Thursday, April 25, 2024
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पेल्विक टीबी से ग्रस्त 10 में से 2 महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती, जानें डॉक्टर्स की राय

पेल्विक ट्यूबरक्लोरसिस (टीबी) से ग्रस्त हर 10 महिलाओं में से दो गर्भधारण नहीं कर पाती हैं और जननांगों की पेल्विक टीबी के 40-80 प्रतिशत मामले महिलाओं में देखे जाते हैं।

IANS Reported by: IANS
Published on: March 25, 2019 11:57 IST
Pregnancy - India TV Hindi
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हेल्थ डेस्क: पेल्विक ट्यूबरक्लोरसिस (टीबी) से ग्रस्त हर 10 महिलाओं में से दो गर्भधारण नहीं कर पाती हैं और जननांगों की पेल्विक टीबी के 40-80 प्रतिशत मामले महिलाओं में देखे जाते हैं। चिकित्सकों का कहना है कि अधिकतर वे लोग इसकी चपेट में आते हैं, जिनका इम्यून सिस्टम या रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होता है और जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं। इंदिरा आईवीएफ हास्पिटल कि आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. सागरिका अग्रवाल का कहना है कि संक्रमित व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तब बैक्टरिया वायु में फैल जाते हैं और जब हम सांस लेते हैं यह हमारे फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाना भी जननांगों की पेल्विक टीबी होने का एक कारण है।

उन्होंने कहा, "चूंकि यह बैक्टीरिया चुपके से आक्रमण करने वाला है इसलिए उन लक्षणों को पहचानना बहुत मुश्किल है कि पेल्विक टीबी महिलाओं में प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर रही है। इसमें अनियमित मासिक चक्र, योनि से विसर्जन जिसमें रक्त के धब्बे भी होते हैं, यौन सबंधों के पश्चात दर्द होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन कई मामलों में ये लक्षण (संक्रमण) काफी बढ़ जाने के पश्चात दिखाई देते हैं।"

डॉ. सागरिका अग्रवाल ने कहा हालांकि प्रजनन मार्ग में पेल्विक टीबी की उपस्थिति की पहचान करना मुश्किल है, फिर भी कई तकनीकें हैं जिनके द्वारा इस रोग की पहचान की जाती है जैसे जो महिला पेल्विक टीबी से पीड़ित है उसकी डिम्बवाही नलियां और गर्भकला से उतकों के नमूने लिए जाते हैं और उन्हें प्रयोगशाला में भेजा जाता है, जहां बैक्टीरिया विकसित होते हैं और बाद में उन्हें जांच के लिए भेजा जाता है।

उन्होंने कहा कि सबसे विश्वसनीय पद्धति है कि पेल्विक टीबी करने वाले बैक्टीरिया की हिस्टो लॉजिकल डायग्नोसिस या औतकीय पहचान की जाए, जो चिकित्सकों को लैप्रोस्कोपी में यह सुनिश्चित करने में सहायता करते हैं कि यह संदेहास्पद घाव टीबी के कारण है या नहीं। इसके डायग्नोसिस के लिए पॉलीमरैज चेन रिएक्शन पद्धति का भी प्रयोग किया जाता है, लेकिन दुर्भाग्य से यह बहुत महंगी है और विश्वसनीय भी नहीं है।

डॉ. सागरिका ने कहा कि कई डॉक्टर इन नलियों को ठीक करने के लिए सर्जरी करते हैं, लेकिन यह कारगर नहीं होती है। अंत में संतानोत्पत्ति के लिए इन-व्रिटो फर्टिलाइजेशन की सहायता लेनी पड़ती है। उन वयस्कों में पेल्विक टीबी का संक्रमण जल्दी फैलता है जो कुपोषण के शिकार होते हैं, क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए उपचार के दौरान खानपान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों को एटरैटेड प्रोडक्ट्स, अल्कोहल, संसाधित मांस और मीठी चीजों जैसे पाई, कप केक आदि के सेवन से बचना चाहिए। उनके भोजन में पत्तेदार सब्जियां, विटामिन डी और आयरन के सप्लीमेंट्स, साबुत अनाज और असंतृप्त वसा होना चाहिए।

डॉ. सागरिका ने बताया, "भोजन पेल्विक टीबी के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अनुपयुक्त भोजन से उपचार असफल हो सकता है और द्वितीय संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।"

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