Friday, March 29, 2024
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हार्ट के मरीजों को कभी न दें ये चीज, हो सकती है खतरनाक

र्टियल फिब्रीलेशन (एएफ) के एक तिहाई मरीज, जिन्हें दिल के दौरे का मध्यम से गंभीर खतरा होता है, उन्हें मुंह से लेने वाले एंटी-कोगुलेंट्स की बजाय अक्सर एस्प्रिन दी जाती है। सच तो यह है कि एस्प्रिन देने से एएफ की वजह से होने वाले थ्रोम्बियोम्लिजम...

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: June 27, 2016 18:00 IST
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हेल्थ डेस्क: आर्टियल फिब्रीलेशन (एएफ) के एक तिहाई मरीज, जिन्हें दिल के दौरे का मध्यम से गंभीर खतरा होता है, उन्हें मुंह से लेने वाले एंटी-कोगुलेंट्स की बजाय अक्सर एस्प्रिन दी जाती है। सच तो यह है कि एस्प्रिन देने से एएफ की वजह से होने वाले थ्रोम्बियोम्लिजम को रोकने में कोई मदद नहीं मिलती।

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अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियॉलॉजी की पिनाकल रजिस्ट्री में प्रकाशित एएफ के मरीजों के नए मूल्यांकन के मुताबिक, लगभग 40 फीसदी मरीजों को मुंह से लेने वाले एंटी-कोगुलेंट्स की बजाय केवल एस्प्रिन दी गई। कई तरह के बदलाव करने के बाद देख गया कि जिन मरीजों को एस्प्रिन दी गई है, उनमें दिल के रोगों का खतरा उन लोगों की तुलना में ज्यादा है, जिन्हें मुंह से लेने वाले एंटी-कोगुलेंट्स दी गई।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के ऑनरेरी सक्रेटरी व हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि इस बात के काफी प्रमाण मिल चुके हैं कि एस्प्रिन एंटी-कोगुलेंट्स नहीं है और यह एएफ से होने वाले स्ट्रोक को रोकने में मदद नहीं करती।

उन्होंने बताया कि गलत इलाज के खतरे को समझते हुए आईएमए ने अपने ढाई लाख डॉक्टर सदस्यों को इस बारे में जानकारी देने के लिए सर्कुलर भेज दिया है कि आर्टियल फिब्रीलेशन के मरीज, जिन्हें दिल के दौरे का कम खतरा होता है, उन्हें एस्प्रिन न दी जाए।

अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियॉलॉजी व अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन अभी भी स्ट्रोक के कम खतरे वाले मरीजों को एस्प्रिन देने की बात को नाममात्र ही समर्थन देता है, लेकिन यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी और यूके की एनआईसीई एएफ की वजह से होने वाले थ्रोम्बियोम्लिजम को रोकने के लिए अब एस्प्रिन देने की सलाह नहीं देता है।

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