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सरकार ने बढ़ाए मंत्रियों और विभागों के वित्‍तीय अधिकार, प्रोजेक्‍ट मंजूरी में आएगी अब और तेजी

सरकार ने विभागों और मंत्रालयों के वित्‍तीय अधिकार बढ़ा दिए हैं। मंत्रियों को अब 500 करोड़ रुपए तक के प्रोजेक्‍ट्स को मंजूरी देने का अधिकार है।

Abhishek Shrivastava Abhishek Shrivastava
Published on: June 28, 2016 16:24 IST
सरकार ने बढ़ाए मंत्रियों और विभागों के वित्‍तीय अधिकार, प्रोजेक्‍ट मंजूरी में आएगी अब और तेजी- India TV Paisa
सरकार ने बढ़ाए मंत्रियों और विभागों के वित्‍तीय अधिकार, प्रोजेक्‍ट मंजूरी में आएगी अब और तेजी

नई दिल्‍ली। प्रोजेक्‍ट्स की मंजूरी में तेजी लाने के लिए सरकार ने विभागों और मंत्रालयों के वित्‍तीय अधिकार बढ़ा दिए हैं। मंत्रियों को अब 500 करोड़ रुपए तक के प्रोजेक्‍ट्स को मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है, जबकि इससे पहले उन्हें 150 करोड़ रुपए तक के प्रोजेक्‍ट्स को मंजूरी देने का अधिकार था। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इसके अलावा 500 करोड़ रुपए से अधिक तथा 1,000 करोड़ रुपए तक के प्रोजेक्‍ट्स को वित्त मंत्री मंजूरी दे सकते हैं। 1,000 करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्‍ट्स के लिए मंत्रिमंडल से मंजूरी की जरूरत होगी।

इसमें कहा गया है, संशोधित नियम के तहत गैर-योजना व्यय मामलों की समिति (सीएनई) अब 300 करोड़ रुपए और उससे अधिक के व्यय से संबद्ध प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगी। इससे पहले यह सीमा 75 करोड़ रुपए थी। समिति केंद्र सरकार के मंत्रालयों या विभागों के गैर-योजनागत प्रस्तावों के लिए एक मूल्यांकन मंच के रूप में काम करती है।

तीन सौ करोड़ रुपए से कम गैर-योजनागत कार्यक्रमों या परियोजनाओं का आकलन मंत्रालय या संबद्ध मंत्रालय की स्थायी वित्त समिति करेगी। गैर-योजनागत परियोजनाओं के मामले में संबद्ध मंत्रालय के प्रभारी मंत्री की वित्तीय शक्तियां भी बढ़ाई गई हैं और 500 करोड़ रुपए से कम लागत वाली योजनाओं को अब इस स्तर पर मंजूरी दी जा सकती है।

बयान के अनुसार पूर्व में प्रभारी मंत्री 150 करोड़ रुपए से कम लागत वाले प्रोजेक्‍ट्स को मंजूरी दे सकते थे। बयान में कहा गया है कि 1,000 करोड़ रुपए या उससे अधिक के प्रस्तावों पर मंत्रिमंडल या मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति निर्णय करेगी। इसके साथ ही आकलन के संदर्भ में वित्तीय सीमा तथा लागत अनुमान में वृद्धि को लेकर भी नियम संशोधित किए गए हैं। बयान के अनुसार, निर्धारित लागत में अगर 20 फीसदी या 75 करोड़ रुपए तक की वृद्धि होने पर वित्तीय सलाहकार उसकी समीक्षा कर सकते हैं और इस बारे में निर्णय संबद्ध विभाग के सचिव करेंगे। लेकिन इससे अधिक वृद्धि होने पर संबद्ध विभाग के मंत्रालय निर्णय करेंगे। बयान में कहा गया है कि इस कदम से मूल्यांकन तथा मंजूरी प्रक्रिया में तेजी आएगी।

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