Thursday, April 25, 2024
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दिल्ली में डिप्थीरिया जैसे जानलेवा रोग ने दस्तक, इन लक्षणों को न करें इग्नोर साथ ही जानें ट्रीटमेंट

डिप्थीरिया एक संक्रामक जीवाणु रोग है जो गले और ऊपरी वायुमार्ग को प्रभावित करता है। जानें इसके बारें में सबकुछ।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: August 02, 2019 10:53 IST
diphtheria- India TV Hindi
diphtheria

हेल्थ डेस्क: दिल्ली में एक बार डिप्थीरिया रोग वापस आ गया है। इस रोग से दिल्ली में अभी तक एक की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही इस माह इससे संबधित 14 केस और सामने आए है। जो कि इस साल की सबसे ज्यादा एडमिट होने की संख्या है। डिप्थीरिया एक संक्रामक जीवाणु रोग है जो गले और ऊपरी वायुमार्ग को प्रभावित करता है, और एक विष का उत्पादन करता है जो अन्य अंगों को प्रभावित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 5-10% मामलों में रोग घातक हो सकता है।

आपको बता दे कि हर साल औसतन ऐसा होता है। अक्टूबर महीने के बाद इसमें कमी आनी शुरू हो जाती है। इस बीमारी के शिकार सबसे ज्यादा बच्चे होते है। साल 2018 में इस बीमारी से दिल्ली में कई बच्चों की मौंत हुई थी।

आपको बता दें कि इसे गलाघोंटू के नाम से भी जाना जाता है। जानें इसके लक्षण, कारण और बचाव के बारें में।

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क्या है डिप्थीरिया?
डिप्थीरिया एक प्रकार के इंफेक्शन से फैलने वाली बीमारी है। इसे आम बोलचाल में गलाघोंटू भी कहा जाता है। यह कॉरीनेबैक्टेरियम बैक्टीरिया के इंफेक्शन से होता है। चपेट में ज्यादातर बच्चे आते हैं। हालांकि बीमारी बड़ों में भी हो सकती है। बैक्टीरिया सबसे पहले गले में इंफेक्शन करता है। इससे सांस नली तक इंफेक्शन फैल जाता है। इंफेक्शन की वजह से एक झिल्ली बन जाती है, जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। एक स्थिति के बाद इससे जहर निकलने लगता है जो खून के जरिए ब्रेन और हार्ट तक पहुंच जाता है और उसे डैमेज करने लगता है। इस स्थिति में पहुंचने के बाद मरीज की मौत का खतरा बढ़ जाता है। डिप्थीरिया कम्यूनिकेबल डिजीज है यानी यह बड़ी आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है।

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Image Source : NETDOCTOR
diphtheria

डिप्थीरिया के लक्षण

  • गले में सूजन, ठंड लगना
  • सांस लेने में कठिनाई
  • बुखार, गले में खराश या फिर खांसी आना
  • इंफेक्शन मरीज के मुंह, नाक और गले में रहता है और फैलता है
  • कई मामलों में यह एक इंसान से दूसरे इंसान को भी हो जाता है।
  • कमोजरी होना
  • दिल की धड़कने ते हो जाना
  • नाक बहना

वहीं अगर बच्चे इस बीमारी के शिकार होते है तो शुरुआत में ये लक्षण दिखाई देते है।

  • जी मिचलाना
  • उल्टी होना
  • ठंड लगना, सिरदर्द और बुखार हो जाना।

अगर कोई व्यक्ति इस इंफेक्शन से ग्रसित है तो 5 दिन के अंदर ही शुरुआती लक्षण नजर आने लगते है।   वहीं 12 से 24 घंटे के अंदर आप इस समस्या से परेशान है तो आपको गले में दर्द, सूजन के साथ-साथ सांस लेने में समस्या जैसे लक्षण दिखेगे।

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ऐसे होगा डायग्नोसिस
इसके लिए क्लिनिक में गले और नाक के कुछ नमूने लेते  है।
यदि संभव हो तो, स्वैब को स्यूडोमेम्ब्रेनर के नीचे से भी लिया जाता है या झिल्ली से ही निकाला जाता है।

ट्रिटमेंट
इसके टस्ट होने के बाद डॉक्टर ट्रिचमेंट शुरु करते है। डिप्थीरिया में शीरम दिया जाता है। जिससे कि इसके वैक्टिरिया को फैलने से रोका जा सकते है।

बच्चे का जरूर कराएं वैक्सीनेशन
वैक्सीनेशन से बच्चे को डिप्थीरिया बीमारी से बचाया जा सकता है। नियमित टीकाकरण में डीपीटी (डिप्थीरिया, परटूसस काली खांसी और टिटनेस) का टीका लगाया जाता है। 1 साल के बच्चे को डीपीटी के 3 टीके लगते हैं। इसके बाद डेढ़ साल पर चौथा टीका और 4 साल की उम्र पर पांचवां टीका लगता है। टीकाकरण के बाद डिप्थीरिया होने की संभावना नहीं रहती है। बच्चों को डिप्थीरिया का जो टीका लगाया जाता है वह 10 से ज्यादा समय तक प्रभावी नहीं रहता। लिहाजा बच्चों को 12 साल की उम्र में दोबारा डिप्थीरिया का टीका लगवाना चाहिए।

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