Friday, March 29, 2024
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'अविश्वास' के गेम में फंस गए राहुल गांधी?

माना जा रहा है कि कांग्रेस-टीडीपी समेत 5 पार्टियों के इस अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी सरकार बड़ी ही आसानी से विश्वास पा लेगी। कम से कम पार्टियों के संख्या बल देखकर तो यही नजर आता है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 19, 2018 11:22 IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'अविश्वास' के गेम में फंस गए राहुल गांधी?- India TV Hindi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर 'अविश्वास' के गेम में फंस गए राहुल गांधी?

नई दिल्ली: संसद के मॉनसून सत्र में शुक्रवार को पहली बार नरेंद्र मोदी सरकार को अग्नी परीक्षा से गुजरना पड़ेगा यानी विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा। वहीं पेश होने वाले अविश्वास प्रस्ताव को लेकर खेमेबाजी शुरू हो गई है। जहां कांग्रेस की कोशिश विपक्ष को एकजुट रखने की है तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी की कोशिश एनडीए के सहयोगी दलों को बांधे रखने की है। दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस के एक खेमे को ये लगता है कि कल यानी शुक्रवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से मोदी सरकार को इसका फायदा मिलेगा।

माना जा रहा है कि कांग्रेस-टीडीपी समेत 5 पार्टियों के इस अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी सरकार बड़ी ही आसानी से विश्वास पा लेगी। कम से कम पार्टियों के संख्या बल देखकर तो यही नजर आता है। वहीं संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए कहा हे कि सोनिया गांधी जी का गणित कमजोर है, वो आंकड़ा नहीं लगा पातीं। 1996 में भी ऐसा ही आंकड़ा लगाया था, क्या हो गया वो दुनिया के सामने है। इस बार भी गणित कमज़ोर होने के कारण फिर से आंकड़ा सही नहीं निकल रहा है।

अनंत कुमार बोले, “मोदी सरकार के पास पूरा समर्थन है, हम इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट करेंगे। एनडीए एकजुट है, हर दिशा से समर्थन मिलेंगे। सुदूर दक्षिण तक से समर्थन मिलेगा।“ सूत्रों से पता चला है कि कांग्रेस दो खेमों में बंटी है। एक खेमा अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में है लेकिन दूसरा इसकी टाइमिंग पर सवाल खड़े कर रहा है। एक खेमा मानता है कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस की मीडिया कवरेज से मोदी सरकार के खिलाफ मुद्दों को जनता के बीच ले जाने का मौका मिलेगा।

वहीं दूसरे खेमे को लगता है कि शुक्रवार शाम को प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री मोदी अपना भाषण लोकसभा में देंगे और वीकेंड पर मीडिया में छाए रहेंगे जिससे बीजेपी अपने पक्ष में माहौल बनाने में कामयाब हो सकती है। अविश्वास प्रस्ताव पर सहमति के चलते सदन में पहले ही दिन सरकार अपने कई बिल पास कराने मे कामयाब हो गई। अगर इस प्रस्ताव पर सहमति जतानी भी थी तो सत्र के अंतिम दिनों में जतानी थी। कांग्रेस के इस धड़े का मानना है कि संसद संत्र के पहले हफ्ते में ही प्रधानमंत्री मोदी को मंच देकर गलती की गई है।

शायद विपक्ष को उम्मीद ही नहीं थी कि सरकार पहले दिन ही अविश्वास प्रस्ताव पर इतनी आसानी से मान जाएगी। इस प्रस्ताव पर कल चर्चा किया जाएगा फिर वोटिंग होगी। लोकसभा में फिलहाल 534 सदस्य हैं। ऐसे में बहुमत के लिए 268 सांसदों की जरूरत है। अकेले बीजेपी के पास ही 273 सांसद हैं। सहयोगी दलों को मिला दें तो ये संख्या 313 के पार चली जाती है जबकि एनडीए को छोड़कर पूरा यूपीए समेत विपक्ष के 221 सांसद ही हैं जो कि बहुमत की मौजूदा संख्या 268 से 47 कम हैं। नंबर गेम के आधार पर अविश्वास प्रस्ताव गिर सकता है।

बड़ी बात ये है कि कुछ विपक्षी दलों ने अबतक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इसमें एआईओडीएमके, बीजेडी, टीआरएस, इंडियन नेशनल लोकदल और पीडीपी जैसी पार्टियां हैं। एआईओडीएमके के पास 37 सांसद हैं जबकि बीजेडी के पास 20 सांसद हैं, वहीं टीआरएस के पास 11 सांसद और पीडीपी के पास 1 सांसद हैं। इस बीच अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाली टीडीपी में भी बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं। टीडीपी सांसद जेसी दिवाकर रेड्डी ने साफ कर दिया है कि व्हीप के बावजूद संसद में अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेंगे।

अविश्वास प्रस्ताव को ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी ने भी सपोर्ट किया है। हालांकि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दिन और तारीख पर तृणमूल कांग्रेस को आपत्ति है। तृणमूल कांग्रेस 21 जुलाई को कोलकाता में शहीदी दिवस मना रही है। पार्टी के नेताओं को 21 जुलाई को बंगाल में रहना है ऐसे में पार्टी ने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की तारीख को आगे बढ़ाने की गुजारिश की थी लेकिन स्पीकर ने उनकी इस मांग को खारिज कर दिया। अब कल अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगा जिसके बाद वोटिंग होगी। वोटिंग के बाद ही तस्वीर साफ होगी। देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष के उठाए मुद्दों पर पीएम क्या जवाब देते हैं और इस अविश्वास प्रस्ताव से किसे फायदा होता है।

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