Saturday, April 27, 2024
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रहस्यों से भरा उत्तर भारत का का एकलौता मंदिर, जो बना है एक चट्टान को काटकर

आज हम आपको एक ऐसे ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बताएंगे जिसके इतिहास का अंदाजा तक कोई नहीं लगा पाया। कुछ कहानिया हैं, दन्त कथाएं और मंदिर के गर्भ गृह में अभी भी श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं। जानिए इसका रहस्य...

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: February 20, 2018 22:49 IST
Masroor temple- India TV Hindi
Masroor temple

(Prashant Tiwari) आज हम आपको एक ऐसे ऐतिहासिक मंदिर के बारे में बताएंगे जिसके इतिहास का अंदाजा तक कोई नहीं लगा पाया। कुछ कहानिया हैं, दन्त कथाएं और मंदिर के गर्भ गृह में अभी भी श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ विराजमान हैं। ये मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के मसरूर गांव में स्थित हैं। कुल 15 बड़ी चट्टानों पर ये मंदिर बना हैं जिसे हम रॉक कट टेंपल के नाम से जानते हैं।

हिमालयन पिरामिड के नाम से विख्यात बेजोड़ कला के नमूने रॉक कट टेंपल मसरूर एक अनोखा और रहस्यमयी इतिहास समेटे हुए हैं। पुरातत्व विभाग के अनुसार शायद 8वीं सदी में बना यह मंदिर उत्तर भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है। देखा जाए तो पत्थरों पर ऐसी खूबसूरत नक्काशी करना बेहद मुश्किल काम है। ऐसे में ये कारीगरी करने के लिए दूर से कारीगर लाए गए थे। लेकिन यह कारीगरी किसने की इसके आज तक पुख्ता सबूत नहीं मिल पाए हैं।

इन्हें अजंता-एलोरा ऑफ हिमाचल भी कहा जाता है। हालांकि ये एलोरा से भी पुराने हैं। पहाड़ काट कर गर्भ गृह, मूर्तियां, सीढ़ियां और दरवाजे बनाए गये हैं। मंदिर के बिल्कुल सामने मसरूर झील है जो मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाती है।

masroor temple kangra

masroor temple kangra

दंत कथाओं के अनुसार पांडवो ने किया था निर्माण

झील में मंदिर के कुछ हिस्सों का प्रतिबिंब दिखाई देता है। उत्तर भारत में यह इस तरह का एकलौता मंदिर हैं। सदियों से चली आ रही दन्त कथाओं के मुताबिक मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान किया था और मंदिर के सामने खूबसूरत झील को पांडवों ने अपनी पत्नी द्रोपदी के लिए बनवाया गया था।
 
masroor temple kangra

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मंदिर की दीवार पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश और कार्तिकेय के साथ अन्य देवी देवताओं की आकृति देखने को मिल जाती हैं। बलुआ पत्‍थर को काटकर बनाए गए इस मंदिर को 1905 में आए भूकंप के कारण काफी नुकसान भी हुआ था। इसके बावजूद ये आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सरकार ने इसे राष्ट्रीय संपत्ति के तहत संरक्षण दिया है। मंदिर को सर्वप्रथम 1913 में एक अंग्रेज एचएल स्टलबर्थ ने खोजा था।

masroor

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देश का एकलौता मंदिर
8वीं शताब्दी में निर्मित किया गया था तथा समुद्र तल से 2500 फुट की ऊंचाई पर एक ही चट्टान को काट कर बना देश का एकमात्र मंदिर माना जाता है।

स्वर्ग जाने का मार्ग
आज भी विशाल पत्थरों के बने दरवाजानुमा द्वार हैं, जिन्हें ‘स्वर्गद्वार’  के नाम से जाना जाता है। कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार, पांडव अपने स्वर्गारोहण से पहले इसी स्थान पर ठहरे थे, जिसके लिए यहां स्थित पत्थरनुमा दरवाजों को ‘स्वर्ग जाने का मार्ग’ भी कहा जाता है।

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