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बजट 2019: आयकर छूट सीमा बढ़ाकर 3.5 लाख रुपए करने, कंपनी कर घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने की मांग

उद्योग जगत ने आम बजट में व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा को ढाई लाख रुपए से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपए करने और कारपोरेट कर की दर को सभी कंपनियों के लिये घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने की सरकार से मांग की है

Bhasha Written by: Bhasha
Published on: January 31, 2019 20:30 IST
Demands from Budget 2019- India TV Paisa

Demands from Budget 2019

नई दिल्ली। उद्योग जगत ने आम बजट में व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा को ढाई लाख रुपए से बढ़ाकर 3.5 लाख रुपए करने और कारपोरेट कर की दर को सभी कंपनियों के लिये घटाकर 25 प्रतिशत पर लाने की सरकार से मांग की है। छोटे उद्योगों के लिये अलग से कर संहिता बनाने और स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विषयों को प्राथमिकता दिये जाने पर भी जोर दिया है। 

मोदी सरकार अपने इस कार्यकाल का अंतिम बजट शुक्रवार को पेश करेगी। यह अंतरिम बजट होगा बावजूद इसके अटकलें हैं कि सरकार चुनाव से पहले इसमें मध्यम वर्ग, छोटे उद्यमियों और किसानों को लुभाने के लिए कुछ घोषणायें कर सकती है। सरकार शुक्रवार से शुरू हो रहे बजट सत्र के दौरान चार माह के लेखानुदान को ही मंजूरी दी जायेगी। पूर्ण बजट आम चुनाव संपन्न होने के बाद जुलाई में नई सरकार पेश करेगी। 

सरकार ने पिछले साल के बजट में सालाना 250 करोड़ तक का कारोबार करने वाली कंपनियों के लिये कारपोरेट कर की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया था। इस कदम से कर रिटर्न भरने वाली 99 प्रतिशत कंपनियों के लिये कर की दर कम हो गई। पीएचडी वाणिज्य एवं उद्योग मंडल के अध्यक्ष राजीव तलवार ने कहा है, ‘‘यह समय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिये नये ठोस कदम उठाने का है। मांग बढ़ाकर वृद्धि को नये स्तर पर पहुंचाने का है।’’ प्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाया जाना चाहिये। 

उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को भी मौजूदा ढाई लाख से बढ़ाकर साढे तीन लाख रुपए किया जाना चाहिये और व्यक्तिगत आयकर पर लगने वाली सबसे ऊंची कर दर को भी 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिये। इसके साथ ही आयकर स्लैब को भी बढ़ाया जाना चाहिये। 15 लाख रुपए से अधिक की वार्षिक आय पर ही सबसे ऊंची दर से कर लगना चाहिये। इस समय 10 लाख रुपए से अधिक की आय पर सबसे ऊंची दर यानी 30 प्रतिशत की दर से आयकर लिया जाता है। 

वर्तमान में ढाई लाख रुपए तक की वार्षिक आय कर मुक्त है जबकि ढाई से पांच लाख रुपए तक पर पांच प्रतिशत, पांच लाख से दस लाख रुपए पर 20 प्रतिशत और दस लाख रुपए से अधिक की सालाना आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगाया जाता है। इसके अलावा उपकर और अधिभार भी लागू हैं। वरिष्ठ नागरिकों और 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिये क्रमश: तीन लाख रुपए और पांच लाख रुपए तक की आय को कर मुक्त रखा गया है। 

पीएचडी मंडल की अप्रत्यक्ष कर समिति के अध्यक्ष बिमल जैन ने आयकर कानून की धारा 80सी के तहत बीमा पॉलिसी, बच्चों की फीस और दूसरे खर्चों पर दी जाने वाली डेढ लाख रुपए तक की कर छूट को बढ़ाकर ढाई लाख रुपए करने और समूची माल एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रक्रिया को अधिक सरल और ग्राह्य बनाये जाने पर जोर दिया है। 

इंडिया बिजनेस चैंबर के प्रधान सलाहकार ज्योतिर्मय जैन ने 2019- 20 के अंतरिम बजट में समाज के गरीब, कमजोर वर्ग के लिये न्यूनतम आय गारंटी योजना की घोषणा करने और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिये अलग से कर संहिता बनाये जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जीएसटी के तहत पंजीकरण से छूट सीमा को हर दो साल में संशोधित किया जाना चाहिये। हाल ही में इस सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपए किया गया है। 

संपत्ति सलाहकार कंपनी नाइट फ्रैंक ने कहा है कि आवास कर्ज के भुगतान में डेढ़ लाख रुपए तक के मूल राशि के भुगतान पर कर लाभ दिया जाना चाहिये। आवास कर्ज पर लंबे समय तक किस्त चुकानी होती है जिसमें मूल राशि के भुगतान पर कोई लाभ नहीं मिलता है। हालांकि आवास कर्ज पर दिये जाने वाले ब्याज पर सालाना दो लाख रुपए तक की कर छूट का लाभ मिलता है। 

इंडस हेल्थ प्लस के संयुक्त प्रबंध निदेशक अमोल नायकवाडी ने कहा कि बीमारी रोकने के लिये स्वास्थ्य जांच को बढ़ावा दिया जाना चाहिये । आयकर धारा 80डी के तहत स्वास्थ्य जांच पर कर छूट को पांच हजार से बढ़ाकर 10 हजार रुपए किया जाना चाहिये। आर्थिक रूप से अक्षम लोगों की मदद के लिये क्राउडफंडिग के जरिये धन जुटाने वाली वेबसाइट इंपैक्टगुरु डॉट कॉम के सीईओ और सह-संस्थापक पीयूष जैन ने अंतरिम बजट में स्वास्थ्य संबंधी विषयों को प्राथमिकता दिये जाने पर जोर दिया है। 

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