Tuesday, March 19, 2024
Advertisement

Janmashtami 2019: इस बार 2 दिन मनाई जाएगी जन्‍माष्‍टमी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Janmashtami 2019: इस बार अष्‍टमी 23 अगस्‍त को पड़ रही है जबकि रोहिणी नक्षत्र इसके अगले दिन यानी कि 24 अगस्‍त को है।  जानें शुभ महूर्त और पूजा विधि।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 23, 2019 6:44 IST
janmashtami 2019- India TV Hindi
janmashtami 2019

Janmashtami 2019: हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक जन्माष्टमी (Janmashtami) माना जाता है। यह दिन श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस बार कई लोगों को इसकी तारीख को लेकर असमंजस है। भक्तगण इस बात से परेशान हैं कि आखिर जन्माष्टमी 23 तारीफ को मनाई जाएगी या फिर 24 को। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि  की रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा।

जानें ग्रहस्थ लोग कब मनाएं जन्माष्टमी

आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था, कृष्ण जन्म के समय रोहिणी नक्षत्र था, सूर्य सिंह राशि में तो चंद्रमा वृषभ राशि में था। इसलिए जब रात में अष्टमी तिथि हो उसी दिन जन्माष्टमी का व्रत करना चाहिए। चूंकि 23 अगस्त को अष्टमी की रात पर रोहिणी नक्षत्र भी है लिहाज़ा गृहस्थों को  इसी दिन जन्माष्टमी का व्रत करना है। 24 जुलाई को वैष्णव संप्रदाय व संन्यासी व्रत रखेंगे क्योंकि वैष्णव संप्रदाय उदयकालीन अष्टमी के दिन व्रत करते हैं और ये गोकुलष्टमी व नंदोत्सव मनाते हैं ना कि जन्माष्टमी। यानि वैष्णव नंद के घर लल्ला होने का जश्न मनाते हैं।

Janmashtami 2019: इस साल कब है जन्माष्टमी 23 या 24 अगस्त ? जानिए तारीख और महत्व

Google दिखा रहा है ये तारीख
गूगल जन्माष्टमी को लेकर जो तारीख दिखा रहा है वो वैष्णव व संन्यासियों के व्रत रखने यानि नंदोत्सव की तारीख है और इसी से ये सारा भ्रम फैला है और इसी के चलते केंद्र सरकार भी इसी आधार पर छुट्टी डिक्लेयर कर देती है। लेकिन छुट्टी चाहे किसी भी दिन हो हम आपको पूरी तरह क्लियर कर रहे हैं कि अगर आप गृहस्थ हैं तो आपको 23 को ही व्रत करना है।

जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को अर्पित करें इन 5 चीजों में से कोई 1, फिर देखें कमाल

जन्माष्टमी पर बन रहा है शुभ योग
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार अगर भाद्रपद महीने की अष्टमी की रात रोहिणी नक्षत्र हो वह तिथि जन्माष्टमी नहीं बल्कि कृष्ण जयंती कहलाती है। इस बार ये शुभ संयोग बन रहा है। आज रात अष्टमी तिथि रहेगी और रोहिणी नक्षत्र देर रात 03 बजकर 48 मिनट से शुरू होगा। अष्टमी तिथि कल सुबह 8 बजकर 32 मिनट तक है। यानि इस बार कृष्ण जयंती है। अब आपको ये भी बता दें कि जयंती और जन्माष्टमी में भी फर्क है। जन्माष्टमी व्रत में शास्त्र ने उपवास की व्यवस्था दी है और जयंती में उपवास व दान दोनों का महत्व है। इसके अतिरिक्त जन्माष्टमी व्रत नित्य है क्योंकि इसके न करने से कोई पाप नहीं लगता यानि आपकी इच्छा है तो व्रत कर सकते हैं लेकिन जयंती व्रत नित्य व काम्य दोनों है, इसे करना जरूरी है। अन्यथा मनुष्य पाप का भागी बनता है।

जन्माष्टमी 2019: अपनी मृत्यु के समय श्री कृष्ण के साथ थी राधा रानी, किया था ये आग्रह

जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
अष्‍टमी तिथि प्रारंभ: 23 अगस्‍त 2019 को सुबह 08 बजकर 09 मिनट से।
अष्‍टमी तिथि समाप्‍त: 24 अगस्‍त 2019 को सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक।

रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 24 अगस्‍त 2019 की सुबह 03 बजकर 48 मिनट से।
रोहिणी नक्षत्र समाप्‍त: 25 अगस्‍त 2019 को सुबह 04 बजकर 17 मिनट तक।

Janmashtami 2019: जन्माष्टमी को बनाएं खास, इन फेमस मंदिरों में करें कान्हा के दर्शन

जन्माष्टमी पूजा विधि
भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि की रात 12 बजे श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जिसके कारण यह व्रत सुबह से ही शुरु हो जाता है। दिनभर भगवान हरि की पूजा मंत्रों से करके रोहिणी नक्षत्र के अंत में पारण करें। अर्द्ध रात्रि में जब आज श्रीकृष्ण की पूजा करें। इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कामों ने निवृत्त होकर स्नान करें। स्नान करते वक्त इस मंत्र का ध्यान करें-
"ऊं यज्ञाय योगपतये योगेश्रराय योग सम्भावय गोविंदाय नमो नम:"

Happy Janmashtami 2019: जन्‍माष्‍टमी पर अपनों को ये मैसेज, तस्वीरें और कोट्स भेजकर दें जन्मोत्सव की शुभकामनाएं

इसके बाद श्रीहरि की पूजा इस मंत्र के साथ करनी चाहिए
"ऊं यज्ञाय यज्ञेराय यज्ञपतये यज्ञ सम्भवाय गोविंददाय नमों नम:"

अब श्रीकृष्ण के पालने में विराजमान करा कर इस मंत्र के साथ सुलाना चाहिए-
"विश्राय विश्रेक्षाय विश्रपले विश्र सम्भावाय गोविंदाय नमों नम:"

Janmashtami 2019: जन्‍माष्‍टमी के दिन श्रीकृष्ण को 56 भोग की जगह लगाएं इस खास चीज का भोग, मिलेगा उतना ही फल

जब आप श्रीहरि को शयन करा चुके हो इसके बाद एक पूजा का चौक और मंडप बनाए और श्रीकृष्ण के साथ रोहिणी और चंद्रमा की भी पूजा करें। उसके बाद शंख में चंदन युक्त जल लेकर अपने घुटनों के बल बैठकर चंद्रमा का अर्द्ध इस मंत्र के साथ करें।

श्री रोदार्णवसम्भुत अनिनेत्रसमुद्धव।
ग्रहाणार्ध्य शशाळेश रोहिणा सहिते मम्।।

इसका मतलब हुआ कि हे सागर से उत्पन्न देव हे अत्रिमुनि के नेत्र से समुभ्छुत हे चंद्र दे!  रोहिणी देवी के साथ मेरे द्वारा दि गए अर्द्ध को आप स्वीकार करें।  इसके बाद नंदननंतर वर्त को महा लक्ष्मी, वसुदेव, नंद, बलराम तथा यशोदा को फल के साथ अर्द्ध दे और प्रार्थना करें कि हे देव जो अनन्त, वामन. शौरि बैकुंठ नाथ पुरुषोत्म, वासुदेव, श्रृषिकेश, माघव, वराह, नरसिंह, दैत्यसूदन, गोविंद, नारायण, अच्युत, त्रिलोकेश, पीताम्बरधारी, नारा.ण चतुर्भुज, शंख चक्र गदाधर, वनमाता से विभूषित नाम लेकर कहे कि जिसे देवकी से बासुदेव ने उत्पन्न किया है जो संसार , ब्राह्मणो की रक्षा क् लिए अवतरित हुए है। उस ब्रह्मारूप भगवान श्री कृष्ण को मै नमन करती हूं।

इस तरह भगवान की पूजा के बाद घी-धूप से उनकी आरती करते हुए जयकारा लगाना चाहिए और प्रसाद ग्रहण करने के बाद अपने व्रत को खो ले।

Dahi Handi 2019: जानें कब मनाया जाएगा दही हांडी का उत्सव, साथ ही जानिए कैसे शुरू हुई ये परंपरा

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Religion News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement