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भारतीय कंपनियों का विदेशी में प्रत्यक्ष निवेश मई में 48 फीसदी बढ़कर 2.7 अरब डॉलर

भारतीय कंपनियों का मई महीने के दौरान विदेश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सालाना स्तर पर 48.2 फीसदी बढ़कर 2.69 अरब डॉलर हो गया।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: June 15, 2016 18:15 IST
भारतीय कंपनियों का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश मई में 48 फीसदी बढ़कर 2.7 अरब डॉलर हुआ- India TV Paisa
भारतीय कंपनियों का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश मई में 48 फीसदी बढ़कर 2.7 अरब डॉलर हुआ

मुंबई। भारतीय कंपनियों का मई महीने के दौरान विदेश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सालाना स्तर पर 48.2 फीसदी बढ़कर 2.69 अरब डॉलर हो गया। यह बात RBI के आंकड़े में कही गई है। उन्होंने पिछले साल के इसी महीने के दौरान अपने विदेशी उद्यमों में 1.82 अरब डॉलर का निवेश किया था। इस साल अप्रैल में भारतीय कंपनियों की ओर से किया गया प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 3.11 अरब डॉलर था।

मई में भारतीय कंपनियों ने विदेशों में 1.95 अरब डॉलर की गारंटी जारी की, 36.59 करोड़ डॉलर के ऋण और 38.37 करोड़ डॉलर की इक्विटी में निवेश किया। मई माह में विदेश में निवेश करने वाले प्रमुख निवेशकों में वीडियोकॉन आयल वेंचर्स (20.40 करोड़ डॉलर), वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज (14.5 करोड़ डॉलर) और लार्सन एंड टूब्रो लिमिटेड (14.44 करोड़ डॉलर) रहे।

भारत पर ऋण का बोझ कम, वृद्धि का परिदृश्य उत्साहवर्धक: HSBC

एशिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत पर ऋण का बोझ निचले स्तर पर है और यह एक ठोस वृद्धि दर्ज कर सकता है। वृद्धि के मोर्चे पर अधिकतम बढ़ोतरी की क्षमता है। HSBC की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी के अनुसार उभरते एशियाई क्षेत्र को दो ब्लाकों उच्च निर्यात आधारित बाजार मसलन कोरिया, ताइवान, हांगकांग, सिंगापुर, मलेशिया तथा थाइलैंड तथा बंद अर्थव्यवस्थाओं मसलन भारत, इंडोनेशिया तथा फिलिपींस में बांटा जा सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पहला ब्लाक काफी हद तक बाहरी मांग पर निर्भर करता है, इसलिए उस पर कर्ज का बोझ काफी ज्यादा है। ऐसे में वहां वृद्धि की दृष्टि से सकारात्मक चीजें कम हैं। वहीं दूसरे समूह में इंडोनेशिया की ऋण से जीडीपी अनुपात दर संभवत: सबसे कम है। फिलिपींस भी अधिक पीछे नहीं है। भारत का ऋण का बोझ इनसे कुछ अधिक है, पर यह ज्यादातर सरकार पर है। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2015-16 में 7.6 फीसदी रही । चालू वित्त वर्ष में सरकार को वृद्धि दर 7 से 7.75 फीसदी के बीच रहने की उम्मीद है।

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