Friday, April 26, 2024
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वर्ल्ड स्ट्रोक डे: 40 साल से कम उम्र के युवा सबसे ज्यादा स्ट्रोक के शिकार, खुद का ऐसे रखें ख्याल

हर साल लगभग 18 लाख भारतीय इस हालत से पीड़ित हैं। जीवनशैली बदलने के चलते अब 40 साल से कम उम्र के युवाओं में भी यह बीमारी घर करती जा रही है। जानिए लक्षण, कारण और बचने के उपाय....

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: October 30, 2017 9:40 IST
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हेल्थ डेस्क: दुनिया भर में कोरोनरी धमनी रोग के बाद मृत्यु का दूसरा सबसे आम कारण है ब्रेन स्ट्रोक जो स्थाई विकलांगता का भी एक सबसे प्रचलित कारण है। दुनियाभर में स्ट्रोक के सभी मामलों में 20 से 25 प्रतिशत मामले भारत के होते हैं।

हर साल लगभग 18 लाख भारतीय इस हालत से पीड़ित हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि स्ट्रोक सिर्फ वृद्धों तक सीमित नहीं रहा। जीवनशैली बदलने के चलते अब 40 साल से कम उम्र के युवाओं में भी यह बीमारी घर करती जा रही है।

ऐसे होता है स्ट्रोक

जब आपके मस्तिष्क के किसी हिस्से में खून की सप्लाई ठीक से नहीं हो पाती या कम हो जाती है। इस कारण से मस्तिष्क के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बाधित हो जाती है। ऐसे में, कुछ ही मिनटों के भीतर, मस्तिष्क की कोशिकाएं मरनी शुरू हो जाती हैं। स्ट्रोक का पता लगाना अनिवार्य है, क्योंकि यदि इलाज शुरू न हो तो हर सेकेंड 32,000 मस्तिष्क कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होती जाती हैं।

आईएमए के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, "समय ही मस्तिष्क है। इस कहावत के हिसाब से स्ट्रोक के रोगी को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाना चाहिए। वहां उसे फटाफट रक्त का थक्का बनने से रोकने की थेरेपी मिलनी चाहिए। स्ट्रोक की हालत धमनी में रुकावट पैदा होने से हो सकती है (इस्केमिक स्ट्रोक) या फिर रक्त वाहिका में लीकेज होने से (हीमरेजिक स्ट्रोक)। कुछ अन्य मामलों में, यह मस्तिष्क में रक्त प्रवाह अस्थाई तौर पर रुकने से भी हो सकता है (ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक)।"

इस कारण होता है स्ट्रोक
डॉ. अग्रवाल ने कहा, "लगभग 85 प्रतिशत स्ट्रोक इस्केमिक प्रकृति के होते हैं। देश में स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार कुछ सामान्य कारकों में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान और डिस्लिपीडेमिया रोग प्रमुख हैं। बीमारी के बारे में कम जागरूकता के कारण ये ठीक से नियंत्रित नहीं किए जाते। इस दिशा में एक अन्य प्रमुख चुनौती यह है कि स्ट्रोक के उपचार के लिए अभी भी हमारे देश में उचित व्यवस्था नहीं है।"

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