Tuesday, April 16, 2024
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योगिनी एकादशी आज: चाहते है लंबी उम्र, तो ऐसे करें पूजा

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि आज के दिन व्रत करने से हजारों ब्राह्मणों को दान देने के बराबर फल मिलता है। इसके साथ ही अगर आपको किसी भी तरह की बीमारी हो तो इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से उस बीमारी से निजात मिलता हैं। जानिए इस दिन कैसे पूजा...

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: June 29, 2016 23:15 IST
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धर्म डेस्क: आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी होती हैं। इस बार एकादशी 30 जून, गुरुवार को है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि आज के दिन व्रत करने से हजारों ब्राह्मणों को दान देने के बराबर फल मिलता है। इसके साथ ही अगर आपको किसी भी तरह की बीमारी हो तो इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से उस बीमारी से निजात मिलता हैं। जानिए इस दिन कैसे पूजा करना चाहिए, साथ ही कथा क्या हैं।

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इस एकादशी के दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है। वह इस दिन प्रात: स्नान करके भगवान को स्मरण करते हुए विधि के साथ पूजा करें और उनकी आरती करनी चाहिए साथ ही उन्हें भोग लगाना चाहिए। इस दिन भगवान नारायण की पूजा का विशेष महत्व होता है। साथ ही ब्राह्मणों तथा गरीबों को भोजन या फिर दान देना चाहिए। यह व्रत बहुत ही फलदायी होता है। इस व्रत को करने से समस्त कामों में आपको सफलता मिलती है। जानिए इसकी पूजा-विधि, और कथा के बारे में।

योगिनी एकादशी व्रत पूजा विधि

इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान का मनन करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। इसके बाद पूजा स्थल में जाकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा विधि-विधान से करें। इसके लिए अपने परिवार सहित पूजा घर में या मंदिर में भगवान विष्णु व लक्ष्मीजी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल पीकर आत्म शुद्धि करें।

रक्षा सूत्र बांधे। शुद्ध घी का दीपक जलाएं। शंख और घंटी का पूजन अवश्य करें, क्योंकि यह भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद विधिपूर्वक प्रभु का पूजन करें और दिन भर उपवास करें।

सारी रात जागकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। इसी साथ भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे। अगले दूसरे दिन यानी की 1 जुलाई, शुक्रवार के दिन सुबह पहले की तरह करें। इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दे। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।

अगली स्लाइड में पढ़े कथा के बारें में

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