Thursday, April 25, 2024
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रिसर्च: मिलावटी दूध पीने से लीवर-किडनी को हो सकता खतरा, पढ़िए पूरी खबर

चिकित्सकों का कहना है कि करीब दो साल तक लगातार मिलावटी दूध पीते रहने पर लोग इंटेस्टाइन, लिवर या किडनी डैमेज जैसी खतरनाक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: November 20, 2018 14:31 IST
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हेल्थ डेस्क: चिकित्सकों का कहना है कि करीब दो साल तक लगातार मिलावटी दूध पीते रहने पर लोग इंटेस्टाइन, लिवर या किडनी डैमेज जैसी खतरनाक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के हालिया अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारत में बिकने वाला करीब 10 प्रतिशत दूध हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इस 10 प्रतिशत में 40 प्रतिशत मात्रा पैकेज्ड मिल्क की है जो हमारे हर दिन के भोजन में इस्तेमाल में आता है। 

यह 10 प्रतिशत कॉन्टैमिनेटेड मिल्क यानी दूषित दूध वह है, जिसकी मात्रा में वृद्धि दिखाने के लिए इसमें यूरिया, वेजिटेबल ऑयल, ग्लूकोज या अमोनियम सल्फेट आदि मिला दिया जाता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही नुकसानदायक हैं। 

श्री बालाजी ऐक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के गैस्ट्रोइंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर जी.एस. लांबा के अनुसार, "मिलावटी या कॉन्टैमिनेटेड दूध से होने वाला नुकसान इस बात पर निर्भर करता है कि कॉन्टैमिनेशन कैसा है। अगर दूध में बैक्टीरियल कॉन्टैमिनेशन है तो आपको फूड प्वाइजनिंग, पेट दर्द, डायरिया, इंटेस्टाइन इंफेक्शन, टाइफाइड, उल्टी, लूज मोशन जैसे इंफेक्शन होने का डर होता है।"

उन्होंने कहा, "कई बार मिनरल्स की मिलावट होने पर हाथों में झनझनाहट या जोड़ों में दर्द भी शुरू हो जाता है। वहीं अगर दूध में कीटनाशक या केमिकल्स की मिलावट है या पैकेजिंग में गड़बड़ है तो इसका आपके पूरे शरीर पर लंबे समय के लिए बहुत खराब असर पड़ता है। इस तरह के मिलावटी दूध को काफी समय से यानी करीब दो साल से लगातार पीते रहने पर आप इंटेस्टाइन, लिवर या किडनी डैमेज जैसी खतरनाक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।"

पुष्पावती सिंघानिया हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की कंसल्टेंट पीडियाट्रिक्स डॉक्टर अंजलि जैन बताती हैं, "इस तरह के कॉन्टैमिनेटेड दूध में कुछ ऐसी केमिकल की मिलावट भी होती है जिनसे कार्सियोजेनिक समस्याएं भी हो सकती हैं। अगर आप करीब 10 साल तक इस मिल्क प्रोडक्ट को ले रहे हैं तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने की संभावना हो सकती है।"

हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने दूध में किसी भी तरह की मिलावट के लिए उम्र कैद की सजा तय की है, फिर भी इस तरह की स्टडी रिजल्ट्स का आना उन सबके लिए चिंता का विषय है जो अपनी रोजाना की लाइफ में पैकेज्ड दूध का प्रयोग करते हैं। पैकेज्ड दूध की क्वालिटी पर हमारा कोई नियंत्रण तो नहीं होता पर कुछ छोटी-छोटी बातों को अपनाकर हम उसके दुष्प्रभाव को कम कर सकते हैं।

धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल के जनरल फिजिशियन डॉक्टर गौरव के अनुसार, "पॉस्चराइज्ड दूध होता ही इसलिए है, ताकि आपकी सेहत को उससे कोई नुकसान न पहुंचे। लेकिन अगर वो भी कॉन्टैमिनेटेड हो तो आप इसमें बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। हां, टेट्रा पैक को प्रमुखता देकर आप कुछ हद तक इससे बच सकते हैं। चूंकि टेट्रा पैक के अंदर प्लास्टिक एक्सपोजर्स कम होते हैं तो वह प्लास्टिक पैक से कम दूषित होता है।"

डॉक्टर जी. एस. लांबा का भी मानना है कि दूध को सही तरह से उबालकर आप इसके भीतर के सिंपल इंफेक्शन वाले बैक्टीरिया को हटा सकते हैं। इसके अलावा इसे हमेशा रेफ्रीजेरेट करके रखें और भूलकर भी खुला न छोड़ें।

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