Thursday, April 25, 2024
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UN में अपने भाषण से दुनियाभर में छाई ग्रेटा थनबर्ग है एस्पर्जर सिंड्रोम से ग्रसित, जानें इस रोग के बारे में सबकुछ

ग्रेटा थनबर्ग 'एस्पर्जर सिंड्रोम' नामक रोग से ग्रसित है। जो ऑटिज्म़ का ही एक भाग माना जाता है। इस बारे में खुद ग्रेटा ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया था।

Shivani Singh Written by: Shivani Singh @lastshivani
Updated on: September 26, 2019 13:49 IST
greta thunberg- India TV Hindi
greta thunberg

ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) का नाम तो आपने सुना ही होगा। जी हां जिसने अपने जलवायु परिवर्तन को लेकर शानदार स्पीच के कारण दुनियाभर में छाई हुई है। अपने भाषण से उन्होंने विश्व के जानेमाने नेताओं को अंदर तक झकझोर दिया। वह पूरी दुनिया को अपने काम से प्रभावित कर रही है।

ग्रेटा थनबर्ग 'एस्पर्जर सिंड्रोम' नामक रोग से ग्रसित है। जो ऑटिज्म़ का ही एक भाग माना जाता है। इस बारे में खुद ग्रेटा ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया था।

2 अप्रैल को होने वाले ऑटिज़्म अवेयरनस डे के दिन ग्रेटा ने अपने फेसबुक पेज में लिखा, 'आज ऑटिज़्म अवेयरनस डे है और ऑटिज़्म कोई तोहफ़ा नहीं है। कई लोगों के लिए ये स्कूल, कामकाजी जगहों और बुली करने वाले लोगों के ख़िलाफ कभी न ख़त्म होने वाली लड़ाई है। लेकिन सही परिस्थितियों में सही सुधारों के साथ ये एक महान शक्ति बन सकता है।'

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इसके आगे ग्रेटा ने लिखा, 'मैने भी अवसाद, अलगाव, विकार और चिंता झेली है लेकिन इलाज के बिना मैं कभी स्कूल न जाने की अपनी ये हड़ताल शुरू नहीं कर पाती। क्योंकि फिर मैं भी बाकी सब लोगों की तरह ही होती।'

ग्रेटा को एक एस्पर्जर सिंड्रोम (Asperger’s syndrome)  से ग्रसित है। जानें इस बीमारी के बारे में सबकुछ।

क्या है एस्पर्जर सिंड्रोम?

यह सिंड्रोम एक डेवलपमेंट डिसऑर्डर है जिससे पीड़ित लोगों से बातचीत करने की क्षमता पर प्रभाव डालता है। वह जल्द ही किसी व्यक्ति की बातों को नहीं समझ पाता है। ये लोग काफी स्मार्ट होते है। लेकिन इनके साथ समस्या होती है कि अपने बेहतरीन बात को दूसरे को सामने ठीक ढंग से पेश नहीं कर पाते हैं। यह अब ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) का हिस्सा है। यह एक मानसिक समस्या है।

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GRETA

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एस्पर्जर सिंड्रोम के कारण

इस बीमारी का होने का मुख्य कारण क्या है। अभी तक ये बात सामने नहीं आईं है। माना जाता है कि यह सिंड्रोम अनुवांशिक भी हो सकता है। या फिर प्रेग्नेंसी के दौरान आसपास के माहौल के कारण कुछ बच्चों में इस मानसिक बीमारी के शिकार हो जाते है। कई बार इस रोग का होने का कारण न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम भी हो सकती है।

एस्पर्जर सिंड्रोम के लक्षण

बातचीत करने में समस्या- इस रोग से ग्रसित लोग मजाक जैसी चीजों को जल्दी समझ नहीं पाते है। अगर कोई बात कर रहा है तो उन्हें समझने में समस्या होती है कि आखिर वह किस मुद्दे में बात कर रहे हैं।

सामाजिक चीजों को समझने में असमर्थ- वह सामाजिक संकेतों को याद कर सकते हैं जो अन्य लोगों के लिए स्पष्ट हैं, जैसे कि बॉडी लैंग्वेज या लोगों के चेहरे पर भाव। कई बार इन्हें इस बात को महसूस नहीं कर पाते है कि इनके बगल से कोई निकला है या फिर कोई उनपर गुस्सा कर रहा है।

इमोशन की समस्या

एक लक्षण होता है कि आपका बच्चा कई भावनाओं को समझ नहीं पाता है। जब वह खुशी होता है या फिर किसी मजाक में वह हंसता नहीं है।

कैसे लगाएं इस सिंड्रोम का पता

अगर आपके बच्चे के अंदर ये लक्षण समझ आते है तो उसे किसी मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के पास ले जाए। जो इस बीमारी को अच्छी तरह से जानता है।

एस्पर्जर सिंड्रोम का ट्रीटमेंट
हर बच्चा अपने आप पर अलग होता है। जरुरी नहीं कि वह हर एक चीज में फिट बैठता हो। ऐसे बच्चों को आप कुछ थेरेपी के साथ सही कर सकते है।

इस बीमारी से पूरी तरह से निजात नहीं पाया जा सकता है। वह एक आम इंसान की तरह नहीं जी सकता है। सोशल स्कील ट्रेनिंग-इसमें थेरेपिस्ट सीखाता है कि कैसे आप लोगों से जुड़ सकते है।
स्पीच लैंग्वेज थेरेपी- इस थेरेपी में बच्चे की कम्यूनिकेशन स्किल को सही किया जाता है कि कैसे कब और क्या कहना है।
संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Cognitive behavioral therapy)- इस थेरेपी में बच्चें को सोचने की नजरिए को थोड़ा बदला जाता है। जिससे कि वह इमोशन और अपने बिहेवियर को कंट्रोल कर सके।
पैरेंट एजुकेशन एंड ट्रेनिंग(Parent education and training)- इस टेक्निक में समझाया जाता है कि कैसे आप घर पर रहकर लोगों के जुड़ सकते है।

इसके अलावा कई दवाएं है तो डॉक्टर्स देते है।

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