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Poor Monsoon: किसानों के लिए मुश्किल भरा रहा साल 2015, उत्पादन घटने से चढ़े दालों और सब्जियों के दाम

विभिन्न राज्यों में सूखे और बेमौसमी बारिश के चलते 2015 किसानों (खेतीबाड़ी) के लिए कठिन साल रहा। इस दौरान अनेक किसानों ने आत्महत्या तक की।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: December 31, 2015 12:56 IST
Poor Monsoon: किसानों के लिए मुश्किल भरा रहा साल 2015, उत्पादन घटने से चढ़े दालों और सब्जियों के दाम- India TV Paisa
Poor Monsoon: किसानों के लिए मुश्किल भरा रहा साल 2015, उत्पादन घटने से चढ़े दालों और सब्जियों के दाम

नई दिल्ली। विभिन्न राज्यों में सूखे और बेमौसमी बारिश के चलते 2015 किसानों (खेतीबाड़ी) के लिए कठिन साल रहा। इस दौरान अनेक किसानों ने आत्महत्या तक की। यही नहीं भारत का खाद्यान्न उत्पादन भी नए साल यानी 2016 में लगातार दूसरे वर्ष घटने का अनुमान है। कम कृषि उत्पादन के कारण इस साल दालों, प्याज, टमाटर और सरसों तेल की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिला। 2014-15 के दौरान देश में करीब 5 फीसदी खाद्यान्न उत्पादन घटा है।

कम बारिश से घटा उत्पादन

कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया, इस वर्ष 14 फीसदी कम बारिश के कारण और अधिक जिले सूखे की चपेट में रहे। निश्चित तौर पर कृषि उत्पादन पर कुछ प्रभाव होगा लेकिन उतना नहीं जितना कि हर कोई बरसात के मौसम की शुरूआत के समय आशंका जता रहा था। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन पर ये प्रतिकूल असर कम से कम रहने का अनुमान है, क्योंकि सरकार ने किसानों को फसल बचाने के लिए कई अन्य चीजों के अलावा बीज और डीजल सब्सिडी जैसे समय पर कदम उठाए। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने कर्नाटक, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे चार राज्यों के लिए 7,898 करोड़ रुपए का सूखा राहत पैकेज का आवंटन किया जबकि बाकी छह राज्यों के प्रस्तावों पर फैसला जल्द लिया जाएगा।

देश में 10 फीसदी कम पैदा हुआ दाल

वर्ष 2014-15 फसल वर्ष में देश का खाद्यान्न उत्पादन 4.66 फीसदी घटकर 25 करोड़ 26.8 लाख टन रह गया। उत्पादन में सर्वाधिक गिरावट दलहनों में रही जिनका उत्पादन करीब 10 फीसदी घटकर 1.72 करोड़ टन ही रह गया। इसका परिणाम यह हुआ कि इनकी खुदरा कीमतें 200 रुपए प्रति किलो तक की उंचाई पर जा पहुंची। दाल की ऊंची कीमतें बिहार विधानसभा चुनावों में राजनीतिक मुद्दा भी बना। सब्जियों, विशेषकर प्याज और टमाटर की अधिक कीमतों ने सरकार को चौकन्ना बनाए रखा। इसके विपरीत चीनी की कम कीमत चीनी उद्योग और सरकार दोनों के लिए परेशानी का सबब बना रहा क्योंकि किसानों के गन्ने का बकाया बढ़कर 21,000 करोड़ रुपए हो गया है।

2016 में खेती की लागत घटाना प्राथमिकता

वर्ष 2016 के लिए प्राथमिकताओं के बारे में पूछने पर मंत्री ने कहा कि सरकार खेती की लागत कम करने पर ध्यान केन्द्रित करेगी और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय कृषि बाजार और जल्द शुर किए जाने वाले फसल बीमा योजना के प्रभावी अमल के जरिए किसानों को मुनाफा सुनिश्चित करने पर होगी। सिंह ने कहा, हम चाहते हैं कि किसानों को अपने खेती की लागत पर 50 फीसदी का मुनाफा सुनिश्चित हो। बेहतर बीज, उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल, सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाना.. इन सभी से किसानों को अपनी खेती की लागत कम करने में मदद मिलेगी। प्रख्यात कृषि वैग्यानिक एम एस स्वामीनाथन ने वर्ष 2015 को किसानों को खेती के लिए एक मुश्किल वर्ष बताया है। अगले वर्ष के परिदृश्य के बारे में उन्होंने कहा, अनिश्चित मौसम के मद्देनजर कुछ कमी रहेगी। हालांकि हमारे कृषि ने पर्याप्त झेलने की शक्ति प्राप्त की है।

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