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Demonetisation Effect: नोटबंदी से भरी सरकार की जेब, अघोषित आय पर अभी तक मिला 6,000 करोड़ का टैक्‍स

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद से सरकार को अब तक अघोषित रूप से जमा किए गए धन पर 6,000 करोड़ रुपए का टैक्‍स मिला है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Updated on: March 18, 2017 12:05 IST
Demonetisation Effect: नोटबंदी से भरी सरकार की जेब, अघोषित आय पर अभी तक मिला 6,000 करोड़ का टैक्‍स- India TV Paisa
Demonetisation Effect: नोटबंदी से भरी सरकार की जेब, अघोषित आय पर अभी तक मिला 6,000 करोड़ का टैक्‍स

नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा के बाद से सरकार को अब तक अघोषित रूप से जमा किए गए धन पर 6,000 करोड़ रुपए का टैक्‍स मिला है। इस आंकड़े के भविष्‍य में बढ़ने की उम्‍मीद की जा रही है। इतना ही नहीं नोटबंदी के बाद नजर में आए कालाधन रखने वालों के खिलाफ सरकार ने कड़ी कार्रवाई भी की है।

कालेधन पर गठित विशेष जांच दल के उपाध्‍यक्ष जस्टिस अरिजित पसायत ने बताया कि,

नोटबंदी की घोषणा के बाद से सरकार को अब तक 6,000 करोड़ रुपए का टैक्‍स मिला है। हमें पूरी उम्‍मीद है कि आगे आने वाले दिनों में इस राशि में अभी और इजाफा होगा।

  • टैक्‍स अधिकारियों ने उन लोगों से जानकारी मांगी थी, जिन्‍होंने नोटबंदी के बाद अपने या दूसरे लोगों के खातों में नगदी जमा करवाई थी।
  • उनके पास टैक्‍स देने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं था, बहुत से लोगों ने सजा से बचने के लिए अघोषित आय पर 60 प्रतिशत टैक्‍स देने का विकल्‍प चुना, जिसे बढ़ाकर अब 75 प्रतिशत कर दिया गया है।
  • नोटबंदी के बाद बैंकों में जमा की गई अघोषित आय नगदी पर जहां सरकार को 6,000 करोड़ रुपए का टैक्‍स मिला है, वहीं अर्थव्‍यवस्‍था में 70,000 करोड़ रुपए लौट आए हैं।
  • नोटबंदी के बाद पहले चरण में काले धन के खिलाफ चलाए गए अभियान में केवल 50 लाख या उससे अधिक जमा करने वालों पर नजर रखी गई थी।
  • इस तरह  के जमाकर्ताओं को एसएमएस या ई-मेल भेजे गए। कई लोग सजा से बचने के लिए टैक्स देने को तैयार हो गए हैं और ओडिशा जैसे गरीब राज्य में हजारों लोगों को ऐसे ईमेल और एसएमएस भेजे गए हैं।
  • 50 लाख रुपए से अधिक जमा कराने वाले 1,092 लोगों ने अभी तक नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया है।
  • अघोषित कैश जमा कराने वाले लोगों से पूछताछ करने के लिए टैक्स अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
  • राशि जमा करने वाले व्यापारियों से पिछले तीन साल की बैलेंस शीट मांगने के अलावा हर साल के आईटीआर का ब्यौरा भी मांगा गया है।

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