Friday, April 19, 2024
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इस तरह पांच साल पहले ही पता चल जाएगा इस खतरनाक बीमारी का नाम, जानें कैसे

वैज्ञानिकों ने ऐसा कृत्रिम बुद्धिमता (एआई या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) एल्गोरिदम तैयार किया है जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता में कमी के कारण अगले पांच साल में उसे अल्जाइमर होने का खतरा तो नहीं है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: October 08, 2018 14:14 IST
Alzheimer- India TV Hindi
Alzheimer

हेल्थ डेस्क: वैज्ञानिकों ने ऐसा कृत्रिम बुद्धिमता (एआई या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) एल्गोरिदम तैयार किया है जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता में कमी के कारण अगले पांच साल में उसे अल्जाइमर होने का खतरा तो नहीं है। इन वैज्ञानिकों में से एक भारतीय मूल के हैं।

कनाडा में यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के शोधकर्ताओं ने ऐसा एल्गोरिदम तैयार किया है जो मैग्नेटिक रेसोनेंस इमेजिंग (एमआरआई), जेनेटिक्स और क्लिनिकल डेटा से मिले संकेतों को समझता है। (जयपुर के बाद दिल्ली में भी जीका वायरस होने का खतरा बढ़ा, जानें डेंगू के मच्छर से फैलने वाले इस रोग के लक्षण और बचाव )

पीएलओएस कम्प्यूटेशनल बायोलॉजी में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, उक्त एल्गोरिदम यह पता लगाने में मदद कर सकता है कि व्यक्ति की समझने-बूझने की क्षमता में कमी आने से अगले पांच वर्षों में उसे कहीं अल्जाइमर रोग होने की आशंका तो नहीं है। (सप्ताह में 1 या 2 बार एस्प्रिन का सेवन करने से कम होगा लिवर कैंसर का खतरा: स्टडी )

कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी में सहायक प्राध्यापक मलार चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘वर्तमान में, अल्जाइमर के उपचार के सीमित तरीके हैं और सबसे बेहतर है इसकी रोकथाम। चिकित्सा सहायक के रूप में कृत्रिम बुद्धिमता प्रक्रिया की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। इसकी सहायता से लोग उपचार के लिए सही दिशा अपना सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि अनुमान के आधार पर लोग जीवनशैली में बदलाव कर सकते हैं जिससे अल्जाइमर को टाला जा सके, या फिर इसे पूरी तरह से रोकना भी संभव है।

इस शोध में 800 लोगों को शामिल किया गया जिनमें से कुछ की सेहत सामान्य थी, कुछ के समझने-बूझने की क्षमता में मामूली कमी आई थी तो कुछ ऐसे थे जो अल्जाइमर से पीड़ित थे।

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