Saturday, April 27, 2024
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त्रिपुरा विधानसभा चुनाव: इन 2 पार्टियों के बीच हो सकती है जबर्दस्त जंग, यह है पूरी गणित

इससे पहले पूर्वोत्तर के इस राज्य में CPM और कांग्रेस के बीच चुनावी दंगल होता था...

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: February 04, 2018 14:23 IST
Representational Image | PTI- India TV Hindi
Representational Image | PTI

अगरतला: त्रिपुरा में इस महीने होने वाले विधानसभा चुनाव में CPM के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे और भारतीय जनता पार्टी के बीच मुकाबला हो सकता है। इससे पहले पूर्वोत्तर के इस राज्य में CPM और कांग्रेस के बीच चुनावी दंगल होता था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और विधायक सुदीप रॉय बर्मन बीजेपी में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस, CPM से लड़ने के बारे में संजीदा नहीं है।’ उन्होंने दावा किया कि बीजेपी विधानसभा चुनाव में मार्क्सवादियों को शिकस्त देगी। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश कांग्रेस की अगुवाई करने वाले बर्मन ने कहा, ‘साल 2013 में CPM काफी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही थी लेकिन कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने गुप्त रूप से CPM की मदद की थी ताकि संसद में पार्टी का समर्थन हासिल कर सके।’

CPM पोलित ब्यूरो सदस्य प्रकाश करात ने भी माना है कि इस बार मुकाबला वाम मोर्चा और बीजेपी के बीच है। त्रिपुरा में 18 फरवरी को मतदान होना है। दक्षिण त्रिपुरा में एक चुनावी सभा में करात ने शुक्रवार को कहा था, ‘पहले के सभी चुनाव वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच लड़े गए, लेकिन इस बार मुकाबला बीजेपी और वाम मोर्चे के बीच है क्योंकि कांग्रेस नेता और समर्थक भगवा दल में शामिल हो गए हैं।’ बर्मन समेत कांग्रेस के 6 विधायक पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं। त्रिपुरा कांग्रेस के उपाध्यक्ष तापस डे ने कहा, ‘CPM के कुशासन और पक्षपातपूर्ण व्यवहार के कारण बीजेपी जैसी सांप्रदायिक पार्टी राज्य में इतनी मजबूत हो गई।’ उन्होंने कहा कि CPM ने कभी भी लोगों की जायज मांगों को पूरा नहीं किया।

उन्होंने आरोप लगाया कि CPM का उन लोगों के प्रति रवैया प्रतिशोधात्मक है जो उसका समर्थन नहीं करते। CPM के प्रवक्ता गौतम दास ने कहा कि विकास के लिहाज से त्रिपुरा देश में एक मॉडल राज्य है। उन्होंने कहा कि वाम मोर्चे की सरकार के जन हितैषी, खासतौर पर, गरीबों और कामकाजी वर्ग के लिए बनाए गए कार्यक्रम इसे सत्ता में वापस लाएंगे। आदिवासियों के वोट हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने इंडिजीनियस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के साथ गठजोड़ किया है। राज्य में करीब 31 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। बीजेपी प्रवक्ता एम के देब ने कहा कि बीजेपी और IPFT का गठबंधन 20 आदिवासी आरक्षित सीटों पर गहरा प्रभाव डालेगा।

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