Friday, March 29, 2024
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'राहुल गांधी ने राफेल विमान की बताई हैं 4 अलग-अलग कीमतें', वित्त मंत्री ने पूछे कांग्रेस से 15 सवाल

वित्त मंत्री ने एक फेसबुक पोस्ट राफेल विमान सौदे को लेकर सरकार का पक्ष रखा और साथ में कांग्रेस पार्टी पर सौदे में देरी करने और देश की सुरक्षा के साथ समझौता करने का आरोप भी लगाया

Manoj Kumar Reported by: Manoj Kumar @kumarman145
Updated on: August 29, 2018 14:02 IST
Arun Jaitley Statement on Rafale Deal- India TV Paisa

Arun Jaitley Statement on Rafale Deal

नई दिल्ली। राफेल विमान के सौदे को लेकर सरकार और कांग्रेस एक बार फिर से आमने सामने है, एक ओर कांग्रेस ने आज इस मुद्दे पर देशभर में 7 जगहों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सरकार को घेरने की रणनीति अपनाई है तो दूसरी तरफ सरकार की तरफ से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मोर्चा संभाला है। बुधवार को वित्त मंत्री ने एक फेसबुक पोस्ट राफेल विमान सौदे को लेकर सरकार का पक्ष रखा और साथ में कांग्रेस पार्टी पर सौदे में देरी करने और देश की सुरक्षा के साथ समझौता करने का आरोप भी लगाया।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लिखा कि UPA ने राफेल सौदे में 10 साल से ज्यादा की देरी की और देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया। वित्त मंत्री ने लिखा कि राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की तरफ से इस सौदे की कीमत और प्रक्रिया को लेकर जो कहा गया है वह पूरी तरह से झूठा है। वित्त मंत्री ने आरोप लगाया कि देश की सुरक्षा खरीद में और देरी किए जाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि सुरक्षा तैयारियां प्रभावित हो सके।

वित्त मंत्री ने राफेल विमान सौदे को लेकर कांग्रेस की तरफ से उठाए जा रहे सवालों के जवाब में 15 सवाल पूछे हैं जो इस तरह से हैं। अपने सवालों में वित्त मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी ने अबतक इस सौदे के बारे में सरकार पर जो भी आरोप लगाए हैं उनमें 4 अलग-अलग कीमतें बताई गई हैं, इस साल अप्रैल और मई में उन्होंने दिल्ली और कर्नाटक में विमान की कीमत 700 करोड़ रुपए बताई, संसद में दिए बयान में वह घटकर 520 करोड़ रुपए पर आ गए, इसके बाद रायपुर में दिए बयान में वह बढ़कर 540 करोड़ तक पहुंच गए, जयपुर में अपने एक ही भाषण में उन्होंने 540 और 520 करोड़ रुपए का अलग-अलग आंकड़ा दिया, इसके बाद हैदराबाद में उन्होंने 526 करोड़ रुपए के आंकड़े का अविष्कार किया। वित्त मंत्री ने लिखा कि अगर सच्चाई हो तो उसका सिर्फ एक वर्जन होता है लेकिन झूठ के ज्यादा वर्जन हो सकते हैं।

सौदे में हुई देरी को लेकर पूछे गए सवाल

  1. UPA सरकार एक ऐसी सरकार थी जिसमें निर्णय लेने की क्षमता नहीं थी, क्या आप सहमत हैं कि राफेल सौदे में एक दशक से ज्यादा की देरी इसी वजह से हुई है?
  2. सौदे में अबतक जो देरी हुई है क्या उसकी वजह से देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया गया है? हमारे पड़ोसी देश जब अपनी सुरक्षा मजबूत करने में लगे हुए हैं तो क्या आपको नहीं लगता कि लक्ष्य का पता लगाकर उसपर निशाना साधने के लिए ऐसे समय में हमारी सेना के लिए मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट की जरूरत है?
  3. सौदे मे देरी करने और अंतत: खरीदारी रोकने के पीछे UPA का मकसद क्या वैसा ही है जैसा 155 एमएम बोफोर्स गन खरीद के समय था?

आधारहीन तथ्य

  1. राहुल गांधी ने अप्रैल और मई के दौरान कर्नाटक में विमान की कीमत 700 करोड़ रुपए बताई, फिर संसद में 520 करोड़ रुपए का बयान दिया, इसके बाद रायपुर में इसे बढ़ाकर 540 करोड़ रुपए बताया, जयपुर में एक ही भाषण में दो अलग-अलग आंकड़े यानि 520 और 540 करोड़ रुपए बताए गए और हैदराबाद में 526 करोड़ रुपए का आंकड़ा बताया गया। सच्चाई का हमेशा एक वर्जन होता है जबकि झूठ के कई। क्या ये सारे आरोप राफेल सौदे की की जानकारी लिए बगैर लगाए गए हैं?
  2. क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को भाव के अंतर की जानकारी है? 2007 में L1 बिड के समय जो भाव बताया गया था क्या राहुल गांधी को उसकी जानकारी है?
  3. क्या राहुल गांधी को जानकारी है कि NDA सरकार के समय हुई डील में हर जहाज का बेसिक प्राइस UPA के समय हुई डील से 9 प्रतिशत कम है?
  4. क्या राहुल गांधी इससे इनकार कर सकते हैं कि हथियारों के साथ जहाज खरीद की जो कीमत UPA के समय लगाई गई थी वह NDA के समय हुई डील से 20 प्रतिशत ज्यादा है?
  5. क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी इससे इनकार कर सकते हैं कि राफेल सौदे की कुल लागत जिसमें हथियार और अन्य साजो सामान वगैरह के लिए NDA की शर्तें 2007 में बताई गई UPA की शर्तों से ज्यादा अनुकूल हैं?

निजी उद्योग की भूमिका

  1. क्या राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी इससे इंकार कर सकते हैं कि राफेल विमान की सप्लाई को लेकर भारत सरकार और किसी निजी उद्योग के साथ कोई कॉन्ट्रेक्ट नहीं हुआ है? यहां तक की देश में आने वाले 36 राफेल विमान में से किसी की भी भारत में मैन्युफैक्चरिंग नहीं होगी, वह सीधे सप्लाई किए जाएंगे।
  2. UPA की पॉलिसी के तहत जहाज के असली पुर्जे बनाने वाली कंपनी किसी भी और कितने भी भारतीय साझेदारों को चुन सकती है, वह निजी सेक्टर से भी हो सकते हैं और सरकारी सेक्टर से भी, इसका भारत सरकार से कोई लेना-देना नहीं है, ऐसे में भारत सरकार की तरफ से किसी निजी उद्योग को फायदा पहुंचाने की बात बिल्कुल झूठ है। क्या राहुल गांधी और उनकी पार्टी इससे इंकार कर सकते हैं?

प्रक्रिया के बारे में

  1. क्या राहुल गांधी और उनकी पार्टी ये जानते हैं कि सुरक्षा के लिए उपकरण खरीदने के 2 तरीके हैं, या तो प्रतिस्पर्धी बोली या फिर अंतर-सरकारी समझौता?
  2. क्या राहुल गांधी और उनकी पार्टी इससे इंकार कर सकते हैं कि 2007 में खुद UPA सरकार ने तकनीकि तौर पर राफेल का चुनाव किया था?
  3. क्या राहुल गांधी और उनकी पार्टी इससे इंकार कर सकते हैं कि सुरक्षा उपकरणों की तत्कालिक जरूरत को देखते हुए भारत सरकार और फ्रांस सरकार ने 36 राफेल विमान सप्लाई किए जाने के लिए जो शर्तें रखी हैं वह 2007 में हुई UPA डील से बेहतर हैं?
  4. क्या इस बात से इंकार किया जा सकता है कि राफेल डील को फाइनल करने से पहले प्राइस निगोशिएशन कमेटी तथा कॉन्ट्रेक्ट निगोशिएशन कमेटी 14 महीने तक मंथन किया है?
  5. क्या इससे इंकार किया जा सकता है डील को फाइनल करने से पहले सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी ने इसकी मंजूरी दी है।

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