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आज से टैक्स चोरों, कालाधन-बेनामी संपत्ति रखने वालों की खैर नहीं, सिर्फ टैक्स अदायगी से नहीं मिलेगी मुक्ति

टैक्स चोरों, बेनामी संपत्ति और कालाधन रखने वालों पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी हो चुकी है। आयकर विभाग द्वारा संशोधित दिशा-निर्देश आज (17 जून, सोमवार) से लागू होना है, उसके तहत कालाधन और बेनामी संपत्ति के गंभीर अपराध को 'नॉन-कंपाउंडेबल' की श्रेणी में रख दिया गया है।

India TV Business Desk Edited by: India TV Business Desk
Updated on: June 17, 2019 6:09 IST
amended law of benami property, Blackmoney will be implemented from 17 June 2019- India TV Paisa

amended law of benami property, Blackmoney will be implemented from 17 June 2019

नई दिल्ली। टैक्स चोरोंबेनामी संपत्ति और कालाधन ​रखने वालों पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी हो चुकी है। आयकर विभाग द्वारा संशोधित दिशा-निर्देश आज (17 जून, सोमवार) से लागू होना है, उसके तहत कालाधन और बेनामी संपत्ति के गंभीर अपराध को 'नॉन-कंपाउंडेबल' की श्रेणी में रख दिया गया है।​ इसका मतलब है कि कोई कंपनी या व्यक्ति अब टैक्स चोरी के मामले को महज टैक्स, जुर्माना और ब्याज भुगतान कर मामले से निजात नहीं पा सकेगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सभी संबंधित प्राधिकारों को उन 13 तरह के मामलों की सूची सौंप दी है, जिनके तहत अपराध को सोमवार और उसके बाद से 'नॉन-कंपाउंडेबल' की श्रेणी में डाला गया है। 

दो कैटेगरी में बांटा अपराध  

इसके साथ ही सीबीडीटी ने अपराधों को दो कैटेगरी में भी बांट दिया है। सीबीडीटी के मुताबिक 'ए' कैटेगरी में स्रोत पर कर की कटौती (टीडीएस) को प्रमुखता से रखा गया है। स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) के भुगतान में विफल रहने के अपराध को भी बोर्ड ने इसी कैटेगरी में रखा है। 'बी' कैटेगरी में जान-बूझकर टैक्स चोरी करने का प्रयास, अकाउंट्स व दस्तावेज पेश करने में विफल रहना और सत्यापन में फर्जी दस्तावेज पेश करने जैसे अपराध शामिल हैं।

सिर्फ टैक्स अदायगी से नहीं मिलेगी मुक्ति

सीबीडीटी ने कहा है कि इनमें से ए कैटेगरी के अपराधों में तो टैक्स भुगतान, जुर्माना और ब्याज देकर छूटने का विकल्प संभव है, लेकिन बी कैटेगरी के अपराधों में अब यह संभव नहीं होगा। 'ए' कैटेगरी के अपराधों में भी तीन बार से ज्यादा दोषी पाए जाने पर उसे नॉन-कंपाउंडेबल की श्रेणी में डाल दिया जाएगा। खासतौर पर कालाधन कानून के तहत दोषी पाए जाने वाले किसी भी मामले की कंपाउंडिंग नहीं होगी। सीबीडीटी का नया दिशानिर्देश वर्ष 2014 में जारी दिशानिर्देशों की जगह लेगा। इसका मतलब यह है कि कोई कंपनी या व्यक्ति अब टैक्स चोरी के मामले को महज टैक्स, जुर्माना और ब्याज भुगतान कर मामले से निजात नहीं पा सकता है।

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