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दिल्‍ली हाई कोर्ट ने दिया आदेश, एयरटेल के आईपीएल विज्ञापन के नीचे बड़े शब्दों में हों स्पष्टीकरण

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि भारती एयरटेल के आईपीएल की ‘लाइव व नि:शुल्क पहुंच’ संबंधी विज्ञापन के अंत में डिस्क्लेमर बड़े शब्दों में होनी चाहिए। न्यायाधीश योगेश खन्ना ने रिलायंस जियो की याचिका पर सुनवाई करते यह टिप्पणी की।

Manish Mishra Edited by: Manish Mishra
Published on: May 02, 2018 20:30 IST
JIO vs AIRTEL- India TV Paisa

JIO vs AIRTEL

 

नई दिल्लीदिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि भारती एयरटेल के आईपीएल की ‘लाइव व नि:शुल्क पहुंच’ संबंधी विज्ञापन के अंत में डिस्क्लेमर बड़े शब्दों में होनी चाहिए। न्यायाधीश योगेश खन्ना ने रिलायंस जियो की याचिका पर सुनवाई करते यह टिप्पणी की। जियो ने एयरटेल के उक्त विज्ञापन को ‘भ्रमित’ करने वाला बताते हुए चुनौती दी है। दोनों पक्षों के वकीलों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि ‘तकनीकी रूप से यह (विज्ञापन) ठीक है लेकिन डिसक्‍लेमर के शब्दों का आकार बड़ा होना चाहिए।’ अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि वह उचित आदेश जारी करेगी।

इससे पहले भी अदालत ने कहा था कि संबद्ध विज्ञापन में उद्घोषणा उतने मोटे शब्दों में नहीं है जैसा एयरटेल ने आश्वासन दिया था। उल्लेखनीय है कि एयरटेल के इस विज्ञापन को लेकर दोनों कंपनियों में कानूनी लड़ाई चल रही है। एयरटेल ने अपने विज्ञापन में दावा किया है कि ‘उसके ग्राहक उसके एप एयटेल टीवी के जरिए आईपीएल के लाइव मैच नि:शुल्क देख सकते हैं।’

जियो ने इस विज्ञापन को ‘भ्रामक’ बताते हुए चनौती दी। इसके अनुसार एयरटेल को अपने विज्ञापन में यह स्पष्ट और मोटे शब्दों में बताना चाहिए कि उन्हें आईपीएल के मैच दिखा रहे ऐप हॉटस्टार को कोई ग्राहकी शुल्क नहीं देना होगा। लेकिन एयरटेल से डाटा तो उसे खरीदना ही पड़ेगा, जो नि:शुल्क नहीं है।

अदालत ने शुरुआती सुनवाई के बाद एयरटेल से कहा कि उसकी उद्घोषणा बड़े शब्दों में होनी चाहिए। जियो ने बाद में अवमानना याचिका दायर की कि एयरटेल अदालत के 13 अप्रैल के आदेश का पालन नहीं कर रही।

अदालत में बुधवार की सुनवाई के दौरान एयरटेल की ओर से वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम ने कहा कि कंपनी के विज्ञापन देश की विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) द्वारा तय नियमों का पूरी तरह से अनुपालन करते हैं। वहीं जियो के वकील अभिषेक मनु सिंघवी तथा डी कृष्णन ने कहा कि एएससीआई के मानकों के अनुसार अगर कोई विज्ञापन, उसके डिसक्‍लेमर के विपरीत है तो उसका प्रचार प्रसार नहीं किया जा सकता।

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