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World Diabetes Day 2018: जानें आखिर क्या है डायबिटीज ब्लड टेस्ट हीमोग्लोबिन A1c, इस समय करना होगा बेहतर

World Diabetes Day 2018: एचबीए1सी जांच को ग्लाइकोसायलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट भी कहा जाता है। ए1सी जांच डायबिटीज एवं प्री-डायबिटीज के निदान का नया तरीका है। जानें इसके बारें में सबकुछ।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: November 13, 2018 15:55 IST
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हेल्थ डेस्क: डायग्नॉस्टिक कंपनी एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स द्वारा किए गए डायबिटीज ब्लड टेस्ट एचबीए1सी के परिणाम से पता चला है कि 16-30 आयुवर्ग में असामान्य ब्लड शुगर के रुझान कम हुए हैं। इससे साफ है कि ब्लड शुगर के नियन्त्रण के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ रही है। एसआरएल के आंकड़े दशार्ते हैं कि 2012 से 2017 के बीच एचबीए1सी जांच के लिए आए नमूनों की औसत संख्या में सालाना 32 फीसदी की वृद्धि हुई है। इस दौरान लगभग 30 लाख नमूनों का विश्लेषण किया गया है।

क्या है एचबीए1सी और ए1सी जांच

एचबीए1सी जांच को ग्लाइकोसायलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट भी कहा जाता है। ए1सी जांच डायबिटीज एवं प्री-डायबिटीज के निदान का नया तरीका है। इस जांच में 2 से 3 महीनों के लिए ब्लड ग्लूकोज के औसत स्तर का मूल्यांकन किया जाता है। अगर ए1सी का परिणाम 5.7 से 6.4 फीसदी हो तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति प्री-डायबिटिक है और उसमें डायबिटीज की संभावना अधिक है। अगर यह परिणाम 6.5 फीसदी या अधिक हो तो व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है। इस जांच का फायदा यह है कि व्यक्ति ने जांच से पिछली रात या जांच से पहले सुबह के समय क्या खाया है, इससे फर्क नहीं पड़ता।

इस कारण होती है डायबिटीज
एसआरएल डायग्नॉस्टिक्स के सलाहकार एवं रिसर्च एंड डेवलपमेंट के मेंटर डॉ. बी.आर. दास ने कहा, "डायबिटीज तब होती है जब अग्न्याशय पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या शरीर इंसुलिन का प्रभावी इस्तेमाल नहीं कर पाता।"

वर्तमान में दुनिया भर में 42.5 करोड़ लोग मधुमेह से पीड़ित हैं। यह बीमारी मरीज के साथ-साथ उसके परिवार और उससे जुड़े लोगों के लिए भी बहुत महंगी पड़ती है। इसका बुरा असर व्यक्ति की उत्पादकता पर पड़ता है। लेकिन, जल्दी निदान होने पर मरीज को इसकी जटिलताओं से बचाया जा सकता है। इसलिए रोग के लक्षणों, कारणों और जल्दी निदान के बारे में जागरूकता बढ़ाना बहुत जरूरी है।

डायबिटीज के कारण हो सकती है ये खतरान बीमारी
बढ़ते शहरीकरण, गतिहीन जीवनशैली, अस्वास्थ्यकर आहार, तंबाकू के बढ़ते सेवन और बढ़ती जीवन प्रत्याशा के कारण डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं। डायबिटीज के कारण मरीज अंधेपन, किडनी फेलियर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और यहां तक कि लोवर लिंब एम्प्युटेशन का शिकार भी बन सकता है। सेहतमंद आहार, नियमित व्यायाम, सामान्य वजन एवं तंबाकू का सेवन न कर अपने आप को इस बीमारी से बचाया जा सकता है।

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