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क्रेडिट ग्रोथ 60 साल के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर, एनपीए और कंपनियों की कमजोर मांग का असर

ऊंचे डूबे कर्ज और कंपनियों की कमजोर मांग से बीते वित्त वर्ष 2016-17 में ऋण की वृद्धि दर (क्रेडिट ग्रोथ) छह दशक के निचले स्तर 5.08 प्रतिशत पर आ गई।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Published on: April 16, 2017 14:50 IST
क्रेडिट ग्रोथ 60 साल के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर, एनपीए और कंपनियों की कमजोर मांग का असर- India TV Paisa
क्रेडिट ग्रोथ 60 साल के निचले स्तर 5 प्रतिशत पर, एनपीए और कंपनियों की कमजोर मांग का असर

मुंबई। ऊंचे डूबे कर्ज और कंपनियों की कमजोर मांग से बीते वित्त वर्ष 2016-17 में ऋण की वृद्धि दर (क्रेडिट ग्रोथ) छह दशक के निचले स्तर 5.08 प्रतिशत पर आ गई। एक साल पहले यह 10.7 प्रतिशत थी। रिजर्व बैंक के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार मार्च में समाप्त वित्त वर्ष के दौरान बैंकों का बकाया ऋण 78.81 लाख करोड़ रुपए था, जो एक अप्रैल, 2016 में 75.01 लाख करोड़ रुपए था। यह आंकड़े इस दृष्टि से आश्चर्यजनक है क्योंकि अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत वृद्धि दर की ओर बढ़ रही है और ब्याज दरें नीचे आ रही हैं। इसकी एक प्रमुख वजह है कि कॉरपोरेट बांड बाजार तेजी से बढ़ रहा है, जहां से कंपनियां कार्यशील पूंजी आदि के लिए भी कोष जुटा रही हैं।

इनमें से ज्यादातर कंपनियों ने बहुत अधिक कर्ज लिया हुआ है जिसकी वजह से बैंक इन्हें और ऋण देने में कतरा रहे हैं। केंद्रीय बैंक के अनुसार 2016-17 में ऋण की वृद्धि दर 1953-54 के बाद सबसे निचले स्तर पर है। उस समय ऋण की वृद्धि दर मात्र 1.7 प्रतिशत रही थी। मार्च, 2016 को समाप्त वित्त वर्ष में बैंक की ऋण वृद्धि 10.69 प्रतिशत के साथ 75.30 लाख करोड़ पर पहुंची थी।

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