Tuesday, April 16, 2024
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छोटी-छोटी बातों पर आ जाता है गुस्सा तो आप हैं इमोशनली अनफिट, इस तरह करें कंट्रोल

 दुख और सुख शब्द सुनकर हमें जर्मी बेंथम की याद आ जाती है लेकिन आप इस शब्द की गहराई में जाएंगे तो आपको इसका सही अर्थ विचलित कर सकता है। इन दोनों शब्दों में एक चीज कॉमन है और वह है इमोशन। इमोशन सुनते ही हमारे दिमाग में एक बात आती है फीलिंग्स।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: November 20, 2018 14:11 IST
इमोशनली अनफिट- India TV Hindi
इमोशनली अनफिट

नई दिल्ली: दुख और सुख शब्द सुनकर हमें जर्मी बेंथम की याद आ जाती है लेकिन आप इस शब्द की गहराई में जाएंगे तो आपको इसका सही अर्थ विचलित कर सकता है। इन दोनों शब्दों में एक चीज कॉमन है और वह है इमोशन। इमोशन सुनते ही हमारे दिमाग में एक बात आती है फीलिंग्स। फिलिंग्स ऐसी चीज है जो खुशी और दुख दोनों के साथ जुड़ा हुआ है। ऐसे में एक इंसान को उसमें बैलेंस बनाने की जरूरत है। कोई-कोई व्यक्ति इतने ज्यादा इमोशनल होते हैं उन्हें हर छोटी-छोटी बातें हर्ट कर जाती हैं।

हंसना-रोना जिंदगी का हिस्सा है। लेकिन छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाना और रोने लगना, अापके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है।क्या आप हमेशा ही बुझी-बुझी सी रहती हैं? क्या आपको छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है? क्या आप छोटी-सी बात पर भी उदास हो जाती हैं और रोने लग जाती हैं? अगर इन सभी सवालों के जवाब हां हैं, तो इसका मतलब है कि आप इमोशनली फिट नहीं है। लाइफ एंड रिलेशनशिप कोच सलोनी सिंह कहती हैं, “जिस प्रकार व्यक्ति खुद को शारीरिक रूप से फिट रखने के लिए अपनी डाइट और एक्सरसाइज पर पूरा ध्यान देता है। ठीक उसी तरह खुद को इमोशनली फिट रखने के लिए भी आपको अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता होती है।”

खुद के साथ बिताएं वक्त

खुद को इमोशनली फिट रखने का सबसे आसान तरीका यह है कि आप हर रोज खुद के साथ आधा घंटा अवश्य बिताएं। अक्सर महिलाओं के पास अपने घर-परिवार के लिए तो वक्त होता है, लेकिन वे खुद के साथ समय बिताना जरूरी नहीं समझतीं। इमोशनल फिटनेस के लिए खुद के साथ समय बिताना बेहद जरूरी है। जब आप आधा घंटा सिर्फ खुद को दें, तो उस समय अपने साथ दिनभर में हुई अच्छी-बुरी बातों के बारे में सोचें।

आपकी इमोशनल फिटनेस के कमजोर होने का एक मुख्य कारण आपके द्वारा अपनी भावनाओं को मन में दबाना भी होता है। कुछ महिलाएं चाहे वे गुस्सा हों या खुश, खुद को कभी भी एक्सप्रेस नहीं करतीं और इस वजह से सारे विचार उनके मन में ही दबे रह जाते हैं और एक दिन वह पूरी तरह से इमोशन लेस हो जाती हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने मन के भावों पर फोकस करें और उसे अपने किसी करीबी से शेयर करें। इससे आपका मन हल्का होगा और आप खुद को बेहतर महसूस करेंगी।

रोज करें मेडिटेशन
इमोशनल स्ट्रेंथ बढ़ाने के लिए आप मेडिटेशन को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। मेडिटेशन आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाने का काम करता है। जिस तरह वर्कआउट के जरिए आपकी बाॅडी की मसल्स बिल्डअप होती हैं, ठीक उसी तरह मेडिटेशन आपकी मेंटल मसल्स को बिल्डअप करता है। अगर आप रोज मेडिटेशन करती हैं, तो कोई भी भाव आपको जल्दी से प्रभावित नहीं करता क्योंकि आप यह बात अच्छी तरह जानती हैं कि यह सिर्फ आपके मन का एक भाव है और इसका आप पर प्रभाव तब तक नहीं पड़ सकता, जब तक आप ऐसा न चाहें।

कुछ महिलाओं की यह शिकायत होती है कि वह मेडिटेशन करना तो चाहती हैं, लेकिन उन्हें इसे करने का सही तरीका नहीं पता। ऐसे में आप किसी भी शांत जगह पर आंखें बंद करके बैठ जाएं और सिर्फ अपनी सांसों के आवागमन पर ही फोकस करें। इस दौरान आपके मन में बहुत से विचार आएंगे, लेकिन आप न तो उन्हें आने से रोकने का प्रयास करें और न ही जाने के लिए फोर्स करें। सिर्फ अपनी सांसों के आने-जाने पर फोकस करें। कुछ ही देर में आप खुद को काफी रिलैक्स महसूस करेंगी।

यह भी है तरीका
आप किसी को अपना सपोर्ट सिस्टम बनाएं और किसी के सपोर्ट सिस्टम बनें। जीवन में एकाकीपन आपको इमोशनली कमजोर बनाता है। अगर आपके जीवन में ऐसा कोई नहीं है, तो आप प्रकृति से अपना नाता जोड़ सकते हैं। अपनी बिजी लाइफ में से अगर आप कुछ वक्त प्रकृति के साथ बिताएं तो आपको एक अद्भुत संतोष का अनुभव होगा। इन सबसे अलग आप दूसरों की मदद करके भी खुद की मदद कर सकती हैं। आप चाहें तो किसी एनजीओ के साथ जुड़ें या फिर किसी छोटे बच्चे को पढ़ाएं, यह पूरी तरह आप पर निर्भर है। दूसरों की मदद करने से जिस खुशी व सुकून का अनुभव होता है, उसे शब्दों में बयां कर पाना बेहद मुश्किल है।

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