नहीं मिल रहा है यह जल्द जारी होना चाहिए।  

दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और ग्लोब कैपिटल इंडिया के चेयरमैन अशोक अग्रवाल का कहना है कि जीएसटी में टैक्‍स की दरें ठीक की जानी चाहिए। ‘जो अब तक 14 प्रतिशत सेवाकर देते रहे हैं उन्हें सेवाकर के रूप में 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ रहा है। यह दर 16 प्रतिशत के आसपास होनी चाहिए। शेयर ब्रोकिंग पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। रिटर्न फॉर्म को और आसान करने की जरूरत है। ई-वे बिल को जल्द लागू किया जाना चाहिए।  

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