Wednesday, April 24, 2024
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लंदन के इस शख्स को मिला HIV से हमेशा के लिए निजात, अब तक का है ये दूसरा मामला

यह दूसरा मामला है जब लंदन में डॉक्टरों ने एक एसआईवी(HIV) पॉजिटिव मरीज को छीक कर दिया है। जो कि एक बहुत बड़ी सफलता मानी जा रही है। डॉक्टरों का कहना है, इस पॉजिटिव मरीज में एक एसआईवी प्रतिरोधी डोनर से बोन मैरो के सफल ट्रांसप्लांट किया।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 05, 2019 14:48 IST
HIV- India TV Hindi
HIV

हेल्थ डेस्क: अभी तक माना जाता था कि एड्स एक लाइलाज बीमारी है। जिसका कोई इलाज ही नहीं है लेकिन मेडिकल जगत में एक नई उम्मीद जगी है। आने वाले समय में इसका पीड़ित मरीज के ठीक होने की उम्मीद जगी है। यह दूसरा मामला है जब लंदन में डॉक्टरों ने एक एसआईवी(HIV) पॉजिटिव मरीज को छीक कर दिया है। जो कि एक बहुत बड़ी सफलता मानी जा रही है। डॉक्टरों का कहना है, इस पॉजिटिव मरीज में एक एसआईवी प्रतिरोधी डोनर से बोन मैरो के सफल ट्रांसप्लांट किया।

डोनर से बोन मैरो स्टेम सेल पाने के लगभग 3 साल बाद और लगातार 18 माह एंटीरेट्रोवाइरल दवाओं के अलावा बहुत ही सेंसटिव परीत्रण के बाद इस मरीज पर एचआईवी के कोई भी कण या निशान नहीं मिले है। जो कि एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

इस डॉक्टर टीम के प्रोफेसर और एचआईवी बायोलॉजिस्ट रविंद्र गुप्ता का कहना है कि हमें चेक करते समय कोई भी एचआईवी का वायरस नहीं मिल है।

डॉक्टर्स का कहना है कि ये एक सबूत है कि आने वाले समय में हम एड्स को खत्म करने में कामयाब हो जाएंगे। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि एचआईवी के लिए एक इलाज पाया गया है।

डॉक्टर गुप्ता ने आगे कहा कि हमने मरीज को क्रियात्मक रुप से सही कर दिया है लेकिन यह कहना थोड़ा जल्दबाजी होगी कि वह बिल्कुल सही है।

अमेरिका के इस मरीज पाया था सबसे पहले एचआईवी से निजात

एड्स महामारी के इतिहास में यह दूसरी बार है कि कोई मरीज इस खतरनाक वायरस से ठीक हुआ है। इससे पहले, एक अमेरिकी व्यक्ति टिमोथी रे ब्राउन का जर्मनी में साल 2007 में इलाज किया गया था, ब्राउन अब एचआईवी से मुक्त हैं। डेली मेल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मामला सिएटल में एक एचआईवी सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाएगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक अज्ञात व्यक्ति को 2003 में एचआईवी का पता चला था और 2012 में संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए ड्रग्स लेना शुरू कर दिया था। बाद में, उसके अन्दर कैंसर विकसित हो गया था। डॉक्टरों ने उन्हें 2016 में किसी तरह स्टेम सेल प्रत्यारोपण के लिए मनाया। इस केस की रिपोर्ट प्रतिष्ठित पत्रिका 'नेचर' में प्रकाशित हुई थी।

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