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मोदी 2.0 की वापसी के साथ कच्चा तेल भी हुआ सस्ता, नतीजों से लेकर अबतक 14% घटे दाम

जिस दिन लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आए हैं, उस दिन यानि 23 मई से लेकर अबतक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 14 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 04, 2019 10:41 IST
Crude oil prices falls about 14 percent since May 23rd- India TV Paisa

Crude oil prices falls about 14 percent since May 23rd

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी के पिछले कार्यकाल में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट रही जिस वजह से मोदी को किस्मत वाला प्रधानमंत्री कहा गया और कच्चे तेल को प्रधानमंत्री मोदी का दोस्त बताया गया। अब मोदी  सरकार की फिर से सत्ता में वापसी हुई है और कच्चे तेल की कीमतों में भी फिर से गिरावट देखने को मिल रही है।

14 प्रतिशत घटे दाम

जिस दिन लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आए हैं, उस दिन यानि 23 मई से लेकर अबतक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगभग 14 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। 23 मई को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का भाव 61.41 डॉलर प्रति बैरल के ऊपरी स्तर तक गया था, लेकिन आज मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव 52.86 डॉलर प्रति बैरल तक लुढ़क गया है।

ब्रेंट क्रूड का भाव भी हुआ कम

ब्रेंट क्रूड की बात करें तो उसकी कीमतों में भी 23 मई से लेकर अबतक 13 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है। 23 मई को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमतों ने 69.88 डॉलर प्रति बैरल का ऊपरी स्तर छुआ था और अब यह भाव घटकर 60.76 डॉलर प्रति बैरल के निचले स्तर तक आया है।

पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटी

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का ही असर है कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार गिरावट देखी जा रही है। मंगलवार को लगातार छठे दिन पेट्रोल और डीजल के भाव घटे हैं। मंगलवार को दिल्ली में पेट्रोल का दाम घटकर 71.23 रुपए और डीजल का दाम घटकर 65.56 रुपए प्रति लीटर दर्ज किया गया है।

अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है सस्ता कच्चा तेल

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल जितना सस्ता होगा, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उतना ही फायदा होगा, देश को पेट्रोल और डीजल की जरूरत को पूरा करने के लिए अधिकतर तेल विदेशों से आयात करना पड़ता है और विदेशों से तेल आया करने के लिए विदेशी मूद्रा खर्च करनी पड़ती है, तेल अगर महंगा होगा तो ज्यादा विदेशी मुद्रा खर्च होगी और इससे देश के खजाने पर बोझ पड़ेगा और इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है।

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