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Three Impact: चीन में गहरा सकती है मंदी, आपकी जेब पर ऐसे पड़ेगा असर

चीन की आर्थिक रफ्तार बढ़ने के बजाए लगातार धीमी पड़ती नजर आ रही है। अक्टूबर में चीन का इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शन घटकर छह महीने के निचले स्तर पर आ गई है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: November 12, 2015 13:05 IST
Three Impact: चीन में गहरा सकती है मंदी, आपकी जेब पर ऐसे पड़ेगा असर- India TV Paisa
Three Impact: चीन में गहरा सकती है मंदी, आपकी जेब पर ऐसे पड़ेगा असर

बीजिंग। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था चीन की आर्थिक रफ्तार बढ़ने के बजाए लगातार धीमी पड़ती नजर आ रही है। अक्टूबर में चीन का इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन घटकर छह महीने के निचले स्तर पर आ गया है। हालांकि इसका फायदा देश के आम उपभोक्ता को मिल सकता है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा कमोडिटी कंज्यूमर देश है। ऐसे में वहां से डिमांड घटने पर क्रूड ऑयल, कॉटन और मेटल्स के दाम गिरने की आशंका गहरा रही है।

इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 6 महीने में सबसे कम

नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टेटिस्टिक्स (एनबीएस) ने कहा कि अक्टूबर में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन की ग्रोथ रेट 5.6 फीसदी रही, जो इस साल मार्च के बाद सबसे निचला स्तर है। एक महीन पहले सितंबर में इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन ग्रोथ रेट 5.7 फीसदी रही थी। चीन में लगातार गिरत इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के आंकड़ों ने सभी की चिंता बढ़ा दी है। इकॉनोमिस्ट के बीच कराए गए एक सर्वे में अक्टूबर के लिए इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन की ग्रोथ रेट 5.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। एनबीएस ने एक बयान में कहा, इंडस्ट्रियल इकोनॉमी अब भी दबाव का सामना कर रही है। मैन्युफैक्चरिंग में जरूरत से ज्‍यादा क्षमता विस्‍तार, देश के प्रापर्टी बाजार में नरमी और स्थानीय सरकारों पर बढ़ता कर्ज का बोझ उन कारणों में शामिल हैं जिनसे ग्रोथ प्रभावित हुई।

लगातार घट रही है चीन की ग्रोथ

चीन की ग्रॉस जीडीपी ग्रोथ पिछले साल 7.3 फीसदी रही, जो कि 1990 के बाद सबसे धीमी ग्रोथ रही। इस साल की पहली दो तिमाहियों में यह 7.0 फीसदी रही। जुलाई-सितंबर तिमाही में यह और घटकर 6.9 फीसदी रह गई जो कि छह साल में सबसे कम ग्रोथ रही।

आपके जेब पर ऐसे होगा असर

1. केडिया कमोडिटी के एमडी अजय केडिया के मुताबिक एक बाद एक चीन के खराब आर्थिक आंकड़ों का नकारात्मक असर कमोडिटी की कीमतों पर देखने को मिल सकता है। चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल उपभोक्ता देश है। ऐसे में लगातार रिगते इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के आंकड़ों के कारण चीन से क्रूड की मांग में कमी आ सकती है। इसके कारण क्रूड की कीमतों में गिरावट की संभावना है। क्रूड की कीमतों में गिरावट आती है तो पेट्रोल-डीजल के दाम घटेंगे।

2. एग्री एक्सपोर्ट वेद प्रकाष शर्मा ने बताया कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा कॉटन उपभोक्ता देश है और वहां से मांग लगातार गिर रही है। इसका असर घरेलू बाजार पर भी दिखा है। शर्मा के मुताबिक सर्दियों के सीजन में इस साल कपास की कीमतें बढ़ने की बजाए घट सकती है। यह आम उपभोक्ता के लिए राहत की बात है लेकिन, इसके कारण किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती है।

3. वर्ल्ड बैंक ने हाल में अपनी में रिपोर्ट में कहा कि चीन से मांग में कमजोरी 2015 के दौरान बेसमेटल्स की कीमतों में गिरावट की प्रमुख वजह है। ग्लोबल मार्केट में ओवर सप्लाई और चीन से कमजोर मांग के कारण आयरन ओर की कीमतें पिछले एक साल में आधी से भी कम रह गई है। यही हाल बाकी मेटल्स का भी है। कॉपर से लेकर जिंक तक सभी की कीमतों में जोरदार गिरावट आई है।

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