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बंबई उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश देखेंगे आंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया का काम: उच्चतम न्यायालय

सुप्रीम कोर्ट ने सहारा की आंबी वैली की संपत्तियों को नीलामी के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया तय करने का काम बंबई उच्च न्यायालय के 2 जजों पर छोड़ दिया है

Manish Mishra Manish Mishra
Published on: November 24, 2017 13:30 IST
बंबई उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश देखेंगे सहारा की आंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया का काम: उच्चतम न्यायालय- India TV Paisa
बंबई उच्च न्यायालय के दो न्यायाधीश देखेंगे सहारा की आंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया का काम: उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सहारा की आंबी वैली की संपत्तियों को नीलाम करने के लिये अपनाई जाने वाली प्रक्रिया तय करने का काम बंबई उच्च न्यायालय के दो न्यायधीशों पर छोड़ दिया है। इसके साथ ही शीर्ष न्यायालय ने आधिकारिक परिसमापक को निर्देश दिया है कि प्रक्रिया में कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की तीन सदस्यीय पीठ ने अवमानना प्रक्रिया का सामना कर रहे सहारा समूह प्रमुख सुब्रत रॉय को मामले में चेतावनी भी दी है कि उन्हें फिर से जेल भेजा जा सकता है।

बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के यह सूचित करने के बाद कि आंबी वैली की कुछ संपत्तियों के मालिकाना हक को लेकर भ्रम है, न्यायालय ने यह चेतावनी दी। शीर्ष अदालत ने सेबी का पक्ष रख रहे वकील अरविंद दातार की दलीलें सुनी। दातार ने कहा कि उच्च न्यायालय के न्यायधीश नीलामी को आगे बढ़ाने के लिये शीर्ष अदालत से कुछ दिशानिर्देश चाहते हैं।

इसके बाद खंडपीठ ने कहा कि,

हमने अरविंद पी दातार को सुना। हमें लगता है, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के पास नीलामी प्रक्रिया तय करने की छूट है जिससे नीलामी की जा सके। आधिकारिक परिसमापक द्वारा सुझायी गयी नीलामी प्रक्रिया पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए एस ओका के साथ विचार-विमर्श कर कंपनी न्यायधीश द्वारा विचार किया जाना चाहिए।

सहारा समूह ने इससे पहले 24,000 करोड रुपए के मूलधन में बची करीब नौ हजार करोड़ रुपए की राशि का भुगतान करने के लिये 18 महीने का समय मांगा था। शीर्ष अदालत ने आंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया में सहारा समूह द्वारा कथित रूप से अडंगा डालने पर 12 अक्‍टूबर को कड़ी आपत्ति की थी ओर उसे चेतावनी दी थी कि जो कोई भी इसमें बाधा डालेगा वह अवमानना की कार्यवाही का हकदार होगा और उसे जेल भेज दिया जायेगा।

शीर्ष अदालत उस समय इस बात से नाराज हो गयी जब सेबी ने दावा किया था कि सहारा समूह ने इस संपत्ति के मामले में कानून व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुये पुणे पुलिस को एक पत्र लिखकर नीलामी प्रक्रिया में कथित रूप से बाधा डालने का प्रयास किया है।

समूह के मुखिया सुब्रत राय करीब दो साल तक तिहाड़ जेल में बंद थे और उन्हें पिछले साल छह मई को अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिये पैरोल पर रिहा किया गया था। इसके बाद से उनकी पैरोल की अवधि बढाई जाती रही है।

सुब्रत राय के अलावा दो निदेशक रवि शंकर दुबे और अशोक राय चौधरी भी समूह की सहारा इंडिया रियल एस्टेट कार्पोरेशन और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेन्ट कार्प लि के शीर्ष अदालत के 31 अगस्त, 2012 के आदेश पर अमल करने में विफल रहने के कारण जेल भेज दिये गये थे। इन्हें निवेशकों का 24000 करोड़ रुपए लौटाने के न्यायिक आदेश पर अमल करने में विफल रहने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था।

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