Thursday, April 18, 2024
Advertisement

2 अक्टूबर से सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ जंग, अब ये चीजें विकल्प के तौर पर आएंगी काम

2 अक्टूबर से भारत में सिंगल यूज़ प्लास्टिक के खिलाफ जंग छिड़ने जा रही है। आइए हम आपको बताते हैं कि ऐसी कौन सी चीजें हैं जो प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की जा सकती हैं।

Jyoti Jaiswal Written by: Jyoti Jaiswal @TheJyotiJaiswal
Updated on: October 03, 2019 12:21 IST
सिंगल यूज प्लास्टिक...- India TV Hindi
सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

नई दिल्ली: पर्यावरण को बचाने के सरकार 2 अक्टूबर यानी गांधी जयंती वाले दिन से सिंगल यूज प्लास्टिक (Single use Plastic) के खिलाफ अभियान चलाने जा रही है। यानी इसके बाद सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करना हो हो जाएगा। बता दें, सिंगल यूज प्लास्टिक से पर्यावरण को नुकसान तो होता है ही साथ ही ये प्लास्टिक रिसाइकल भी नहीं होते हैं। प्लास्टिक कई माइक्रॉन में बनता है, लेकिन 40 माइक्रोमीटर (माइक्रॉन) या उससे कम स्तर के प्लास्टिक को सिंगल यूज प्लास्टिक कहते हैं। ये पर्यावरण में  ही रहेंगे और इनका विनाश करना भी संभव नहीं होता है।

Related Stories

सिंगल यूज प्लास्टिक में सब्जी की पतली वाली पन्नी, जो आप सब्जी वाले से लेते हैं, सड़क पर ठेली पर मिलने वाले प्लास्टिक वाले चाय के कप, पानी की बोतल, कोल्ड ड्रिंक्स की बोतल, कोल्ड ड्रिंक की स्ट्रा, ऑनलाइन शॉपिंग में सामान को रैप के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पॉलिथीन, बर्थडे पर केक के साथ मिलने वाला चाकू, चाट-पकोड़ी वाली प्लास्टिक की प्लेट्स, प्लास्टिक के चम्मच और कांटे और इसके अलावा डिस्पोजल आइटम्स।

अब मसला ये है कि जब ये सारी चीजें बैन हो जाएंगी तो इसके विकल्प के रूप में आप क्या इस्तेमाल करेंगे। पॉलीथिन और प्लास्टिक बैग का सबसे अच्छा विकल्प कपड़े या जूट से बना थैला है। हमें बस ये थैला मार्केट जाते वक्त कैरी करना है, आप अपने साथ मोबाइल रखना नहीं भूलते हैं वैसे ही अपने बैग में कपड़े का थैला रखना मत भूलिएगा। आप अपने टेलर से ऐसा बैग भी बनवा सकते हैं।

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

ये तो हो गई घर की बात, लेकिन प्लास्टिक बैग में आने वाले दूध कोल्ड ड्रिंक्स या पानी की पैकेजिंग करने वाली कंपनियां प्लास्टिक की जगह कौन से विकल्प इस्तेमाल करेंगी?

प्लास्टिक के विकल्प से खतरा क्या है?

अमेरिकी केमिस्ट्री काउंसिल एवं पर्यावरण अनुसंधान करने वाली कंपनी ट्रूकॉस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कोल्ड-ड्रिंक बनाने वाली कंपनियां प्लास्टिक की जगह कांच, एल्यूमिनियम या फिर टिन का इस्तेमाल करने लगेंगी तो पर्यावरण में प्रदूषण पहले से ज्यादा फैलेगा। इसके अलावा खाने पीने का सामान और दूध-दही जैसे उत्पादों को अगर प्लास्टिक की जगह किसी और विकल्प का इस्तेमाल करके देंगी तो वो ग्राहकों की जेब पर असर डालेगा। क्योंकि अन्य विकल्प महंगे भी हैं। 

आपने मॉल में देखा होगा वहां फल और सब्जियां प्लास्टिक में लिपटे होते हैं, दरअसल प्लास्टिक में रैप करने से फल और सब्जियां ज्यादा दिन तक चलती हैं। अगर प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होगा तो भोजन की बर्बादी रोकने का भी दूसरा विकल्प खोजना होगा। इतनी सारी दिक्कतें हैं लेकिन पॉलिथीन का इस्तेमाल करना भी ठीक नहीं है सभी को पता है कि प्लास्टिक एक तो पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं दूसरा प्लास्टिक में पाए जाने वाले केमिकल शरीर में कैंसर जैसी बीमारियां भी पैदा करते हैं।

फिलहाल वैज्ञानिक प्लास्टिक के विकल्प की तलाश में हैं।

क्या हैं नए विकल्प?

कोका-कोला अपने प्रोडक्ट की पैकेजिंग के लिए अब बायो-प्लास्टिक का यूज बढ़ा रही है। यह बायो-प्लास्टिक ब्राजील में पैदा होने वाले गन्ने से मिलकर तैयार होता है। हालांकि यह प्लास्टिक की बोतलों से काफी महंगा होगा। प्लास्टिक के कुछ और विकल्प सामने आ रहे हैं। आइए जानते हैं वो क्या हैं?

माइकोटेक्चर

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

मशरूम खाने में तो बहुत टेस्टी लगते हैं, लेकिन इनमें ऐसी खासियत भी है कि हम इसका इस्तेमाल प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर भी आने वाले समय में कर पाएंगे। पेड़ों से चिपककर जो फफूंद उगते हैं वो प्लास्टिक का विकल्प बनने में वैज्ञानिकों के लिए काफी मददगार हैं। इनसे तैयार प्रोडक्ट, पैकेजिंग में प्रयोग होने वाले प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इसके अलावा ध्वनियंत्र और फर्नीचर बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। माइकोवर्क्स नाम की एक कंपनी के इंजीनियर, डिज़ाइनर और वैज्ञानिक मिलकर फफूंद के रेशों से नए प्रोडक्ट बना रहे हैं। इनसे रबर-कार्क जैसी चीजें तैयार हो रही हैं। न्यूयॉर्क की एक और कंपनी इवोकेटिव डिज़ाइन फफूंद के अंकुरण यानी माइसीलियम की मदद लेकर लकड़ी के पैनल जोड़ने में इस्तेमाल में ले रही हैं। इनसे तैयार मैटीरियल भी आग नहीं पकड़ता है।

सबसे अच्छी बात ये है कि माइसीलियम को किसी भी कृषि उत्पाद के कचरे पर उगाया जा सकता है। इसमें पिस्ते के छिलके से लेकर लकड़ी के बुरादे तक में इन फफूंद को विकसित किया जा सकता है। ये नेचुरल पॉलीमर होते हैं, जो मजबूत से मजबूत गोंद से भी ज़्यादा मज़बूती से चिपकाने और जोड़ने के काम आते हैं। इसलिए फफूंद को प्लास्टिक का अच्छा विकल्प माना जा रहा है।

चट्टानों से बनने वाले ऊन 

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

दुनियाभर में चट्टानें बड़ी मात्रा में हैं, खास बात ये है कि साइंटिस्ट अब इन चट्टानों से ऊन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। आप जानते ही होंगे ज्वालामुखी विस्फोट से लावा निकलकर जब ठंडा हुआ तब चट्टानें बनी हैं। अब इन चट्टानों को लोहा बनाने के दौरान निकलने वाले तत्व स्लैग से मिलाकर स्टोन वूल तैयार किया जा रहा है। इनकी खासियत ये होती है कि इसमें आग नहीं लगती है। खराब मौसम में भी ये ऊन खराब नहीं होता है। इसके अलावा इसमें गर्मी रोकने की भी क्षमता होती है। रॉकवूल ग्रुप नाम की एक कंपनी काफी ज्यादा मात्रा में स्टोनवूल तैयार कर रही है। उम्मीद है कि आने वाले समय में हम चट्टानों से बनने वाले ऊन को प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर पाएंगे।

एडिबल फिल्म

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

अमेरिकी एग्रीकल्चर विभाग ने एक पतली परत वाली प्रोटीन (इडिबल) फिल्म तैयार की है, इसे दूध की मदद से तैयार किया गया है। इस प्रोटीन फिल्म ज्यादा तापमान भी इस्तेमाल की जा सकती है, साथ ही इसे रिसाइकल करना भी आसान है। फिलहाल स्टार्च का इस्तेमाल भी पैकिंग आइटम के लिए प्रयोग किया जाता है। मिल्क प्रोटीन को वैज्ञानिक जल्द ही आम लोगों के इस्तेमाल के लिए लाएंगे, जिससे यह प्लास्टिक का अच्छा विकल्प बन सके।

इको-फ्रेंडली बोर्ड

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

बोर्ड का इस्तेमाल आज दुनिया भर में फर्नीचर बनाने में होता है, किचेन, बेडरूम या ऑफिस हर जगह बोर्ड से ही फर्नीचर बनते है। लेकिन दिक्कत ये है कि बोर्ड्स में आसानी से आग लग जाती है और इससे सांस की तकलीफ के साथ कैंसर तक होने की संभावना रहती है। वहीं प्लास्टिक से बनने वाली फर्नीचर टिकाऊ भी नहीं होते हैं और उनके रिसाइकल से भी पर्यावरण को काफी नुकसान होता है। अब एनयू ग्रीन नाम की कंपनी यूनिबोर्ड नाम का नया इको फ्रेंडली बोर्ड तैयार किया है। इससे पेड़ भी बचाए जा सकेंगे और कचरा भी कम होगा। यह यूनिबोर्ड प्रदूषण बढ़ने से भी रोकता है। यह यूनिबोर्ड भुट्टे के डंठल और हॉप नाम के एक पौधे से तैयार किया जाता है। इसे जोड़ने में फॉर्मेल्डिहाइड से मुक्त केमिकल प्रयोग में लाया जाता है। यह सेहत और पर्यावरण दोनों के लिए अच्छा है। इसे भी प्लास्टिक फर्नीचर के विकल्प के तौर पर वैज्ञानिक देख रहे हैं।

सेल्यूलोज-फाइबर

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

सिंगल यूज प्लास्टिक के विकल्प

घास, अनाज, केला, नारियल को भी प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किए जाने पर काम किया जा रहा है। एक निश्चित तापमान पर इन्हें गर्म करके इनसे निकलने वाले तरल पदार्थ को पैकेजिंग वाली पॉलिथिन के विकल्प के तौर पर तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा सी-वीड को उबालकर इससे निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ का इस्तेमाल करके बोतल तैयार की जा सकती हैं। इसे पानी की बोतल के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।  यह मिट्टी में मिलकर आसानी से खत्म हो जाती है। 
पूरी दुनिया अपने स्तर पर प्लास्टिक के कम से कम इस्तेमाल के विकल्प तैयार करने की कोशिश कर रही है, लेकिन हमें भी अब हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठना चाहिए। खुद को प्लास्टिक की लत से बाहर निकालिए। पीने का पानी रखने के लिए कांच या तांबे की बोटल, प्लास्टिक की जगह कांच या स्टील का लंच बॉक्स और घर से कपड़े या जूट का थैला मार्केट ले जाकर हम देश को साफ और प्लास्टिक फ्री रखने में थोड़ा योगदान तो दे ही सकते हैं। ये आपको भी स्वस्थ रखेगा और हमारे देश को भी।

Latest Lifestyle News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Features News in Hindi के लिए क्लिक करें लाइफस्टाइल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement