Thursday, April 25, 2024
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दिल और दिमाग का ख्याल रखने वाली ट्राउट मछली की उम्र बढ़कर 100 साल की हुई

देश में सबसे स्वादिष्ट मछलियों में से एक ट्राउट हिमाचल प्रदेश में सौ साल से अधिक की हो गई है।

India TV Lifestyle Desk Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: December 12, 2017 16:48 IST
traut fish- India TV Hindi
traut fish

हेल्थ डेस्क: देश में सबसे स्वादिष्ट मछलियों में से एक ट्राउट हिमाचल प्रदेश में सौ साल से अधिक की हो गई है। पहाड़ी राज्यों की नदियों व खड्डों के बर्फीले पानी में 12 से 19 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की बीच पलने बढ़ने वाली ट्राउट मछली में प्रोटीन अधिक व फैट कम होने के कारण इसे ह्रदयरोगियों के लिए वरदान माना जाता है। करीब सौ साल पहले 1909 में कुल्लू में तैनात रहे अंग्रेज अफसर जीसीएल हावल अपने साथ ट्राउट मछली के अंडे लाए थे और उन्होंने इसे कुल्लू कटरार्इं के पास ब्यास नदी किनारे मैहली हैचरी (मत्स्य बीज प्रजनन केंद्र) में डाला था।

उसके बाद इस मछली को प्रदेश की कई नदियों में डाला गया और इसका उत्पादन शुरू हुआ।विशेषज्ञों के अनुसार 1947 में जब प्रदेश में भारी बाढ़ आई थी तो इस बाढ़ के साथ आए मलबे ने इसका बीज नष्ट कर दिया था। उसके बाद जम्मू कश्मीर से ट्राउट का बीज मंगवाकर इसे यहां की नदियों में डाला गया। इस समय प्रदेश में रेनबो और ब्राउन प्रजाति की ट्राउट मछली पैदा हो रही हैं।

मंडी की उहल, कांगड़ा की लंबा डग, शिमला रोहड़ू की पब्बर, चंबा की अपर रावी, कुल्लू की सैंज, अपर ब्यास, तीर्थन व पार्वती व किन्नौर की वास्पा नदी में ब्राउन ट्राउट पैदा हो रही हैं। वहीं बड़े स्तर पर कुल्लू, मनाली, जंजैहली, बरोट, बठाहड़, रोहड़ू व सांगला आदि में फार्मों में भी ब्राउन के साथ-साथ रेनबो प्रजाति की मछली पैदा की जा रही है।

इसके अलावा मत्स्य विभाग के भी कटरार्इं कुल्लू व मंडी के बरोट में दो बड़े फार्म इस मछली के बीज पैदा कर रहे हैं जिसमें नदियों व खड्डों में डाला जाता है ताकि कुदरती तौर पर इसकी पैदावार बढ़े। विशेषज्ञों के अनुसार ब्राउन ट्राउट तो अब यहां के पानी में पलने की आदी हो गई है और इसका कुदरती तौर पर उत्पादन हो रहा है।

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