Friday, March 29, 2024
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Navratri Third Day 2019: नवरात्र के तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और भोग

नवरात्र के तीसरे दिन भय मुक्ति और अपार साहस की देवी मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। 1 अक्टूबर को मां चंद्रघंटी की पूजा की जाती है। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: September 30, 2019 13:58 IST
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Navratri Third Day 2019: नवरात्र के तीसरे दिन भय मुक्ति और अपार साहस की देवी मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। 1 अक्टूबर को मां चंद्रघंटी की पूजा की जाती है। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।

मां चंद्रघंटा का स्वरुप

मां चंद्रघंटा का सिर घंटे के आकार का होता है। इसलिए इन्हें 'चंद्रघंटा' कहा जाता है। इसके साथ ही मां के दसों हाथों में अस्त्र-शस्त्र हैं और इनकी मुद्रा युद्ध की मुद्रा है। मां चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती है और ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है।  

मां चंद्रघंटा का शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि 30 सितम्बर की शाम 04 बजकर 51 मिनट पर शुरू हो चुकी है जो 01 अक्टूबर की दोपहर 01 बजकर 55 मिनट तक रहेगी |

मां चंद्रघंटा का भोग
कन्याओं को खीर, हलवा या स्वादिष्ट मिठाई भेट करने से माता प्रसन्न होती है | आज माता चंद्रघंटा को प्रसाद के रूप में गाय के दूध से बनी खीर का भोग लगाने से जातक को सभी बिघ्न बाधाओं से मुक्ति मिलाती है|

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मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
 माता की चौकी (बाजोट) पर माता चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसकेबाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी,  तांबे या मिट्टीके घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारामां चंद्रघंटा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमेंआवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।

ध्यान
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्।
सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
खंग, गदा, त्रिशूल,चापशर,पदम कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर हार केयूर,किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम॥
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुगं कुचाम्।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटि नितम्बनीम्॥

स्तोत्र पाठ
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्।
अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्।
धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्।
सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥

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