Thursday, April 25, 2024
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जानें कैसे आईवीएफ से जन्मे बच्चों का स्वास्थ्य नहीं है अन्य बच्चों से अलग

निष्कर्षो से पता चला कि शुक्राणु दाताओं के माध्यम से जन्म लेने वाले बच्चों में सामान्य गर्भधारण से जन्मे बच्चों की तुलना में विशेष स्वास्थ्य जरूरतें होती हैं, लेकिन आईवीएफ तकनीक से जन्मे बच्चे सामान्यतया अधिक स्वस्थ जीवन जीते हैं।

India TV Lifestyle Desk Edited by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: July 13, 2017 13:18 IST
IVF treatment- India TV Hindi
IVF treatment

नई दिल्ली: आईवीएफ एक ऐसी तकनीक है जिसके अंतर्गत बांझ महिलाओं में कृत्रिम गर्भाधान किया जाता है। आईवीएफ को बांझपन दूर करने की एक कारगर तकनीक माना गया है। इस तकनीक का प्रयोग उन महिलाओं में किया जाता है जो प्राकृतिक तरीके से अपने बच्चों को जन्म नहीं दे सकती। एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि आईवीएफ तकनीक से पैदा होने वाले बच्चे प्राकृतिक गर्भधारण के जरिए जन्मे बच्चों के समान ही स्वस्थ होते हैं।

आस्ट्रेलिया के मडरेक चिल्ड्रंस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एमसीआरआई) ने अपने अध्ययन में कहा है कि आईवीएफ से जन्मे बच्चे स्कूल जाने की आयु तक अन्य बच्चों की तरह ही शारीरिक, मानसिक और भावात्मक रूप से स्वस्थ होते हैं। मुख्य शोधार्थी डेविड एमॉर ने कहा कि यह परिणाम आईवीएफ बच्चों के माता-पिता को सुकून प्रदान करने वाली है, क्योंकि शुक्राणु दाता से जन्मे बच्चों की संख्या सन 2010 के बाद से विक्टोरिया में दोगुनी हो चुकी है।

एमॉर ने अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए बुधवार को आस्ट्रेलिया मीडिया को बताया, "महिलाएं और दंपति शुक्राणु दाता का चुनाव करते हुए बहुत ज्यादा सोच-विचार करते हैं और काफी मशक्कत करते हैं। आईवीएफ सेवा प्रदान करने वाले भी शुक्राणु दाताओं के चयन में काफी जांच-परख और कांट-छांट करते हैं।"

इस शोध के लिए आईवीएफ तकनीक से बच्चों को जन्म देने वाली विक्टोरिया की 224 महिलाओं से उनके बच्चों और उनके खुद के स्वास्थ्य से जुड़े कुछ सवाल किए गए।

निष्कर्षो से पता चला कि शुक्राणु दाताओं के माध्यम से जन्म लेने वाले बच्चों में सामान्य गर्भधारण से जन्मे बच्चों की तुलना में विशेष स्वास्थ्य जरूरतें होती हैं, लेकिन आईवीएफ तकनीक से जन्मे बच्चे सामान्यतया अधिक स्वस्थ जीवन जीते हैं।

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