Thursday, April 25, 2024
Advertisement

पी चिदंबरम VS अमित शाह: पूर्व गृहमंत्री ने सोचा नहीं होगा समय का कालचक्र ऐसे घूमेगा

बीते 9 साल में इतिहास ने इतनी बड़ी करवट ली कि जेल में बैठा शख्स आज गृहमंत्री है और 9 साल पहले गृहमंत्री रहा नेता आज सीबीआई के शिकंजे में। राजनीति का एक ऐसा फ्लैशबैक जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 22, 2019 7:47 IST
पी चिदंबरम VS अमित शाह: पूर्व गृहमंत्री ने सोचा नहीं होगा समय का कालचक्र ऐसे घूमेगा- India TV Hindi
पी चिदंबरम VS अमित शाह: पूर्व गृहमंत्री ने सोचा नहीं होगा समय का कालचक्र ऐसे घूमेगा

नई दिल्ली: बीते 9 साल में इतिहास ने इतनी बड़ी करवट ली कि जेल में बैठा शख्स आज गृहमंत्री है और 9 साल पहले गृहमंत्री रहा नेता आज सीबीआई के शिकंजे में। राजनीति का एक ऐसा फ्लैशबैक जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। वो साल था 2010 और ये साल है 2019...तब के गृहमंत्री आज गिरफ्तार हैं और तब के गिरफ्तार गुजरात के गृहमंत्री आज देश के गृहमंत्री हैं।

Related Stories

ये बात उन दिनों की है जब यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान पी. चिदंबरम देश के गृह मंत्री थे। चिदंबरम 29 नवंबर 2008 से 31 जुलाई 2012 तक देश के गृह मंत्री रहे थे। उस वक्त सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर का मामला चरम पर था और इसी मामले में गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह पर कार्रवाई की गई थी। 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अमित शाह को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था।

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में जब अमित शाह को गिरफ्तार किया गया था तब गिरफ्तारी से ठीक पहले अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और खुद को निर्दोष बताया था। 9 साल बाद 21 अगस्त 2019 को चिदंबरम ने भी अपनी गिरफ्तारी से पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस की और खुद को बेकसूर बताया। कहा जाता है कि राजनाति में कुछ भी स्थाई नहीं होता। सियासत का पहिया कुछ इस तरह पलटने वाला है इसका इल्म किसी को नहीं था। 

9 साल पहले की कहानी आज कुछ इस तरह सामने आ गई कि तब के गृहमंत्री आज सीबीआई की कस्टडी में हैं। करीब 9 साल पहले मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। तब जांच एजेंसियां उनके पीछे पड़ी थी लेकिन अब जब समय बदला तो सारा खेल भी बदल गया। आज जांच एजेंसियां पी चिदंबरम के पीछे हैं।

आज पी चिदंबरम को जब सीबीआई ने गिरफ्तार किया है तब अमित शाह गृह मंत्री हैं और कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं। 2010 में भी जब अमित शाह को सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में जेल भेजा गया था तब विपक्षी पार्टी के तौर पर बीजेपी भी यूपीए सरकार पर ऐसा ही आरोप लगा रही थी और तब गृह मंत्री पी. चिदंबरम हुआ करते थे।

अमित शाह के मामले में तो सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय और तत्कालीन गृह मंत्री चिदंबरम का हस्तक्षेप साबित हुआ था। जब आतंकी इशरत जहां का मामला आया तो चिदंबरम के अंडर सेक्रेटरी आरबीएस मणी ने एफीडेविट देकर कहा कि खुफिया विभाग की रिपोर्ट पुख्ता नहीं है और इसीलिए सीबीआइ से जांच कराई जानी चाहिए। 

पहले इसी आरबीएस मणी ने कोर्ट से खुफिया विभाग की रिपोर्ट पर अपनी मुहर लगाई थी। पूरी बात का खुलासा तो तब हुआ जब मणी ने ही बताया कि चिदंबरम के कहने पर उन्होंने खुफिया विभाग की रिपोर्ट को गलत बताते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी। साफ था कि वह मामला राजनीति से प्रेरित था।

25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अमित शाह को गिरफ्तार किया था जिसके बाद वो तीन महीने तक सलाखों के पीछे रहे। इसके बाद उन्हें 2 साल तक गुजरात से बाहर रहने का आदेश दिया गया। अमित शाह को 29 अक्टूबर, 2010 को गुजरात हाईकोर्ट ने बेल दी। दो साल तक गुजरात से बाहर रहने के बाद 2012 में गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अमित शाह को सुप्रीम कोर्ट से गुजरात लौटने की इजाजत मिली। बाद में 2015 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया।

2012 में वापस लौटने पर शाह ने एक शेर बोला था जो इस तरह है- મારી ઓટ જોઈ કોઈ કિનારે ઘર ન બાંધે, હું સમંદર છું, પાછો આવીશ. इसका मतलब होता है - मेरा पानी उतरते देख, किनारे पर घर मत बना लेना, मैं समुन्दर हूँ, लौट कर जरूर आऊंगा। अब देखना दिलचस्प होगा कि पी चिदंबरम का क्या होता है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Politics News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement