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एस्‍सार ग्रुप करेगी अपने पूर्व शेयरधारकों को 75.48 रुपए प्रति शेयर का अतिरिक्‍त भुगतान, खर्च होंगे 880 करोड़ रुपए

एस्‍सार ग्रुप ने कहा है कि वह एस्‍सार ऑयल के पूर्व-शेयरधारकों को सूचीबद्धता समाप्ति मूल्‍य के अलावा 75.48 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से अतिरिक्‍त भुगतान करेगी

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: August 22, 2017 17:50 IST
एस्‍सार ग्रुप करेगी अपने पूर्व शेयरधारकों को 75.48 रुपए प्रति शेयर का अतिरिक्‍त भुगतान, खर्च होंगे 880 करोड़ रुपए- India TV Paisa
एस्‍सार ग्रुप करेगी अपने पूर्व शेयरधारकों को 75.48 रुपए प्रति शेयर का अतिरिक्‍त भुगतान, खर्च होंगे 880 करोड़ रुपए

नई दिल्‍ली। एस्‍सार ग्रुप ने आज कहा है कि वह एस्‍सार ऑयल के पूर्व-शेयरधारकों को डीलिस्टिंग मूल्‍य के अलावा 75.48 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से अतिरिक्‍त भुगतान करेगी, जिन्‍होंने डीलिस्टिंग के लिए अपने शेयर ओपन ऑफर के तहत प्रस्‍तुत किए थे। एस्‍सार ऑयल को रूस की रोसनेफ्ट 12.9 अरब डॉलर में खरीदने जा रही है। कंपनी ने एक बयान में कहा है कि एस्‍सार ऑयल के पूर्व आम शेयरधारकों को डीलिस्टिंग प्राइस के अलावा अतिरिक्‍त 880 करोड़ रुपए या 75.48 रुपए प्रति शेयर का भुगतान किया जाएगा, इससे कुल भुगतान 3064 करोड़ रुपए से बढ़कर 3,944 करोड़ रुपए हो जाएगा।

यह फैसला सोमवार को की गई सार्वजनिक घोषणा के बाद और सेबी के दिशा-निर्देशों पर किया गया है। पूर्व छोटे शेयरधारकों, जिन्‍होंने फरवरी 2015 के डीलिस्टिंग ऑफर में अपने शेयरों को प्रस्‍तुत किया था, उन्‍हें प्रत्‍येक पेश किए गए शेयर के बदले 75.48 रुपए का अतिरिक्‍त भुगतान किया जाएगा। कंपनी ने कहा है कि एस्‍सार ऑयल को बेचने का सौदा 338.28 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से हो रहा है और डीलिस्टिंग के समय शेयरधारकों को 262.80 रुपए प्रति शेयर का भुगतान किया गया है, इसलिए अब इस अंतर को खत्‍म करने के लिए उन्‍हें प्रति शेयर अतिरिक्‍त 75.48 रुपए का भुगतान किया जाना है।

उल्‍लेखनीय है कि देश में सबसे बड़े एफडीयू सौदे के तहत एस्‍सार ग्रुप ने सोमवार को अपनी प्रमुख कंपनी एस्‍सार ऑयल और 5.8 करोड़ टन क्षमता वाला ऑयल टर्मिनल, 1010 मेगावाट पावर प्‍लांट तथा 3500 पेट्रोल पंपों को रूसी सरकार के नियंत्रण वाली रोसनेफ्ट को 12.9 अरब डॉलर में बेचने की घोषणा की थी। देश में यह अब तक का सबसे बड़ा विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश होगा।

पूर्व-छोटे शेयरधारकों को अतिरिक्‍त भुगतान का यह मुद्दा उस समय सामने आया जब यह बात उठी की डीलिस्टिंग से प्रमोटर्स को ज्‍यादा फायदा हुआ है। इससे सेबी ने इस मामले में दखल दिया और प्रमोटर्स से डीलिस्टिंग प्राइस और अंतिम सौदा राशि के बीच के अंतर का भुगतान पूर्व-शेयरधारकों को करने के लिए कहा।

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