Friday, March 29, 2024
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Jagannath Rath Yatra 2022: पुरी में आज निकलेगी जगन्नाथ रथ यात्रा, सोने की झाड़ू से होगी सफाई

Jagannath Rath Yatra 2022: भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ आज यात्रा शुरू करने वाले हैं, विश्व में प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव आज से शुरू होकर पूरे 9 दिन यानी 12 जुलाई तक चलेगा। आइए जानते हैं आज होने वाले उत्सव के बारे में खास जानकारियां...

Ritu Tripathi Written By: Ritu Tripathi
Updated on: July 01, 2022 11:22 IST
Jagannath Rath Yatra 2022- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Jagannath Rath Yatra 2022

Highlights

  • आज से शुरू होगी जगन्नाथ रथ यात्रा
  • दोपहर में शुरू होगी तीनों रथों की पूजा
  • हाथों से खींचे जाएंगे भगवान के रथ

Jagannath Rath Yatra 2022: प्रसिद्ध जगन्ना​थ रथ यात्रा (Jagannath Rath Yatra) आज 01 जुलाई शुक्रवार से शुरु हो रही है। यह 01 यात्रा पूरे 9 दिन तक चलती है, इस साल यह यात्रा आज से प्रारंभ होकर 12 जुलाई तक चलेगी। इस भव्‍य यात्रा को देखने के लिए देश और दुनिया भर से लाखों श्रद्धालू आज के दिन  पुरी पहुंचते हैं. इस रथ यात्रा में भगवान जगन्‍नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ तीन भव्‍य रथों में सवार होकर निकलते हैं। इन तीन लकड़ी के रथों में इसमें पहला रथ भगवान जगन्‍नाथ का, दूसरा भाई बलराम और तीसरा बहन सुभद्रा का होता है। आइए जानते हैं कि जगन्ना​थ रथ यात्रा के कार्यक्रम का पूरा विवरण...

कब और क्यों होती है जगन्नाथ रथ यात्रा

हिंदू मान्यता के अनुसार यह यात्रा भगवान कृष्ण के जीवन में उनके भाई और बहन के महत्व को बताने वाली है। ये तीनों भाई बहन हर साल 7 दिन के लिए एक साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल जगन्ना​थ रथ यात्रा का प्रारंभ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से होता है। यह यात्रा कुल 09 दिन की होती है, जिसमें 7 दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर में रहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गुंडिचा मंदिर उनकी मौसी का घर है. सैकड़ों सालों से परंपरा को निभाते हुए रथ यात्रा के पहले दिन तीनों रथों को गुंडिया मंदिर ले जाया जाता है। इन रथों को मोटे रस्सों से खींचा जाता है।

दोपहर में होगी जगन्नाथ रथ यात्रा 2022 की पहली रस्म 

बता दें कि तीनों रथों के अलग-अलग नाम हैं, जिनमें भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष, बलराम के रथ को तालध्वज और सुभद्रा जी के रथ को दर्पदलन कहा जाता है। आज दोपहर में इन तीनों रथों की निकासी से पहले मंदिर के पुजारी 'छेरा पहरा' की रस्म करेंगे। इसके बाद इन विशाल रथों पर लकड़ी के घोड़ों को लगाया जाएगा. उसी दौरान इन रथों के सारथी भी स्थापित होंगे। इसके बाद भगवान की यात्रा का शुभारंभ होगा। इसके बाद भक्त 3 किलोमीटर तक इन रथों को रस्सों से खींचकर ले जाएंगे।  

सोने के झाड़ू  से होती है रास्ते की सफाई 

आपको बता दें कि रथ यात्रा के रथों के निर्माण में लोहे या किसी अन्य धातू का उपयोग वर्जित है, इसलिए बिना एक भी कील के ये रथ तैयार किए जाते हैं। वहीं भगवान जब रथ यात्रा के लिए निकलते हैं तो पूरे मार्ग को सोने की झाड़ू से साफ किया जाता है।

9 जुलाई को होगी वापसी 

गुंडीचा मंदिर से भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा 09 जुलाई को निकलेंगे, उस दिन ही वापसी यात्रा शुरु होगी. जिसके बाद 12 जुलाई तक पूरा की विधियां चलेंगीं और भगवान जगन्नाथ को फिर से उनके सिंहासन पर विराजमान कराया जाएगा। 

अमित शाह ने अहमदाबाद में की पूजा 

जगन्नाथ पुरी के साथ एक ऐसी ही यात्रा अहमदाबाद में भी निकाली जाती है। इस यात्रा की शुरुआज शुक्रवार की सुबह गृहमंत्री अमित शाह ने पूजा करके की है।   

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