लखनऊ: मायावती की पार्टी बसपा को छोड़ चुके स्वामी प्रसाद मौर्या ने पार्टी प्रमुख मायावती पर टिकटों की नीलामी का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी में वे घुटन महसूस कर रहे थे। हालांकि इंडिया टीवी से बातचीत करते हुए मौर्य सबूत दिखाने की बात पर हिचकिचाने लगे। लेकिन इतना तो तय है कि बसपा छोड़ने के बाद मौर्य समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
जानिए मौर्य ने क्या कहा-
पार्टी की टिकट के लिए कितने पैसे लिए जाते हैं?
मौर्य ने इस सवाल का जवाब सीधे-सीधे ना देते हुए कहा कि 2012 विधानसभा चुनाव में 130 टिकट काटे गए। जो पार्टी सत्ता में थी उसकी हवा फुस्स हो गई। 2012 विधानसभा चुनाव में पार्टी सिर्फ 80 पर ही आकर अटक गई। जबकि लोग चाहते थे कि राज्य में दोबारा हमारी सरकार बने।
टिकटों की नीलामी के सबूत क्या हैं?
2012 विधानसभा चुनाव में 130 टिकट काटे जाने का क्या मतलब था? 2012 में टिकट 5 लाख से 10 लाख रुपये में बेचे गए। जिन कार्यकर्ताओं को टिकट नहीं मिले थे, वे दूसरी पार्टी का टिकट लेकर चुनाव लड़े और 95 प्रतिशत प्रत्याशी अपनी-अपनी सीट जीत गए। उस समय टिकट सिर्फ एक बार नहीं बल्कि 6-6 बार बदले गए। टिकटों का बार-बार बदलना स्वयं में ही एक सबूत है कि पार्टी की टिकटों की निलामी की गई थी। पैसे देकर टिकट खरीदना और बेचना दोनों गलत है इसलिए ना टिकट लेने वाला कुछ बोलता है और ना ही पैसे लेने वाला। मायावती कहती हैं कि टिकट की खरीद-फरोख्त के बारे में कोई मुंह नही खोलेगा और जो खोलेगा वह CBI जांच के लिए तैयार रहे। पार्टी के कार्यकर्ता मायावती से डरते हैं।
मायावती से सब डरते हैं, आप नहीं डरते?
संघर्ष से निकलने वाला व्यक्ति किसी से नहीं डरता। मुझे पार्टी, अंबेडकर जी, कांशीराम जी, उनके मिशन से प्यार था। मैंने पार्टी में रहकर पूरी ईमानदारी से काम किया और बहन जी ने मुझे इसका ईनाम भी दिया। पार्टी में हमेशा मेरा प्रमोशन होता रहा। लेकिन 2012 के बाद मुझे सभी पद बेमानी लगने लगे थे। मैं पार्टी में घुटन महसूस करने लगा था।
क्या अब समाजवादी पार्टी और शिवपाल यादव से भी प्यार होगा?
इसपर मौर्य ने कहा कि उन्हें रजत शर्मा जी से भी प्यार है। उन्होंने आगे कहा कि- सभी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ बैठक करके ही इस विषय पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने आज ही आज़म खान और शिवपाल यादव से मुलाकात की थी। जबकि अखिलेश यादव से मौर्या पहले ही मिल चुके थे। अब मौर्य का समाजवादी पार्टी से जुड़ना तो लगभग तय ही है।
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