Wednesday, March 27, 2024
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हरतालिका तीज 2017: अखंड सौभाग्य के लिए इस शुभ मुहूर्त में करें विधि-विधान से पूजा

हरतालिका तीज व्रत को कुंवारी कन्याए अपने लिए मनचाहे पति पाने और विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य पाने के लिए करती है। यह व्रत बड़ी ही विधि-विधान से किया जाता है। इस बार हरतालिका तीज 24 अगस्त, गुरुवार को है। जानिए शुभ-मुहूर्त, कथा और पूजा विधि के बारें मे

India TV Lifestyle Desk Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 22, 2017 11:52 IST
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धर्म डेस्क: हरतालिका तीज हर विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए बहुत की खास होती है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा व्रत त्योहार माना जाता है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला और निराहार रहकर ये व्रत करती हैं। वहीं कुवांरी लड़कियों के लिए भी ये व्रत बड़ा खास माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कुवांरी लड़कियां अगर इस व्रत को करें तो उन्हें भगवान शिव जैसा पति मिलता है।

इस व्रत को कुंवारी कन्याए अपने लिए मनचाहे पति पाने और विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य पाने के लिए करती है। यह व्रत बड़ी ही विधि-विधान से किया जाता है। इस बार हरतालिका तीज 24 अगस्त, गुरुवार को है।

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हरतालिका तीज का व्रत का व्रत निर्जल रहा जाता है। इस व्रत में  शाम को पूजा होते हुए रात भर, भजन-कीर्तन, जागरण के बाद दूसरे दिन सुबह समाप्त होता है, तब महिलाएं अपना व्रत तोड़ती हैं और अन्न-जल ग्रहण करती हैं। इस दिन शिव पार्वती जी पूजा की जाती है। जानिए इस व्रत को कैसे करना चाहिए औऱ इसकी कथा किस प्रकार है।

शुभ मुहूर्त

ज्योतिषचार्य के अनुसार इस साल तृतीया तिथि 24 अगस्त को है।

रात:काल हरतालिका तीज: सुबह 5 बजकर 45 मिनट से सुबह 8 बजकर 18 मिनट तक
 प्रदोषकाल हरतालिका तीज: शाम 6 बजकर 30 मिनट से रात 8 बजकर 27 मिनट तक
 

ऐसे करें इस व्रत में पूजा
तीज के इस व्रत को महिलाएं बिना कुछ खाए-पीए रहती है। इस व्रत में पूजन रात भर किया जाता है। इस पूजन में बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती का मूर्ति बनाकर किया जाता है और एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है।

ध्यान रहें कि प्रतिमा बनातें समय भगवान का स्मरण करते रहे और पूजा करते रहे। पूजन-पाठ के बाद महिलाएं रात भर भजन-कीर्तन करती है और हर प्रहर को इनकी पूजा करते हुए बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण करने चाहिए और आरती करनी चाहिए। साथ में इन मंत्रों बोलना चाहिए

अगली स्लाइड में पढ़ें पूरी विधि के बारें में

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