Wednesday, April 24, 2024
Advertisement

World Population Day 2018: विश्व जनसंख्या दिवस में इस बार की थीम है फैमिली प्लानिंग

भारत की आबादी दुनिया में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। ऐसे में पूरी दुनिया के लिए आबादी के लगातार बढ़ते जाने के परिणामों की गंभीरता को समझना और उसके अनुरूप जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों में भागीदारी निभाना जरूरी है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: July 11, 2018 11:17 IST
World Population day- India TV Hindi
World Population day

हेल्थ डेस्क: पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने कहा था कि दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है और उनमें भी ज्यादातर गरीबी की हालत में गुजर बसर करते हैं। मानव विकास में यह असमानता ही दुनिया के कई हिस्सों में अस्थिरता और कई बार हिंसा का कारण बनती है।

उनकी इस बात को दुनिया में हर दिन बढ़ती आबादी और उससे जुड़े दुष्परिणामों से जोड़कर देखा जा सकता है। कुदरत के संसाधनों के भंडार कम होते जा रहे हैं और इंसानों की आबादी बढ़ती जा रही है। यह बढ़ती आबादी विकास की रफ्तार को कम करने के साथ ही कई अन्य समस्याओं की वजह बनती है। भारत की आबादी दुनिया में चीन के बाद दूसरे नंबर पर है। ऐसे में पूरी दुनिया के लिए आबादी के लगातार बढ़ते जाने के परिणामों की गंभीरता को समझना और उसके अनुरूप जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों में भागीदारी निभाना जरूरी है।

वर्तमान समय में दुनिया की आबादी लगभग साढ़े सात अरब है। लेकिन 11 जुलाई 1987 को जब यह आंकड़ा पांच अरब हुआ तो लोगों के बीच जनसंख्या सम्बन्धी मुद्दों पर जागरूकता फ़ैलाने के लिए विश्व जनसंख्या दिवस की नींव रखी गयी। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की आम सभा ने 11 जुलाई को विश्व जनसँख्या दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया और पहला विश्व जनसँख्या दिवस 11 जुलाई 1989 को मनाया गया। (भूलकर भी कैंसर के इन संकेतों को इग्नोर, जानिए स्टेज और ट्रिटमेंट )

इसे मनाये जाने का लक्ष्य लोगों के बीच जनसंख्या से जुड़े तमाम मुद्दों पर जागरूकता फैलाना है। इसमें लिंग भेद, लिंग समानता, परिवार नियोजन इत्यादि मुद्दे तो शामिल हैं ही, लेकिन यूएनडीपी का मुख्य मकसद इसके माध्यम से महिलाओं के गर्भधारण सम्बन्धी स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर लोगो को जागरूक करना है। (माइग्रेन के लक्षण, कारण, उपचार और घरेलू नुस्‍खे)

वर्ष 2018 का विश्व जनसंख्या दिवस इस मामले में और भी खास है क्योंकि इस बार इसका मुख्य ध्यान "परिवार नियोजन: एक मानवाधिकार" विषय पर केंद्रित है। भारत जैसे देश के लिए ये और भी अहम् हो जाता है क्योंकि दुनिया की साढ़े सात अरब की आबादी में से लगभग 130 करोड़ लोग भारत में बसते हैं।

इस दिवस को मनाये जाने का सुझाव डॉ के सी ज़कारिया ने दिया था। जब दुनिया के आबादी ने पांच अरब के आंकड़े को छुआ तब उस वक़्त वह विश्व बैंक में कार्यरत थे। क्रोएशिआ के ज़ाग्रेब के माटेज गास्पर को दुनिया का पांच अरबवां व्यक्ति माना गया। गौरतलब है कि पहले इसे "फाइव बिलियन डे" माना गया लेकिन बाद में यूएनडीपी ने इसे विश्व जनसँख्या दिवस घोषित कर दिया।

वर्ष 2018 के लिए "परिवार नियोजन: एक मानबाधिकार" विषय को चुने जाने का भी एक महत्वपूर्ण कारण है, क्योंकि यह परिवार नियोजन को पहली बार मानवाधिकार का दर्जा देने वाली तेहरान घोषणा की 50वीं वर्षगांठ का वर्ष है। पहली बार 1968 में "मानवाधिकार पर अंतरराष्ट्रीय सम्मलेन" में परिवार नियोजन को भी एक मानवाधिकार माना गया और अभिभावकों को बच्चों की संख्या चुनने का अधिकार दिया गया।

(इनपुट भाषा से)

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Health News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement